पुस्तक का नामः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला हुसैन अंसारीयान
अमीरुलमोमेनीन अलैहिस्सलाम के इस प्रकाशमय संस्करण मे इस वास्तविकता (हक़ीक़त) की ओर संकेत किया गया है कि प्रत्येक वस्तु एंव व्यक्ति भगवान की गरिमा के सामने अपमानित है।
ईश्वर के सामने अपमानित होना अपने च्यन से नही है जिसको हम अनदेखा तथा अस्वीकार नही कर सकते, क्योकि प्रत्येक वस्तु ईश्वर के सामने विवश एंव ज़लील और ख़ार है। यहा तक कि वह हेकड़ी व्यक्ति जो अल्लाह की अनाज्ञाकारिता करने के साथ यह कल्पना करता है कि वह ईश्वर के सामने ज़लील एंव अपमानित नही है, परन्तु संसार की हक़ीक़त एंव ईश्वर की महानता की निशानियो से परहेज़ नही कर सकता तथा परिणामस्वरूप, ईश्वर के सामने स्वयं के ज़लील एंव अपमानित होने को शीघ्र समझ जाएगा।
सच्चा सेवक वही है जो अपनी ज़िल्लत एंव अपमान को अल्लाह के दरबार मे स्वयं को कुल्लो शैइन के धुरुत्व से बाहर ना करे तथा अपनी असमर्थता को सपष्ट करे ताकि उसके कारण ईश्वर की दया एंव कृपा को अपनी ओर आकर्षित कर सके।