पुस्तकः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
3- मधु मख्खी
विशेषज्ञो को कथन है किः अधिकांश फूल हर समय अपना रस बाहर नही निकालते, बल्कि उसका भी एक निर्धारित समय है, और उसकी अवधि तीन घंटे से अधिक नही होती, और जब फूलो से रस निकलने का समय भी एक नही होता बल्कि कुच्छ से प्रातः काल तथा कुच्छ से दोपहर और कुच्छ से सायंकाल के समय रस निकलता है, मधु मख्खी जोकि फूलो तथा समय दोने को पहचानती है, फूलो को भी पहचानती है और उनसे रस निकलने के समय को भी पहचानती है इसीलिए निर्धारित समय पर ही उनसे रस प्राप्त करती है।[1]
तत्पश्चात मधु मख्खी फूलो के रस को एक उत्तम, स्वादिष्ट, अच्छे रंग और शक्तिवर्धक आहार मे परिवर्तित कर देती है जिसे मधु कहा जाता है, जोकि सभी प्रकार के आहार मे बेमिसाल होता है और खराब भी नही होता, और यह मधु मनुष्य की दवा का कार्य भी करता है जैसा कि पवित्र क़ुरआन मे आया हैः
فِيهِ شِفاءٌ لِلنَّاسِ
फ़ीहे शिफ़ाउन लिन्नासे[2]
जिसमे पूरी मानवजाति हेतु शिफ़ा है।
मधु मख्खी तथा उसके जीवन से संबंधित सैकड़ो पुस्तके लिखी जा चुकी है जिसके प्रत्येक पृष्ठ पर ईश्वर की वियापक दया के जलवे हर पहलू से प्रकट है, हालाकि यह छोटा सा प्राणी परन्तु वास्तव मे अत्यधिक महत्वपूर्ण है।