Hindi
Wednesday 17th of April 2024
0
نفر 0

ख़ुत्बा -ए- फ़िदक का संक्षिप्त विवरण

 

जब हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स) (स) से उस समय की हुकूमत ने फ़िदक छीन लिया और किसी भी प्रकार से यह सरकार फ़िदक देने पर राज़ी नहीं थी तो आप अपनी सच्चाई को प्रमाणित करने के लिए मस्जिद में आती हैं और मोहाजिर एवं अंसार के बीच वह महान ख़ुत्बा देती हैं जिसे हम ख़ुत्बा -ए- फ़िदकके नाम से जानते हैं और इस प्रकार आप लोगों के सामने अपनी सच्चाई को प्रमाणित करती हैं।

हम अपने इस लेख में कोशिश करेंगे कि आपके इस महान ख़ुत्बे के कुछ पहलुओं को अपने पाठकों के सामने रखें और हम व आप देखें कि पैग़म्बर (स) (स) की बेटी ने अपने इस ख़ुत्बे में क्या कहा है और इस्लामी शिक्षा के कौन कौन से महान मतालिब को बयान किया है।

 

फ़ातेमा ज़हरा का मस्जिद की तरफ़ जाना

रावी कहता है कि जब आप मस्जिद के लिए चली हैं तो ، ما تخرم مشیتها مشیة رسول الله صلى الله علیه و آله، आप की चाल बिलकुल पैग़म्बर (स) (स) की चाल के जैसी थी, आप वैसे ही चल रहीं थी जैसे पैग़म्बर (स) (स) चला करते थे,  बल्कि यह कहा जा सकता है कि आप चेहरे और मोहरे में हर प्रकार से पैग़म्बर (स) (स) की छवि थी, जैसा कि इतिहास कहता है कि जब फ़ातेमा (स) की बेटी ज़ैनब (स) ने कूफ़े में ख़ुत्बा देना शुरू किया तो जिन लोगों ने अली (अ) (अ) का ख़ुत्बा सुन रखा था वह यह समझे कि अली (अ) (अ) ख़ुत्बा दे रहें है, आपका बोलने का अंदाज़ बिलकुल अपने पिता अली (अ) की तरह था, इससे पता चलता है कि यह इस ख़ानदान की परम्परा रही है कि अगर किसी मजबूरी के कारण इस घराने की औरतों को लोगों के सामने आना पड़े तब भी वह पर्दे का पूरा ख़्याल रखती हैं आगर वह चलती हैं, बोलती हैं तो अपने पिता की तरह, कभी चलने का अंदाज़ पैग़म्बर (स) की तरह होता है तो कभी बोलने का अंदाज़ अली (अ) की तरह।

जब आपने मस्जिद में प्रवेश किया  أنّت أنّة   आपने एक चीख़ मारी जिस चीज़ ने वहां मौजूद हर इन्सान को रुला दिया आपने लोगों को रोने का समय दिया फ़िर ख़ुत्बा आरम्भ किया लोगों ने फिर रोना शुरू कर दिया आप काफ़ी समय तक चुप रहीं ताकि लोग दिलभर कर रो लें उसके बाद आपने अपना ख़ुत्बा आरम्भ किया।

हम अपने इस लेख में आपके ख़ुत्बे के कुछ चुने हुए वाक्यों और शब्दों को संक्षिप्त विवरण के साथ बयान करेंगे।

 

ईश्वर की प्रशंसा

हज़रते ज़हरा (स) (स)  फ़रमाती हैं

َلْحَمْدُلِلَّهِ عَلی ما اَنْعَمَ، وَلَهُ الشُّکْرُ عَلی ما اَلْهَمَ، وَالثَّناءُ بِما قَدَّمَ،

ईश्वर का धन्यावद है उन सारी नेमतों के लिए जो हमें दी हैं

इस ख़ुत्बे के रिवायत करने वालों में से एक हज़रत ज़ैनब (स) भी हैं और बहुत संभव है कि हज़रत ज़ैनब (स) ने कूफ़े और शाम में जो ख़ुत्बे दिए हैं वह यहीं से लिये गए हों कि जब यज़ीद ने पूछा कि

ما رایت صنع الله باخیک

अपने भाई के लिए ख़ुदा के कार्य को कैसा पाया?

