हाल ही में ईरान के पवित्र नगर कुम में एक अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेन्स आयोजित हुई थी जिसमें विश्व के ८३ देशों के विद्वानों, धर्मगुरूओं और बुद्धिजीवियों ने भाग लिया था। इस कार्यक्रम में चर्चा के विषेश इस प्रकार थे। इस्लामी जगत में तकफीरियों से मुकाबला, शांति और प्रेम की ओर आमंत्रित करना, उपदेशों और तत्वदर्शिता के आधार पर दूसरे धर्मों से लेन देन और विचारों का आदान प्रदान, तकफीरियों के षडयंत्रों को पहचानने के लिए प्रयास करना और पश्चिम द्वारा तकफीरियों के समर्थन के कारण आदि इस कांफ्रेन्स में चर्चा के विषय थे। इसी तरह इस कांफ्रेन्स में भाग लेने वालों ने कांफ्रेन्स की समाप्ति पर ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात की थी।
तकफीरी विचारधारा का लंबा इतिहास रहा है और आरंभ से ही इसे शीया और सुन्नी मुसलमानों एवं विद्वानों के विरोध का सामना रहा है। बूढे साम्राज्य ब्रिटेन ने वहाबियत को पैदा करने और उसके विस्तार में मूल भूमिका निभाई है। आज अमेरिका, ब्रिटेन एवं जायोनी शासन इस विचार धारा को मज़बूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और यह वह बात है जो जगज़ाहिर है।
ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली खामनेई ने पवित्र नगर कुम में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेन्स में भाग लेने वाले विद्वानों से भेंट में तकफीरियों के अपराधों की ओर संकेत किया और कहा कि यद्यपि तकफीरी प्रक्रिया कोई नई चीज़ नहीं है और इसका लंबा इतिहास रहा है परंतु पिछले कई वर्षों से साम्राज्य की योजनाओं व षडयंत्रों और क्षेत्र की कुछ सरकारों के पैसों तथा अमेरिका और ब्रिटेन जैसे साम्राज्यवादी देशों की गुप्तचर सेवाओं के षडयंत्रों से दोबारा जीवित और मज़बूत हो गई है।
जब इस्लामी देशों में जागरुकता की लहर फैल रही थी और पश्चिमी देशों के कठपुतली अरब शासकों की सरकारें खतरें में थीं तो इस स्थिति में साम्राज्यवादी सरकारों की मुक्ति का मार्ग यह था कि वे इस इस्लामी जागरुकता की लहर को उसके अस्ली मार्ग से दिग्भ्रमित कर दें। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता इस संबंध में कहते हैं” इस्लामी जागरुकता आम लोगों की ओर से एसा आंदोलन था जो विभिन्न अफ्रीकी देशों में साम्राज्य के विरुद्ध था, अमेरिका के विरुद्ध था। तकफीरी प्रक्रिया ने इस साम्रराज्य विरोधी, अमेरिका विरोधी और तानाशाही विरोधी आंदोलन को परिवर्तित कर दिया और मुसलमानों के मध्य युद्ध आरंभ कर दिया। इस क्षेत्र में संघर्ष की अग्रिम पंक्ति अवैध फिलिस्तीन की सीमाएं थीं। तकफीरी आये और उन्होंने इस अग्रिम पंक्ति को परिवर्तित कर दिया। बगदाद की सड़कों, सीरिया की जामेअ मस्जिद, दमिश्क, पाकिस्तान की सड़कें, सीरिया के विभिन्न नगर ये सबके सब संघर्ष की अग्रिम पंक्ति! देखिये शक्ति और मुसलमानों के हाथों में तलवारों का प्रयोग किसके विरुद्ध हो रहा है? इन सबका प्रयोग जायोनी शासन के विरुद्ध होना चाहिये। जो कुछ हो रहा है वह अमेरिका और ब्रिटेन की सेवा के लिए हो रहा है” ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि तकफीरियों, जायोनी शासन और उसके समर्थकों के षडयंत्र का एक लक्ष्य जायोनी शासन के साथ असमान युद्ध में गज्जा पट्टी के मुसलमानों को अकेला छोड़ देना और इस्लामी देशों की मूल्यवान एवं आधार भूत सुविधाओं को नष्ट कर देना है। वरिष्ठ नेता ने कहा देखिये कितने रास्ते, कितनी रिफाइनरियां, कितनी खदानें, कितने हवाई अडडे, कितनी सड़कें, कितने शहर और कितने मकान इस गृह युद्ध के कारण नष्ट हो गये। इन सबको बनाने के लिए कितने पैसे और कितने समय की आवश्यकता है। यह नुकसान और आघात हैं जो पिछले कई वर्षों में तकफीरी प्रक्रिया से इस्लामी जगत को पहुंचे हैं।
इस्लाम प्रेम और न्याय का धर्म है। पैग़म्बरे इस्लाम ने फरमाया है” मुझे नैतिकता व शिष्टाचार को उसके चरम शिखर पर पहुंचाने के लिए भेजा गया है” पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजन वह महान हस्तियां थीं जिनकी प्रशंसा मित्र और शत्रु हर दो करने पर बाध्य और उनके सदगुणों को देखकर हतप्रभ थे। इंसानों की प्रतिष्ठा और लोगों के अधिकारों पर ध्यान देने के बारे में पवित्र कुरआन और इस्लामी शिक्षाएं भरी पड़ी हैं। ईश्वरीय धर्म इस्लाम की एक सुन्दरता व विशेषता यह है कि उसके आदेश मानव प्रवृत्ति के बिल्कुल अनुरुप हैं यहां तक कि जब ग़ैर मुसलमान भी इस धर्म की सुन्दरता व विशेषता से अवगत होता है तो वह भी हतप्रभ रह जाता है।
साम्राज्य के अगुवा अपने जीवन को जारी रखने के एकमात्र विकल्प के रूप में देखकर रहें हैं कि जितना हो सके इस्लाम धर्म की छवि को खराब करके आम जनमत के समक्ष पेश किया जाए ताकि लोगों को इस धर्म को स्वीकार करने से रोक सकें। तकफीरी बिल्कुल वही कार्य कर रहे हैं जो इस्लाम के शत्रु चाह रहे हैं। दूसरे शब्दों में तकफीरी वास्तव में मुसलमानों के रूप में इस्लाम और मुसलमानों के शत्रु हैं अंतर केवल इतना है कि तकफीरी इस्लाम की आड़ में मुसलमान बनकर मुसलमानों की हत्या कर रहे हैं और उनके विरुद्ध किसी प्रकार के अपराध में संकोच से काम नहीं ले रहे हैं। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता कहते हैं” तकफीरी प्रक्रिया ने इस्लाम की छवि को दुनिया में आघात पहुंचाया, उसे बुरा बनाया। सारी दुनिया ने टेलिवीज़न पर देखा कि किसी अपराध के बिना ये तकफीरी किसी को बिठाते हैं और उसकी गर्दन तलवार से उड़ा देते हैं। कुरआन में आया है कि जिन लोगों ने तुमसे धर्म के बारे में युद्ध नहीं किया और तुमको अपने घर से नहीं निकाला है ईश्वर तुम्हें उनके साथ भलाई करने से नहीं रोकता है उनके साथ न्याय का बर्ताव करो क्योंकि ईश्वर न्याय करने वालों को पसंद करता है केवल ईश्वर तुम्हें उन लोगों से दोस्ती करने से मना करता है जिन्होंने धर्म के बारे में तुमसे युद्ध किया है और तुमको तुम्हारे घर से निकाला है और तुम्हें तुम्हारे घर से बाहर निकालने में एक दूसरे की सहायता की है” तकफीरियों ने ठीक पवित्र कुरआन की आयतों का उल्टा किया है। उन्होंने मुसलमानों की हत्या की है जिन ग़ैर मुसलमानों ने कोई हानि नहीं पहुंचाई उन्होंने उनकी गर्दन उड़ाई, उसकी तस्वीर पूरी दुनिया में प्रसारित की गयी यह सब इस्लाम के नाम पर किया गया जबकि इस्लाम दया, बुद्धि और तर्क का धर्म है परंतु इस इस्लाम का परिचय तकफीरियों ने हिंसाप्रेमी धर्म के रूप में कराया इससे बड़ा क्या अपराध हो सकता है? इस बुराई से भ्रष्ठ क्या बुराई हो सकती है?
