
पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारीयान
यहा पर मनुष्य के संदर्भ मे ईश्वर की विचित्र दया का उल्लेख करना उचित है, शायद इसके पश्चात हमारे हृदय के दर्पण से ग़फ़लत का पर्दा उठ जाए, तथा हमारी आत्मा उसके प्रकाश से उज्जवल हो जाए, हमारी पूजा पाठ तथा ख़ुलूस मे वृद्धि हो जाए, और जहाँ तक सम्भव हो पापो से घृणा करें।
मनुष्य का दिमाग़ विज्ञानुसार एक विचित्र मशीन है, यह इस प्रकार के कार्य करता है जिस कार्य के करने मे आज कल की आधुनिक टैकनिक से बनी हुई मशीने भी अमर्थ है।
इस दिमाग़ का कार्य विभिन्न प्रकार के घटनाओ एंव दुर्घटनाओ को सुरक्षित रखना है, जिसे याद रखने की शक्ति (क़ुव्वए हाफ़ेज़ा) कहते है, मनुष्य का हाफ़ज़ा दिमाग़ के एक छोटे भाग से संबंधित होता है। हाफ़ज़े की क्षमता को एक उदाहरण द्वारा समझा जा सकता हैः
फ़र्ज़ करे कि 50 वर्ष का व्यक्ति अपनी जीवनी को बिना किसी कमी और ज्यादती के लिखने का इच्छुक हो, तो उस को लिखने के लिए लगभग 20 पन्नो पर आधारित ऐसे 16 करोड़ समाचार पत्रो की आवश्यकता है जिन मे महीन महीन लिखा जाए, भूतकाल की बातो को ज़हन मे लाना टेप आडियो कैसिट के समान है, इस अंतर के साथ कि मनुष्य के ज़हन की कैसिट स्वयं इंसान के ज़हन से चलती है परन्तु उसे घुमाने की आवश्यकता नही है।
जारी