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अर्रहीम 2

अर्रहीम 2

पुस्तक का नामः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन

लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान

 

हमने इस के पूर्व के लेख मे यह बात स्पष्ट करने का प्रयास किया था कि रहमानियत और रहीमियत मे आफ़ियत का अर्थ निहित है, एक दुनयावी आफ़ियत और दूसरे परलोक की आफ़ियत। रहमते रहिमिया पूजा और अच्छे कर्मो के स्वीकर होने के कारण पक्षधरो (आज्ञाकारियो) को, बुराई को क्षमा और लुप्त होने के कारण आस्था रखने वाले विद्रोहीयो को सम्मिलित (शामिल) करती है। सामाजिक और अच्छे कर्मचारियो दासता के कारण दया एंव कृपा की प्रतीक्षा मे है, बुरे और दुष्ट लोग आवश्यकताओ मुफ़लिसि दुर्गति तथा शर्मिंदगी के कारण इस उपहार की आशा लगाए है। परन्तु हम इस लेख मे हम तीन कथनो के साथ मानव की तीन हालतो का वर्णन और यह तीन हालत किस नामो मे नीहित है इस का स्पष्टीकरण करेंगे।

मुबारक के पुत्र का कथन है किः (रहमान) वह हैः जिससे मांगो वह प्रदान कर दे, तथा (रहीम) वह हैः यदि उस से कुच्छ ना मांगो तो क्रोधित होता है।

एत रहस्यवादी व्यक्ति का कथन है किः ईश्वर प्राणियो को आजीविका प्रदान करने के माध्यम से रहमान तथा आस्था रखने वालो की बुराईयो को क्षमा करने के माध्यम से रहीम है। रोज़ी रोटी और आजीविका के प्रावधान मे उसकी रहमानियत पर भरोसा करो ना कि अपने व्यापाप और व्यवसाय पर, परन्तु व्यवसाय और व्यापार करना ना छोड़ो क्योकि यह धर्म (क़ानून) और बुद्दि के विरूद्ध है पापो की क्षमा मे उसकी रहीमीयत पर भरोसा रखो ना अपने कर्मो पर, परन्तु कर्म करना ना छोड़ो क्योकि यह ईश्वर की इच्छा के विरूद्ध तथा शैतान की आज्ञाकारिता है।

एक रहस्यवादी समूह का कथन है किः सेवक की तीन हालत हैः

प्रथमः अनुपस्थिति की हालत जिसे अस्तित्व प्रदान करने की आवश्यकता है।

द्वितीयः उपस्थिती तथा अस्तित्व की हालत जिसे बाक़ी रहने के कारणो की आवश्यकता है।

तृतीयः क़यामत (पुनरूत्थान) मे उपस्थिति की हालत जहा उसे माफ़ी और क्षमा की आवश्यकता है।

तथा यह तीनो स्थिति निम्नलिखित तीन नामो मे समाहित हैः

(अल्लाह) अर्थातः पूर्णता (कमाल) के गुणो का संग्रह है, विचार करो कि तुम्हे उसने किस प्रकार अस्तित्व प्रदान किया।

वह (रहमान) हैः इस बात पर विचार करो कि किस प्रकार उसने तुम्हारी जीवित रहने के कारणो को उपलब्ध किया।

(रहीम) हैः क़यामत (पुनरूत्थान) तक देखो कि तुम्हे उसने शरण दी तथा तुम्हारे पापो को छिपाया।

 

जारी

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