पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारीयान
4. अनूठे एवं हदीस शास्त्र से अवगत विद्वान हजरत मजलिसी का विचार है कि कुमैल की प्रार्थना सर्वश्रेष्ठ प्रार्थना है।
ज़ादुल मआद पुस्तक मे मान्य मजलिसी, सैय्यद पुत्र ताऊस की पुस्तक इक़बाल से उद्धृत करते हुए कुमैल को प्रार्थना की शिक्षा को बयान करते है।[1]
आने वाले पृष्ठो मे कुमैल की प्रार्थना का वर्णन है जो कि क़ुरआन के छंदो एवं पैग़मबर के परिवार वालो (अहलेबैत) की हदीसो – शिया समप्रदाय के असली सोत्र – पर निर्भर होकर उल्लेख किया गया है।
[1] کُنتُ جَالِساً مَع مَولَای أمِیرأمؤمِنین عَلَیہِ السَّلام فِی مَسجِدِ البَصرَۃِ وَ مَعَہُ جَمَاعَۃ مِن أَصحَابِہِ فَقَالَ بَعضُھُم: مَا مَعنَی قُولُ أللہِ عَزَّ وَ جَلَّ (فِیھَا یُفرَقُ کُلُّ أَمر حَکِیم) قَالَ عَلَیہِ السَّلام: لَیلَۃُ النِّصف مِن شَعبَان۔ وَألَّذِی نَفسُ عَلِیّ بِیَدِہِ إِنَّہُ مَا مِن عَبد إلَّا وَ جَمِیعَ مَا یَجرِی عَلَیہِ مِن خَیر وَ شَرّ مِن خَیر وَ شَرُّ مَقسُوم لَہُ فِی لَیلَۃِ النِّصفِ مِن شَعبَان إلَی آخِرِ السَّنَۃِ فِی مِثلَ تِلکَ اللَّیلۃ المُقبَلَۃ۔ وَ مَا مِن عَبد یُحیِیھَا وَ یَدعُوا بِدُعَاءِ الخِضرِ عَلَیہِ السَّلام إلَّا أُجِیبَ لَہُ فَلَمَّا انصَرَفَ طَرَقتَہُ لَیلاً فَقَالَ عَلَیہِ السَّلام: مَا جَاءَ بِکَ یَا کُمَیلُ! قُلتُ: یَا أمِیرَ ألمؤمِنِین، دُعَاء الخِضرِ، فَقَالَ: إجلِس! یَا کُمَیلُ، إذَا حَفِظتَ ھَذَا الدُعَاءَ فادعُ بِہِ کُلِّ لَیلَۃِ جُمُعَۃِ أَو فِی الشَّھرِ مَرَّۃً أَو فِی السَّنَۃِ مَرَّۃً أَو فِی عُمرِکَ مَرَّۃً تَکفِ و تَنصُر و تَرزُق وَ لَن تَعدِمَ المَغفِرَۃَ۔ یَا کُمَیلُ أوجِب لَکَ طُولَ الصُّحبَۃِ لَنَا أن نَجُودَ لَکَ بِمَا سَئَلتُ، ثُمَّ قَالَ: أُکتُب ۔۔۔
कुन्तो जालेसन माआ अमीरल मोमेनीना (अ.स.) फ़ी मस्जेदिल बसरते व माअहू जमाअतुम्मिन असहाबेहि फ़क़ाला बाज़ोहुमः मा माना क़ौलुल्लाहे अज़्ज़ा वजल (फ़ीहा युफ़रक़ो कुल्ला अमरिन हकीम) क़ाला (अ.स.) लैलतुन्निसफ़े मिन शाबान। वल्लज़ी नफ़सो अलीयिन बेयदेही इन्नहू मामिन अबदिन इल्ला वजमीआ मायजरि अलैयहे मिन ख़ैरिन वशर्रिन मिन ख़ैरिन वशर्रो मक़सूमुन लहु फ़ी लैलतिन्निसफ़े मिन शाबान एला आख़ेरिस्सनते फ़ी मिसला तिलका लैलतिल मुक़बलते। वामा मिन अबदिन योहयीहा वयदऊ बेदुआइल ख़िज़्रे अलैहिस्सलाम इल्ला ओजीबा लहु फ़लम्मा इनसरफ़ा तरक़तहु लैलन फ़क़ाला अलैहिस्सलामः मा जाआ बेका या कुमैलो! क़लतोः या अमीरल मोमेनीना, दोआउल ख़िज़्रे, फ़क़ालाः इजलिस! या कुमैलो, इज़ा हफ़िज़्ता हाज़द्दोआआ फ़दओ बेहि कुल्ला लैलति जुमुअते ओ फ़िश्शहरे मर्रतन ओ फ़िस्सनते मर्रतन ओ फ़ी उमरेका मर्रतन तकफ़े वतनसुर वतरज़ुक़ वलन तादेमलमग़फ़ेरता। या कुमैलो ओजब लका तूलस्सेहते लना अन्नजूदा लका बेमा सअलतो, सुम्मा क़ालाः उकतुब ...