इस प्रकार की स्थिति में मुसलमानों का क्या दायित्व बनता है और किस प्रकार सही ढंग से तकफीरियों का मुकाबला किया जा सकता है? इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि सबसे पहले चरण में इसके लिए बड़े शैक्षिक व तार्किक आंदोलन की आवश्यकता है। तकफीरी झूठे नारों के साथ यानी पैग़म्बरे इस्लाम की विशुद्ध परंपरा के अनुसरण के नारे के साथ इस मैदान में आये हैं। हमें यह सिद्ध करना चाहिये कि जो कार्य यह तकफीरी अंजाम दे रहे हैं वह पैग़म्बरे इस्लाम और महान हस्तियों की जीवन शैली के विपरीत है” उन्होंने जवानों को गलत तकफीरी विचारों से बचाने को इस्लामी विद्वानों एवं धर्मगुरूओं का दायित्व बताया और कहा जवानों को मुक्ति दिलाओ! कुछ लोग हैं जो गुमराह करने वाले विचारों से प्रभावित हो रहे हैं और बेचारे सोचते हैं कि वे अच्छा कार्य कर रहे हैं वे सोचते हैं कि ईश्वर के मार्ग में जेहाद कर रहे हैं यह वही लोग हैं जो प्रलय के दिन कहेंगे हे ईश्वर! हमने अपने से बड़ों का अनुसरण किया है और उन्होंने मुझे रास्ते से भटका दिया। हे पालनहार! तू उन पर दो बराबर प्रकोप कर उन पर धिक्कार कर, बड़ा धिक्कार ईश्वर उनके बहाने को स्वीकार नहीं करेगा इन लोगों को मुक्ति दिलानी चाहिये इन जवानों को मुक्ति दिलानी चाहिये और इस कार्य की ज़िम्मेदारी विद्वानों व धर्मगुरूओं की है”
इसी तरह ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने तकफीरियों को लैस करने में अमेरिका और जायोनी शासन की भूमिका के रहस्योदघाटन को विद्वानों एवं धर्मगुरूओं का दायित्व बताया। इसी प्रकार उन्होंने फिलिस्तीन मामले पर बल दिया और कहा कि फिलिस्तीन, कुद्स शरीफ और मस्जिदुल अक्सा के मामले को भुलाने मत दो। वे चाहते हैं कि इस्लामी दुनिया के ध्यान को फिलिस्तीन मामले से भटका दें। इन्हीं दिनों में जायोनी शासन के मंत्रिमंडल ने फिलिस्तीनी देश की घोषणा एक यहूदी देश के रूप में की। इस्लामी जगत की निश्चेतना में, समस्त राष्ट्रों को चाहिये कि वे अपनी अपनी सरकारों से फिलिस्तीन मामले की मांग करें, इस्लामी विद्वान अपनी अपनी सरकारों से फिलिस्तीन मामले पर कार्यवाही करने की मांग करें यह एक महत्वपूर्ण दायित्व है”
ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने उसके बाद इस्लामी शत्रुओं के मोर्चे विशेषकर अमेरिका और अतिग्रहणकारी जायोनी शासन को हमेशा से अधिक कमज़ोर बताया और मुसलमानों को उनके विरुद्ध एकजुट होने का आह्वान किया। वरिष्ठ नेता ने कहा ईश्वर की कृपा से हम धार्मिक मतभेद की सीमा से बाहर आ गये। हमने जो सहायता लेबनान के हिज़्बुल्लाह की है कि जो शीया है वही सहायता फिलिस्तीन के जेहादे इस्लामी और हमास की भी की है और इसके बाद भी करेंगे हम धार्मिक सीमितता के बंधन में नहीं फंसे। हमने नहीं कहा कि यह शीया है यह सुन्नी है यह हनफी है यह हन्बली है यह शाफेई है यह ज़ैदी है। हमने मूल उद्देश्य को देखा और सहायता की। हम अपने फिलिस्तीनी भाइयों के हाथ ग़ज्ज़ा और दूसरे क्षेत्रों में मज़बूत कर सके और इंशा अल्लाह इसे जारी रखेंगे”