पुस्तक का नामः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला अनसारियान
रिवायत मे उल्लेख हुआ है किः
एक दिन हज़रत ईसा अपने कुच्छ साथियो (हव्वारियो) के साथ एक मार्ग से जा रहे थे अचानक एक अत्यधिक पापी एंवम दोषी व्यक्ति -जो कि उस समय भ्रष्टाचार एंवम अनैतिकता मे प्रसिद्ध था- मिला हसरत की आग उसकी छाती मे ज्वलन शील हो उठी।तथा उसकी आँखो से पश्चाताप के आंसू बहने लगे। उसने अपने अतीत पर एक नज़र डाली, पछतावे के साथ हृदय को जला देने वाली एक आह निकाली और कहने लगाः
“पालनहार मेरा हाथ ख़ाली तथा आँखे अशुभ है, बुद्दि भ्रष्ट है हृदय अलग और छाती जलकर कबाब है, कर्म पत्र पापो से पूर्ण आयु बरबाद, कार्य एंवम प्रयास बिना परिणाम (बिना फल) है, इसलिए अपनी दया एंवम कृपा से मेरी सहायता कर।“
और उसने सोचा कि मैने जीवन मे कोई अच्छा कार्य नही किया है मै पवित्र मनुष्यो के साथ किस प्रकार चल पाऊंगा परन्तु यह ईश्वर के महबूब है यदि इन्होने स्वीकार कर लिया तो कुच्छ दूरी तक इनके साथ चलने मे कोई हर्ज नही है, इसलिए उनके साथ कुत्ते के प्रारूप मे गुहार लगाता हुआ चलने लगा।
जारी