पुस्तक का नामः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान
इसके पूर्व लेख मे हमने इस बात की व्याख्या की थी कि यह ईश्वर की व्यापक दया और सार्वजनिक फ़ैज़ है जिसके आशीष (बरकत) से सभी वस्तुए नीसती (तहस) के अंधकार से निकल कर प्रकाशीय अस्तित्व की ओर रवाँ दवाँ (दौड़ रही) है जिसके कारण सब कुछ अपने स्थान पर स्थिर है। तथा रूश्द और विकास एंव ऊंचाई के सभी भौतिक एवं आध्यात्मिक मुद्दो ने क्रमशः अपनी अपनी योग्यता प्रतिस्पर्धा एवं क्षमता के अनुसार बिना किसी लोभ के उनको प्रदान कर दी गई है। तथा ब्राह्मांड के एक छोर से दूसरे छोर तक उसके ग़ैब और शहूद, उसके गुप्त एंव प्रकट उद्देश्य और उसके उतार एलं चढ़ाव अपने अस्तित्व के अनुसार ईश्वर के बिनिहायत फ़ैज़ तथा व्यापक दया की छाया मे जीवित है तथा एक सेकंड के लिए भी भगवान की कृपा और फ़ैज़ से अलग नही है, सिर्फ़ येही नही बलकि अलग होने की शक्ति भी नही रखती है यदि अगर अलग हो भी जाऐ तो उनका अस्तित्व इस दुनिया से समाप्त हो जाएगा तथा उसकी पहचान का कोई चिन्ह भी शेष नही रहेगा। इस लेख मे आप को इस बात का अध्ययन करने को मिलेगा की दुनिया की वह सारी चीज़े जिनमे भलाई है वह सब भगवान की कृपा और सार्वजनिक फ़ैज़ तथा व्यापक दया की एक किरण है।
मोजूदात की इजाद, प्राणीयो की आजीविका, घास फूस का विकास, जमादात का कमाल, छंदो का उतरना, बय्येनात का प्रकट होना, ईश्वरदूतो की बेसत, गुमराहो तथा भटके हुओ का मार्गदर्शन, जानदारो की जिंदगी, स्वर्गदूतो का वजूद मे आना, मृतको का जीवित हो उठना,अच्छे कर्मो वालो को सवाब मिलना, बुरे व्यक्तियो को दंड मिलना, विश्वासियो की इज़्ज़त, नास्तिको का अपमान, क़यामत का बरपा होना, स्वर्ग तथा नर्क का प्रकट होना, अपराधी विश्वासी का क्षमादान, तथा दुनिया की वह सारी चीज़े जिनमे भलाई है वह सब भगवान की कृपा और सार्वजनिक फ़ैज़ तथा व्यापक दया की एक किरण है।
ईश्वर का सार्वजनिक फ़ैज़ तथा उसकी व्यापक दया हम लोगो की समझ से बाहर है ताइरे फ़िक्र इस वातावरण (फ़िज़ा) मे उड़ान नही भर सकता और बुद्धि भी इसकी हक़ीक़त जानने से असमर्थ है। (कुल्लो शैएन) का अथवा उन सभी प्राणीयो का गिनना जो ईश्वर की कृपा एंव की छाया मे अपना अस्तित्व रखते है सभी पर उस ईश्वर का परिसर है। यदि सारे वृक्ष क़लम (लेखनी) तथा सारे समुद्र सियाही बन जाए और मनुष्य एवं जिन्नात और स्वर्गीय दूत उसको लिखना प्रारम्भ करे तब भी उसके प्राणीयो (मोजूदात) को गिनना सम्भव नही है बलकि उसके एक भाग को भी नही लिख सकते है।
प्रिय पाठको हम इस स्थान पर ईश्वर की व्यापक दया को किसी हद तक समझने के लिए कुच्छ प्राणियो की हक़ीक़त का स्पष्टीकरण करना अनिवार्य समझते है ताकि उनके भौतिक एंव आध्यात्मिक हक़ीक़तो से सूचित हो, शायद हमारी प्यासी आत्मा इस बड़े समुद्र से एक बूंद जल प्राप्त करके अपनी प्यास बुझाने का सामान कर सके तथा आत्मिक आफ़ताब (सूर्य) के उदय होने की प्रतीक्षा करे जो धीरे धीरे अस्तित्व के क्षितिज पर उदय होता है।