Hindi
Friday 3rd of May 2024
0
نفر 0

बिस्मिल्लाह से आऱम्भ करने का कारण1

बिस्मिल्लाह से आऱम्भ करने का कारण1

पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन

लेखकः आयतुल्लाह अनसारीयान

بِسمِ أللہ ألرَّحمٰنِ ألرَّحِیم

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम

उस ईश्वर के नाम से जिसकी कृपा का अनुमान नही तथा दया सदैव है

बिस्मिल्लाह से आऱम्भ करने का कारण

प्रकाशी एवं अनंत सोत्र (बिस्मिल्ला) के साथ कुमैल की प्रार्थना का आरम्भ निम्न लिखित दलीलो के कारण संभावना है।

1. अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम ने हजरत मुहम्मद सल्लललाहो अलैहे वाआलेहि वसल्लम से उन्होने संसार के पालनहार ईश्वर से रिवायत उद्धृत की है जिसमे कहाः

 

کُلَّ أمر ذِی بَال لَا یُذکَرُ بَسمِ أللہِ فِیہِ فَھُوَ أبتَرُ

 

कुल्लो अमरिन ज़ीबालिन लायुज़करो बिस्मिल्लाहे फ़ीहे फ़होवा अबतरो[1]

जिस बड़े कार्य मे ईश्वर का नाम ना लिया जाए, तबाह और बरबाद है तथा किसी परिणाम तक नही पहुँचता है।

2. स्वर्गीय तबरसी मूल्यवान पुस्तक मकारेमुल अख़लाक मे सातवे इमाम से रिवायत उद्धृत करते हैः

 

مَا مَن أحَد دَھَّمَہُ أمر یَغُمُّہُ أو کَرَّبَتہُ کُربَۃ فَرَفَعَ رَأسَہُ إِلَی السَمَاءِ ثُمَّ قَالَ ثَلَاثَ مَرَّاۃ :( بِسمِ أللہ ألرَّحمٰنِ ألرَّحِیم) إِلَّا فَرَّجَ أللہُ کُربَتَہُ وَ أَذھَبَ غَمَّہُ إِن شَآءَ أللہُ تَعَالَی

 

मामिन अहदिन दह्हमहू अमरिन यग़म्महु औ कर्रबतहु कुरबतुन फ़रफ़आ रासाहू एलस्समाए सुम्मा क़ाला सलाला मर्रातिन (बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम) इल्ला फ़र्रजल्लाहो कुरबतहु वअज़हबा ग़म्महु इन्शाअल्लाहो तआला[2]

उसके क्रोध एवं दुख को समाप्त करेने वाला कोई नही है बस आसमान की ओर सर उठा कर तीन बार (बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम) कहे, मगर यह कि ईश्वर उसकी परेशानी को दूर तथा उसके क्रोध को समाप्त कर दे यदि ईश्वर चाहे।

जारी



[1] तफसीरे इमाम हसन असकरि अलैहिस्सलाम, पेज 25, हदीस 7; वसाएलुश्शिया, भाग 7, पेज 170, अध्याया 17, हदीस 9032

[2] मकारेमुल अख़लाक़, पेज 346; बिहारुल अनवार, भाग 92, पेज 159, अध्याय 15

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

हज़रत हमज़ा इब्ने इमाम काज़िम ...
पैग़मबरे अकरम (स) और आईम्मा (अ) के ...
तरकीबे नमाज़
इस्लाम और सेक्योलरिज़्म
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा उम्महातुल ...
अज़ादारी रस्म (परम्परा) या इबादत
शोहदाए बद्र व ओहद और शोहदाए ...
इमाम अली रज़ा अ. का संक्षिप्त जीवन ...
दरबारे इब्ने जियाद मे खुत्बा बीबी ...
महिला और समाज में उसकी भूमिका

 
user comment