पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला हुसैन अंसारीयान
फ़ातेहतुल किताब नामी पुस्तक (जो इरफ़ानी और ज्ञानवर्धक पुस्तको मे से एक महत्वपूर्ण पुस्तक है जो फ़ैज़ काशानी के पश्चात एक बुद्धिजीवी द्वारा लिखित है) के लेखक कहते हैः बनिइस्राईल मे एक तपस्वी और ज़ाहिद था जिसने सारे लोगो को त्याग कर एक गोपनीयतास्थल बनाया, तथा इस प्रकार तपस्या (इबादत) करता था जिसके कारण वह स्वर्गीय दूतो के निकट हो गया था, ईश्वर की रहस्योद्धाटन के भागीदार जनाबे जिब्राईल ने उसके दर्शन करने की इच्छा प्रकट कर आसमान से जमीन पर आने की अनुमति चाही तो ईश्वर की आवाज़ आईः हे जिब्राईल तनिक लौहे महफ़ूज़ का अध्यन करो कि इसका नाम कहां पंजीकृत है?
जिब्राईल ने देखा कि उसका नाम बदबख्तो (बुरे मनुष्यो) की सूची मे पंजीकृत है, आश्चर्य करते हुए उसके दर्शन करने को त्याग दिया तथा ईश्वर के दरबार मे कहाः हे पालनहार तेरे आदेश के विरूद्ध कोई भी साहस नही रखता, मुझ मे इस विचित्र नज़ारे को देखने की शक्ति नही है।
समबोधन हुआ क्योकि तुम्हारे हृदय मे इसके दर्शन करने की इच्छा थी इसलिए इसके पास जाओ तथा जो तुमने देखा है उससे उसको सूचित करो।
जिब्राईल उस तपस्वी के गोपनीयतास्थल की ओर चल पड़े देखा कि उसका शरीर बहुत कमज़ोर है उसके हृदय मे शौक़ एंव प्रेम की आग लगी हुई है कभी परवाने (पंखुड़ी) के समान मेहराबे इबादत मे दिलसोज़ ढंग से तपस्या मे व्यस्त हो जाता है तथा कभी सजदे की हालत मे रोने लगता है।
जारी