तो वह ज़ैनब (स) जिसने हुसैन (अ) की पामाल की गई लाश देखी हो, वह ज़ैनब (स) जिसने अब्बास (अ) के कटे शाने देखे हों वह ज़ैनब (स) जिसने.... इस सारे मसाएब और दुखों के बावजूद ज़ैनब कहती है

ما رایت الا جمیلا

हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स) इस ख़ुत्बे में अपने ऊपर ढाए गए अत्याचारों को बयान करना चाह रहीं है लेकिन आपने ख़ुत्बे का आरम्भ ख़ुदा की प्रशंसा के किया है हे ईश्वर तेरा शुक्र है हम नेमत पर तेरा धन्यवाद है हर इलहाम पर

اِبْتَدَعَ الْاَشْیاءَ لا مِنْ شَىْ ءٍ کانَ قَبْلَها

आपने तौहीद और एकेश्वरवाद को किस बुलंदी पर पहुंचाया है ख़ुदा अगर किसी चीज़ को पैदा करना चाहता है तो उसका पैदा करना हमारे बनाने की तरह नहीं है कि हम दो चीजो़ं को मिलाकर एक तीसरी चीज़ बना दें या किसी पदार्थ को कोई दूसरी सूरत दे दें बल्कि ईश्वर जब किसी चीज़ को संसार में लाता है तो किसी दूसरी चीज़ से नहीं बल्कि वह उसको पैदा करता है बिना किसी दूसरी चीज़ की सहायता लिए।

ثُمَّ جَعَلَ الثَّوابَ عَلی طاعَتِهِ، وَوَضَعَ الْعِقابَ عَلی مَعْصِیَتِهِ

तुम लोग यह न समझों कि केवर मुहाजिर और अंसार के नाम का पट्टा लगाकर जन्नत में चले जाओगे। नही! याद रखों जो ईश्वर के आदेशों का पालन करेगा उसको सवाब मिलेगा और वह स्वर्ग जाएगा और जिसने उसके आदेशों की अवहेलना की उसकी उसका अज़ाब झेलना होगा।

 

पैग़म्बर की बेसत

इसके बाद हज़रते फ़ातेमा ज़हरा (स) पैग़म्बर (स) की बेसत के मरहले में प्रवेश करती हैं और आप फ़रमाती हैं

اَشْهَدُ اَنَّ اَبي مُحَمَّداً عَبْدُهُ وَرَسُولُهُ

मैं गवाही देती हूँ कि मेरे पिता मोहम्मद (स) उसके अब्द और रसूल थे, मैं गवाही देती हूँ कि वह जो ख़ुदा का बंदा है, जो उसका रसूल है, को क़ाबा कौसैन की मंज़िलों तक पहुंचा है वह मेरे पिता हैं।

فَرَأَى الْاُمَمَ فِرَقاً فِي اَدْیانِها، عُکَّفاً عَلی نیرانِها، عابِدَةً لِاَوْثانِها، مُنْکِرَةً لِلَّهِ مَعَ عِرْفانِها

ख़ुदा ने क्यों अपने नबी को भेजा? विभिन्न उम्मतें जो अलग अलग फ़िर्क़ों और गुटों में थी, जो आग की पूजा कर रहीं थी, बुतों की पूजा कर रही थीं, ईश्वर का इन्कार कर रहे थे जब्कि ख़ुद उनकी फ़ितरह अल्लाह अल्लाह की आवाज़ दे रही थी।

वह लोग जो अमीरुल मोमिनीन (अ) के स्थान पर बैठ गए वह इस्लाम से पहले किस दीन पर थे वह किसको अपना ईश्वर मानते थे?

فَاَنارَ الله بِاَبي مُحَمَّدٍ صَلَّى الله عَلَیْهِ والِهِ ظُلَمَها

ख़ुदा ने मेरे पिता मोहम्मद (स) के माध्यम से हर चीज़ को रौशन कर दिया

उसके बाद आप फ़रमाती हैं

صَلَّى الله عَلی اَبي نَبِیِّهِ

सलवात भेजते हैं मेरे पिता पर जो ख़ुदा के नबी हैं।

अगर हम इस ख़ुत्बे को देखें तो आपने ने जगह जगह पर पैग़म्बर (स) के बारे में अपने पिता के शब्द का उपयोग किया है और कहा है कि मेरे पिता... आप इस बात पर ताकीद कर रहीं है कि मैं पैग़म्बर (स) की बेटी हूँ, आप कहना चाह रही हैं कि मैं फ़ातेमा (स) मुसलमान हूँ मुझे इस्लाम के दायरे से बाहर न करो।

