सब लोग मासूम क्यों नहीं हैं?
ग़ज़ाली एहयाउल क़ुलूब के रजा (आशा) के भाग में लिखते हैं कि इब्राहीम अदहम का कहना है कि एक बार रात के समय मैं ख़ुदा के घर काबे का तवाफ़ कर रहा था, और उस समय मेरे अतिरिक्त कोई और ख़ुदा के घर का तवाफ़ करने वाला नही था। उस समय मैं अकेला था।
तब मैने काबे के ग़िलाफ़ (वह पर्दा जिससे काबा ढका रहता है) को पकड़ कर ईश्वर से दुआ मांगी कि मुझे पापों से बचने के लिए इस्मत दे दे, ख़ुदा मुझे मासूम बना दे ताकि मैं कोई गुनाह ना कर सकूँ।
यकायक एक आवाज़ आईः हे इब्राहीम तू इस्मत चाहता है, मेरी बाक़ी सृष्टि भी इस्मत चाहती है
فاذا اعصمتھم فعلی من اتفضل و لمن اغفر
अगर मैं सबके मासूम बना दूँ तो मैं रहम किस पर करूँगा और क्षमा किस को करूँगा।
source : tvshia.com