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जीवन तथा ब्रह्माड़ मे पशुओ और जीव जन्तुओ की भूमिका 2

  • प्रकाशन तिथि:   2013-06-01 16:30:35
  • दृश्यों की संख्या:   421

पुस्तकः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन

लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान

 

2- गाय और भेड़

प्राकृतिक विशेषज्ञो का कथन है किः संसार मे प्रत्येक वस्तु मौजुदात के हिसाब से है और यह बात पूर्णतः सही है।

जी हां स्तनधारी बच्चे देने वाले जानवरो मे मा के पेट मे बच्चे को पिलाने भर की मात्रा मे दूध होता है किन्तु ईश्वर ने अपनी वियापक दया एंव कृपा से गाय, भैंस, भेड़ तथा बकरी को इस सार्वजनिक क़ानून से अलग रखा है, क्योकि इनका दूध सिर्फ़ इनके बच्चो के लिए नही है बल्कि इनका दूध मनुष्य के लिए बेहतरीन आहार होता है।

गाय, भैंस और बकरी का दूध बच्चो और बड़ो के लिए अत्यधिक लाभदायक है तथा दूध से प्राप्त होने वाली वस्तुऐ मानव आहार मे अत्यधिक आवश्यक है।[1]

क्या इन सब चीज़ो को देखने के पश्चात भी ईश्वर की दया एंव कृपा दिखाई नही देती प्रभु ने अपनी वियापक दया के द्वारा पशुओ (जानवरो) को मानव की सेवा हेतु पैदा किया है। इन्ही जानवरो से अंगिनत लाभ है तथा हानि की संभावना अत्यधिक कम है।

मनुष्य, गाय भैंस तथा भेड़ बकरी के सभी अंगो से लाभ उठाता है और यह जानवर हर प्रकार तथा पूर्ण रुप से मानव की सेवा के लिए पैदा किए गए है।

आश्चर्यजनक तत्थ तो यह है कि भेड़ तीन प्रकार की होती है। ऊन रखने वाली, मांस रखने वाली, दूध देने वाली जबकि इन सब का आहार एक ही है, वास्तव मे यह परमेश्वर की क़ुदरत का जलवा है जो एक ही जानवर तथा एक ही आहार को तीन भिन्न वस्तुओ मे परिवर्तित कर देती है, और मनुष्य का आहार तथा पोशाक उसके द्वारा प्राप्त होता है।

गाय-भैंस तथा भेड़- बकरी कुल्लो शैएन का एक भाग है जिन पर ईश्वर की कृपा छाया किए हुए है ईश्वर की दया एंव कृपा के जलवे इतने अत्यधिक है कि इस पुस्तक मे उनका वर्णन नही किया जा सकता।    

 

जारी



[1] निशानेहाए अज़ ऊ, भाग 1, पेज 174

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