 

मोहाजिर और अंसार से संबोधन

फ़िर आपने मोहाजेरीन और अंसार की तरफ़ रुख़ किया और फ़रमाया

ثم التفت الى اهل المجلس وقالت: اَنْتُمْ عِبادَ الله نُصُبُ اَمْرِهِ وَنَهْیِهِ

हे मोहाजिरों और अंसारों हे वह लोग जिन्होंने पैग़म्बर (स) की सहायता की तुम लोग ख़ुदा की अराधना करने वाले थे तुम ख़ुदा के बंदे थे ईश्वर का अम्र (आदेश) और नही (रोकना) तुम्हारे लिए था,

وَعَهْدٍ قَدَّمَهُ اِلَیْکُمْ

और पैगम्बर ने तुम लोगों से सौगंध ली थी, तुमको अपना वादा याद है?

 

क़ुरआन और अहलेबैत

इसके बाद आपने अहलेबैत और क़ुरआन की श्रेष्ठता और उनकी महानता की तरफ़ इशारा किया है और बताया है कि अहलेबैत का क़ुरआन से क्या संबंध है।

आप फ़रमाती हैं

وَبَقِیَّةٍ {نحن} اِسْتَخْلَفَها عَلَیْکُمْ

वह लोग जो पैग़म्बर (स) से बचें हैं वह हम हैं

हे पहले ख़लीफ़ा तुम्हरे अनुसार कि पैग़म्बर (स) से जो कुछ बचता है वह सदक़ा होता है, और पैग़म्बर (स) की मीरास केवल ज्ञान और हिकमत हैं, तो तुम्हारे अनुसार हमको पैग़म्बर (स) से ज्ञान और हिकमत मिला है! तो जिसके पास हिकमत और इल्म होता है वह क्या ग़लत एवं असत्य दावा करता है?

وَبَقِیَّةٍ {نحن} اِسْتَخْلَفَها عَلَیْکُمْ: {و معنا} کِتابُ الله النَّاطِقُ وَالْقُرْانُ الصَّادِقُ

हम वह बक़ीयतुल्लाह है जो ख़ुदा की तरफ़ से तुम पर ख़लीफ़ा हैं और ख़ुदा की बोलती किताब हमारे साथ हैं

बताओं क़ुरआन में कहा लिखा है कि सुबह की नमाज़ दो रकअत है (1) وَكُلَّ شَيْءٍ أَحْصَيْنَاهُ فِي إِمَامٍ مُّبِينٍ हम हैं।

فبِهِ تبُیان حُجَجُ الله الْمُنَوَّرَةُ

यह क़ुरआन हैं जिसमें ईश्वर की रौशन दलीले हैं,

आप यह क्यों फ़रमा रहीं हैं? आप यह इसलिए फ़रमा रहीं हैं ताकि बाद में इसी के माध्यम से इन लोगों पर हुज्जत तमाम करें।

 

ईश्वरीय अहकाम के राज़

फ़िर इसके बाद आपने इबादतों से रहस्यों को बयान करना शुरू किया।

हज का फ़सलफ़ा क्या है, नमाज़ किस लिए पढ़ी जाती हैं, ईमान क्या हैं आदि

आप फ़रमाती हैं

فَرض الله الْایمانَ تَطْهیراً لَکُمْ مِنَ الشِّرْکِ،

अगर तुम चाहते हो कि शिर्क से पवित्र रहों तो ईमान लाओ, ईमान पर बाक़ी रहों।

उसको बाद आप आगे फ़रमाती हैं

وَطاعَتَنا {اهل البیت} نِظاماً لِلْمِلَّةِ، وَاِمامَتَنا اَماناً لِلْفُرْقَةِ،

अगर व्यवस्थित होना चाहतों अगर चाहते हो कि मुनज़्ज़म रहो अगर चाहते हो कि एकजुट रहो तो हम अहलेबैत का अनुसरण करो।

क्या हुआ कि अभी पैग़म्बर (स) का कफ़न भी मैला नहीं हुआ था कि मुसलमानों के अनुसार रसूल के चौथे ख़लीफ़ा अली (अ) के विरुद्ध तीन बड़ी जंगे की गईं?

