![ईश्वर की दया 1 ईश्वर की दया 1](https://erfan.ir/system/assets/imgArticle/2013/06/45731_60063_5.jpeg)
पुस्तकः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
मानव यदि अपने जीवन मे अज्ञानता, अपरिपक्वता, लापरवाही तथा भूल अथवा अन्य कारणो के आधार पर पाप और समझसयत (मासीयत) मे लिप्त हो जाए तो मानव ईश्वर के दरबार मे पश्चाताप तथा पापो की क्षतिपूर्ति (जिस प्रकार उल्लेख हुआ है) द्वारा वह माफ़ी, क्षमा तथा दया का पात्र (हक़दार) हो जाता है, विशेष रूप से यदि उसकी पश्चाताप और इस्तिग़फ़ार गुरुवार रात्रि कुमैल की प्रार्थना के माध्यम से हो, क्योकि यह रात्रि, दया की रात्रि है, यह वह रात्रि है जिसमे कुमैल की प्रार्थना का पठन करने से क्षमा, माफी तथा ईश्वर की दया की वर्षा निश्चितरूप से होने लगती है।
قُل يا عِبادِىَ الَّذينَ أَسْرَفُوا عَلَى أَنْفُسِهِمْ لا تَقْنَطُوا مِنْ رَحْمَةِ اللّهِ إِنَّ اللّهَ يَغْفِرُ الذُّنوبَ جَميعاً إِنَّهُ هُوَ الْغَفورُ الرَّحيمُ
“क़ुल या एबादेयल्लज़ीना असरफ़ू अला अनफ़ोसेहिम ला तक़नतू मिन रहमतिल्लाहे इन्नल्लाहा यग़फ़ेरुज़्ज़ोनूबा जमीअन इन्नहू होवल ग़फ़ूरूर्रहीम”[1]
हे पैग़म्बर आप संदेश पहुँचा दीजिए कि हे मेरे बंदो (सेवको) जिन्होने अपने ऊपर ज़ियादती की है ईश्वर की दया से निराश ना होना, ईश्वर सभी पापो को क्षमा करने वाला है तथा वह निश्चितरूप से अत्यधिक दयालु और क्षमा करने वाला है।
पवित्र क़ुरआन मे निम्नलिखित छंदो के अतिरिक्त भी बहुत से छंद है जिन मे ईश्वर की दया और उसकी बख्शीश का उल्लेख हुआ है।