ऐसा क्या हुआ कि अभी पैग़म्बर (स) की शहादत को 60 साल भी नहीं बीते थे कि पैग़म्बर (स) के प्यारे नवासे हुसैन को कर्बला की जलती रेत पर तीन दिन का भूखा प्यासा बच्चों के साथ शहीद कर दिया गया?

यह अव्यवस्थित होने और एकता के न होने के कारण है।

हम अहलेबैत का अनुसरण तुमको एकजुट करता है और हमरी इमामत एनेकता से बचाती है।

बारह इमाम है जो सब के सब एक बात कहते हैं लेकिन हमरे सुन्नी भाइयों के यहां चार इमाम हैं लेकिन यह चारों एक दूसरे को काफ़िर कहते हुए दिखाई देते हैं!

فاحمدوا الله الذی بعظمته و نوره ابتغی من فی السماوات و من فی الارض الیه الوسیلة

तमाम वह लोग जो आसमान और ज़मीन में हैं, ख़ुदा को पहचानते हैं, ख़ुदा तक पहुंचने के लिए एक वसीले की आवश्यकता रखते हैं ।

यह वसीला क्या हैं? कौन सी चीज़ हमको ख़ुदा तक पहुंचाती हैं? इसका उत्तर पैग़म्बर (स) की बेटी देती हैं

فنحن وسیلته فی خلقه و نحن آل رسوله و نحن خاصته و محل قدسه و نحن حجة غیبه و ورثة انبیائه

हम मख़्लूक़ात के बीच उसका वसीला हैं, हम आले पैग़म्बर (स) हैं और हम उस ईश्वर के चुने हुए हैं और हम ईश्वर की श्रेष्ठता के स्थान और हम ईश्वर की ग़ैबी हुज्जत और उसके नबियों के वारिस हैं।

 

मैं फ़ातेमा हूँ

इसके बाद हज़रते फ़ातेमा ज़हरा (स) अपना परिचय कराती हैं

तुम लोग पहचानते हो कि मैं कौन हूँ? जानतो हो मैं किस की बेटी हूँ?

اَیُّهَا النَّاسُ! اِعْلَمُوا اَنّی فاطِمَةُ وَاَبي مُحَمَّدٌ {رسول ربکم و خاتم انبیائکم}،

हे लोगों मैं फ़ातेमा (स) हूँ मेरे पिता मोहम्मद (स) हैं (वही रसूल जिनके बारे में तुम लोग अपनी नमाज़ में गवाही देते हो उनके रसूल होने की गवाही देते हो)

पैग़म्बर (स) कौन पैग़म्बर (स) हैं? पैग़म्बर (स) वह हैं जिनके बारे में क़ुरआन फ़रमा रहा हैः

لَقَدْ جَاءَكُمْ رَسُولٌ مِّنْ أَنفُسِكُمْ عَزِيزٌ عَلَيْهِ مَا عَنِتُّمْ حَرِيصٌ عَلَيْكُم بِالْمُؤْمِنِينَ رَءُوفٌ رَّحِيمٌ (2)

पैग़म्बर (स) तुम्हारे बीच से थे, वह सदैव तुम्हारी हिदायत चाहते थे और हमेशा तुमको नर्क की आग से बचाना चाहते थे

فَاِنْ تَعْزُوهُ {وَتَعْرِفُوهُ} تَجِدُوهُ اَبي دُونَ نِسائِکُمْ، وَاَخَا ابْنِ عَمّی دُونَ رِجالِکُمْ،

वह पैग़म्बर (स) मेरे पिता थे तुम्हारी औरतों के पिता नहीं थे, और वह मेरे चचाज़ाद (अली (अ)) के भाई ते तुम्हारे भाई नहीं थे।

 

अली का परिचय

फिर इसके बाद आपने अली (अ) परिचय कराना शुरू किया, कभी सोंचा है कि पहले क्यों अपना परिचय कराया? क्योंकि लोगों ने पहले आप का बात को ठुकरा दिया आपकी गवाही को रद्द कर दिया। और अब आप अली (अ) का परिचय करा रहीं हैं क्योंकि अली (अ) की भी गवाही को ठुकराया गया है।

जिसने भी अली (अ) और फ़ातेमा की बात में झूठ की संभावना बताई हैं दरअस्ल उसने क़ुरआन की आयतों का इन्कार किया है उसने आयते ततहीर को ठुकराया है उसने पैग़म्बर (स) की इस हदीस अली (अ) हक़ के साथ हैं और हक़ अली (अ) के साथ हैको ठुकराया है। हज़रते फ़ातेमा ज़हरा (स) फ़रमाती हैं

क्या तुम मे से कोई ऐसा है जिसके पास यह फ़ज़ीलतें हो? अमीरुल मोमिनीन (अ) जब शूरा में समिलित हुए तो आपने कहा कि मैं समिलित हो रहा हूँ ताकि पहले उनकी दलीलों को काट सकूँ क्योंकि इन्होंने कहा कि अली (अ) तुम ख़लीफ़ा नहीं हो सकते को क्योंकि ख़िलाफ़त और नबूवत एक स्थान पर जमा नहीं हो सकते हैं।

तो मैं कह सकूँ कि जब मैं तुम्हारे अनुसार ख़लीफ़ा बन ही नहीं सकता तो मुझे इस सूरा में समिलित ही क्यों क्यी है?

इसी लिए हज़रते ज़हरा (स) ने इमाम अली (अ) की वह 70 फ़ज़ीलतें गिनाई और फ़रमाया कि तुम लोगों को ख़ुदा की क़सम देती हूँ, तुम में से कोई हैं जो इनमें से कोई एक भी फ़ज़ीलत रखता हो? और आपने इमाम अली (अ) की फ़ज़ीलतों को बयान करना शुरू किया।

 

पैग़म्बर की वफ़ात के बाद कीनों का ज़ाहिर होना

उसके बाद आपने पैग़म्बर (स) की वफ़ात के बाद लोगों के कीनों के ज़ाहिर होने को बयान किया है

आप फ़रमाती हैं

، وَاَطْلَعَ الشَّیْطانُ رَأْسَهُ مِنْ مَغْرَزِهِ

पैग़म्बर (स) की शहादत के बाद शैतान का चेहर उसके छिपने के स्थान से बाहर आ गया, जब्कि अभी पैग़म्बर (स) की शहादत का ज़ख़्म हरा था, फ़ितने का गंदा नुत्फ़ा जो पैग़म्बर (स) के जम़ाने में लोगों के दिलों में था आपके बाद सामने आ गया।

 

फ़िदक और मीरास

इसके बाद आपने मीरास की बहस छेड़ी

आप फ़रमाती हैं

وَاَنْتُمُ الانَ تَزَْعُمُونَ اَنْ لا اِرْثَ لَنا أَفَحُکْمَ الْجاهِلِیَّةِ تَبْغُونَ

और तुम अब यह समझते हो कि हम अहलेबैत के लिए मीरास नहीं है? क्या तुम लोग ज़मान ए जाहेलियत का हुक्म लगा रहे हो?

इस्लाम से पहले के ज़माने में बेटी को मीरास नहीं दी जाती थी, आप इसी बात की तरफ़ इशारा कर रही है कि मुझे मीरास न देना जाहेलीयत की तरफ़ पलट जाना है। जब्कि यह बात सूर्य की भाति रौशन है कि मैं नबी के बेटी हूँ और इस्लाम में बेटी का मीरास में हक़ होता है।

फिर आप फ़रमाती हैं

اابتز ارث ابی

क्या मेरे पिता की मीरास मुझ से छीन ली जाएगी?

یَابْنَ اَبي قُحافَةَ! اَفِي کِتابِ الله ان تَرِثُ اَباکَ وَلا اَرِثُ اَبي؟

आपने प्रश्न कियाः हे क़हाफ़ा के बेटे क्या ख़ुदा की किताब क़ुरआन में यह लिखा हुआ है कि तुम तो अपने पिता से मीरास पाओ, लेकिन मुझे अपने पिता से मीरास न मिले? फिर आपने एक अजीब बात कही

لَقَدْ جِئْتَ شَیْئاً فَرِیّاً

शैअन फ़रीआ क्या है?

जब यहूदियों ने हज़रते मरयम पर यह आरोप लगाया कि तुमने बूरा कार्य किया है और यह बच्चा जो तुम्हारी गोद में है वह हलालज़ादा नहीं है और उस समय यहूदियों ने हज़रत मरियम से यही शब्द कहे थे जिनको क़ुरआन ने इस प्रकार बयान किया हैः

قَالُوا يَا مَرْ‌يَمُ لَقَدْ جِئْتِ شَيْئًا فَرِ‌يًّا (3)

हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स) भी यही बता रही हैं कि अगर तुम यह कहते हो कि तुमको तो अपने पिता से मीरास मिलेगी लेकिन मुझे नहीं तो यह बहुत ही बुरी बात कही है।

फ़िर आप फ़रमाती हैं

اَفَعَلى عَمْدٍ تَرَکْتُمْ کِتابَ الله وَنَبَذْتُمُوهُ وَراءَ ظُهُورِکُمْ

क्या तुम लोगों ने जानबूझ कर ख़ुदा की किताब क़ुरआन को छोड़ दिया है और उसको पसे पुश्त डाल दिया है?

आप यह न समझें के कर्बला के मैदान में हुसैन के जिस्म के टुकड़े टुकड़े किये गए। नही! यह क़ुरआन था जो टुकड़े टुकड़े हुआ था, कर्बला में हुसैन को पामाल नहीं किया गया था बल्कि यह क़ुरआन था जो पामाल हुआ था।

क्या तुम लोग जानबूझकर क़ुरआन को छोड़ रहे हो? क्यों कि क़ुरआन स्वंय फ़रमा रहा हैः

إذْ یَقُولُ الله تبارک و تعالی «وَ وَرِثَ سُلَیْمانُ داوَ دَ» (4)

सुलैमान ने दाऊद से मीरास पाई।

तुम यह कहते हो कि पैग़म्बर (स) मीरास नहीं छोड़ते हैं, मैं जो नबी की बेटी हूँ मुझे पैग़म्बर (स) की मीरास नहीं मिलेगी। क्या यह सुलैमान नबी नहीं थे? क्या सुलैमान को दाऊद की मीरास नहीं मिली थी?

«فَهَبْ لی مِنْ لَدُنْکَ وَلِیّاً یَرِثُنی وَ یَرِثُ مِنْ الِ یَعْقُوبَ» (5)

क्या हज़रते ज़करिया ने यह नहीं कहा था कि हे ईश्वर मुझे एक बेटा दे जो मुझसे और आले याक़ूब से मीरास पाए?

क्या क़ुरआन में यह नहीं कहा गया है किः

«وَ اوَ لُوا الْاَرْحامِ بَعْضُهُمْ اَوْلی بِبَعْضٍ فِي کِتابِ الله»، (6)

क्या क़ुरआन यह नहीं कहा रहा हैः

«یُوصیکُمُ الله فِي اَوْلادِکُمْ لِلذَّکَرِ مِثْلُ حَظِّ الْاُنْثَیَیْنِ» (7)

क्या ख़ुदा क़ुरआन में यह आदेश नहीं दे रहा हैः

«اِنْ تَرَکَ خَیْراً الْوَصِیَّةَ لِلْوالِدَیْنِ وَالْاَقْرَبَیْنِ بِالْمَعْرُوفِ حَقّاً عَلَى الْمُتَّقینَ». (8)

इन सारी आय़तों के बाद भी तुम मुझे मेरे पिता की मीरास देने से इन्कार कर रहे हो तो क्या तुम यह समझते हो किः

فزَعَمْتُمْ اَنْ لا حَظْ لی، وَلا اَرِثُ مِنْ اَبي، وَلا رَحِمَ بَیْنَنا

क्या मीरास में मेरा कोई हिस्सा नहीं है, और मुझे अपने पिता की मीरास नहीं मिलेगा,     और मेरे पिता और मुझ में कोई संबंध नहीं है!!

اَفَخَصَّکُمُ الله بِایَةٍ اَخْرَجَ اَبي مِنْها؟

क्या ख़ुदा की तरफ़ से कोई आयत आई है जिसके माध्यम से मीराम में मेरे पिता ने मुझे बाहर कर दिया है? यानी तुम सबके लिए तो मीरास की आयत हैं लेकिन मेरे लिए नहीं है।

اَمْ تَقُولُونَ: اَهْلَ مِلَّتَیْنِ لا یَتَوارَثونِ؟

या फ़िर तुम लोग यह कह रहे हो कि पैग़म्बर (स) तो पैग़म्बर (स) हैं लेकिन मैं मुसलमान नहीं हूँ, हम दोनों अलग अलग धर्म के हैं?

तारीख़ गवाह है कि बात में यही कहा गया, हुसैन के कटे हुए सर पर पत्थर मारे जा रहे थे और कहा जा रहा था यह एक ख़ारेजी का सर है, यह दीन से पलट जाने वाले का सर है।

क्यों हुसैन का कटा हुआ सर क़ुरआन पढ़ रहा था? हुसैन अपने कटे हुए सर से क़ुरआन पढ़ कर सिर्फ़ इतना बताना चाह रहे थे कि लोगों मैं मुसलमान हूँ!

اَوَ لَسْتُ اَنَا وَاَبي مِنْ اَهْلِ مِلَّةٍ واحِدَةٍ؟

क्या मैं और मेरे पिता एक दीन पर नहीं हैं?

اَمْ اَنْتُمْ اَعْلَمُ بِخُصُوصِ الْقُرْانِ وَعُمُومِهِ مِنْ اَبي وَابْنِ عَمّی؟

क़ुरआन के ख़ास और आम के बार में तुम अधिक जानते हो या हम अहलेबैत? क्या तुम यह समझते हो कि तुम क़ुरआन के ख़ास और आम को मेरे पिता और मेरे चचाज़ाद (अली (अ)) से अधिक जानते हो?

अगर तुम ऐसा समझते हो तो याद रखों

فَنِعْمَ الْحَکَمُ الله، وَالزَّعیمُ مُحَمَّدٌ، وَالْمَوْعِدُ الْقِیامَةُ، وَعِنْدَ السَّاعَةِ یَخْسِرُ الْمُبْطِلُونَ،

बेहतरीन हुक्म करने वाला ख़ुदा है, और बेहतरीन सरपरस्त मोहम्मद और बेहतरीन वादा स्थल क़यामत है और क़यामत के दिन अहले बातिल घाटा उठाने वालों में से हैं।

 

पैग़म्बर (स) से शिकायत

इसके बाद अचानक हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स) (स) ने पैग़म्बर (स) की क़ब्र की तरफ़ चेहरा किया और फ़रमायाः

आपने शेर पढ़े

قد کان بعدک انباء و هنبثة

हे पैग़म्बर (स) हे मेरे पिता आपके बाद बहुत सख़्त समय आ गया हम पर बहुत मुसबतें पड़ी आपके बाद लोगों के दिलों में छिपे हुए कीने सामने आ गए....

 

अंसार से ख़िताब

इसके बाद आपने अंसार को संबोधित कर के फ़रमायाः

یا مَعْشَرَ النَّقیبَةِ وَاَعْضادَ الْمِلَّةِ وَحَضَنَةَ الْاِسْلامِ! ما هذِهِ الْغَمیزَةُ فِي حَقّی وَالسِّنَةُ عَنْ ظُلامَتی؟

हे वह लोग जो यादगारे पैग़म्बर (स) हो, हो ख़ुदा के दीन की सहायता करने वालों, हे इस्लाम लाने वालों को पनाह देने वालों, यह कैसी सुस्ती है यह कैसी नींद है, मेरी सहायता करने में यह कैसी सुस्ती है? यह कैसी कमज़ोरी है जिसने तुमको घेर रखा है? और मुझ पर अत्याचार के सिलसिले में तुम पर कैसी नींद छाई हुई है?

तुमको दिखाई नहीं दे रहा है कि फ़ातेमा तुम से सहायता मांग रहीं है तुम्हारे सामने फ़रियाद कर रहीं हैं लेकिन उनकी सहायता के लिए कोई नही उठ रहा है।

اَما کانَ رَسُولُ الله صَلَّى الله عَلَیْهِ وَالِهِ اَبي یَقُولُ: «اَلْمَرْءُ یُحْفَظُ فِي وَ لْدِهِ»

क्या पैग़म्बर (स) नहीं फ़रमाया करते थे कि अगर किसी का सम्मान करना चाहते हो तो उसकी औलाद का सम्मान करो।

या फ़िर तुम यह कह रहे हो किः

اَتَقُولُونَ ماتَ مُحَمَّدٌ؟

मोहम्मद मर गए सब समाप्त हो गया?

अब उनके किसी आदेश का कोई मतलब नहीं रहा गया वह मर कर इस संसार से जा चुके हैं।

जबकि क़ुरआन कह रहा है किः

وَمَا مُحَمَّدٌ إِلَّا رَ‌سُولٌ قَدْ خَلَتْ مِن قَبْلِهِ الرُّ‌سُلُ ۚ أَفَإِن مَّاتَ أَوْ قُتِلَ انقَلَبْتُمْ عَلَىٰ أَعْقَابِكُمْ ۚ وَمَن يَنقَلِبْ عَلَىٰ عَقِبَيْهِ فَلَن يَضُرَّ‌ اللَّـهَ شَيْئًا ۗ وَسَيَجْزِي اللَّـهُ الشَّاكِرِ‌ينَ (9)

पैग़म्बर (स) से पहले भी दूसरे नबी आए थे लेकिन हे मुसलमानों क्या तुम दूसरी क़ौमों की भाति जब उनके बीच से उनके पैग़म्बर (स) चले गए दीन से पलट रहे हो? जैसे बनी इस्राईल के बीच से जब मूसा केवल चालीस दिनों के लिए चले गए तो वह ईश्वरीय दीन को छोड़कर एक गाय की पूजा करने लगे, तो हे मुसलमानों क्या तुम भी अपने पैग़म्बर (स) के जाने के बाद ईश्वरीय दीन को छोड़ रहे हो?

 

फ़िर आपने अंसार को संबोधित किया और फ़रमायाः

ایهاً بَنی قیلَةَ! ءَاُهْضَمُ تُراثَ اَبي وَاَنْتُمْ بِمَرْأى {مِنّی} وَمَسْمَعٍ

हे बनी क़ैला (औस एवं ख़ज़रज के क़बीले वाले) क्या मुझ पर अत्याचार हो, मेरा हक़ मुझसे छीन लिया जाए, मेरे पिता की मीरास मुझे न दी जाए, और तुम मुझे देख रहे हो, मेरी बात और फ़रियाद को सुन रहे हो और चुप हो?

فَاَنَّى جرتُمْ بَعْدَ الْبَیانِ،

इस सारे बयान के बाद कि पैग़म्बर (स) ने तुम को रास्ता दिखाया तुमको हिदायत दी अब कहां जा रहे हो

نَّكَثُوا أَيْمَانَهُم مِّن بَعْدِ عَهْدِهِمْ وَطَعَنُوا فِي دِينِكُمْ فَقَاتِلُوا أَئِمَّةَ الْكُفْرِ‌ ۙ إِنَّهُمْ لَا أَيْمَانَ لَهُمْ لَعَلَّهُمْ يَنتَهُونَ (10)

तुम डर गए हो तुम तो शहादत को पसंद करने वाले थे तुम तो बहादुर थे, तुम तो वह क़ौम नहीं थे जो वादा तोड़ दें, क्या बहादुर होने के बाद तुम डर गए? वादा तोड़ने वाली क़ौम से तुम डर गए? तो जंग करों कुफ़्र के इमामों से कि वह अपने वादों को पूरा करने वाले नहीं हैं, ताकि शायद वह अपने कार्यों से मुंह मोड़ लें।

 

**********

(1) सूरा यासीन आयत 12

(2) सूरा तौबा आयत 128

(3) सूरा मरयम आयत 27

(4) सूरा नमल आयत 16

(5) सूरा मरयम आयत 5, 6

(6) सूरा अनफ़ाल आयत 75

(7) सूरा निसा आयत 11

(8) सूरा बक़रा आयत 180

(9)सूरा आले इमरान आयत 144

(10) सूरा तौबा आयत 12

 

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

इमाम काज़िम और बीबी शतीता
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ ...
शहादते इमाम मुहम्मद बाक़िर ...
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का ...
हज़रत अली का जीवन परिचय
इमाम हसन (अ) के दान देने और क्षमा ...
ख़ुत्बा -ए- फ़िदक का संक्षिप्त ...
हज़रत इमाम ह़ुसैन अलैहिस्सलाम की ...
नहजुल बलाग़ा ज्ञान का समंदर
शार्गिदे इमाम अली रूशैद हजरी

 
user comment