अबनाः क्या इमाम हुसैन (अ) उनकी अज़ादारी और मुहर्रम के पवित्र स्मारक मुसलमानों में मतभेद और विवाद का विषय बन सकता है? वह कौन सा मुसलमान है, हुसैन (अ) जिसके ईमान का हिस्सा न हों?रसूले इस्लाम (स.अ) का वह कौन सा कलमा पढ़ने वाला होगा जिसकी नसों में इमाम हुसैन (अ) का इश्क़ खून की तरह न दौड़ रहा हो, वह कौन सी मुसलमान आँख है जो रसूले इस्लाम (स.अ) के अहलेबैत अ. की प्यास और शहादत की याद में भीग कर फ़ुरात न बन जाना चाहती हो,हुसैन (अ.) की याद और अज़ादारी,इश्क और प्यार की भावना को बढ़ावा देने और बरादरी व भाईचारगी के समारोहों को स्थापित करने का कारण बनता है और दर्द व प्रेम आपस में बाटने वाले आपस में झगड़ा नहीं करते, भाईचारे व समानता के आधार पर गठबंधन और एकता का आधार रखते हैं वह लोग जो हुसैनी समाज में रहते हों और जिनका दीन इस्लाम है,जिसका दीन हुसैन (अ) और हुसैन (अ) के बच्चों के खून के कारण सुरक्षित है,जिस इश्क़ की ज़मीन के निवासी रसूले अकरम (स) और उनके प्यारे नवासे हुसैन (अ) की प्रजा हों, हुसैन (अ) की याद व अज़ादारी में आयोजित मजलिस व मातम और मुहर्रम की मजलिसों और जुलूसों के विरोधी कैसे हो सकते हैं?
विरोध वह करेगा जिसे मुसलमान होने से इंकार हो, हुसैन (अ) का प्यार और हुसैन (अ) की महिमा से इंकार हो, हुसैन (अ) की कुर्बानी और शहादत से इंकार कर जब सभी मुसलमान हुसैन (अ) के सिपाही, हुसैन (अ) के ग़मगुसार हुसैन (अ) के अज़ादार और यज़ीद और यज़ीदियत से बेज़ार हैं तो इमाम हुसैन (अ) से बढ़कर इस्लामी एकता की ओर बुलाने वाला कौन हो सकता है?कहीं हुसैन (अ) के बारे में मुसलमानों के बीच मतभेद पैदा करने वाले वही तो नहीं हैं जो इस्लाम और क़ुरआन और हुसैन (अ) के विरोधी थे?जिन्होंने इस्लाम और हुसैन (अ) के विरुद्ध चढ़ाई की थी?जिन्होंने इस्लाम और कुरआन का ख़ून बहाया था?
मगर हुसैन (अ) के अज़ादारो! कुछ प्रतिशत सही यह भी संभव है कि कुछ लोग हुसैन (अ) और अज़ादारी की सही पहचान न रखते हों,इसलिए हुसैनियों की ज़िम्मेदारी है कि लोगों के बीच हुसैन (अ) और हुसैनियत का सही परिचय कराएं क्योंकि जोश के अनुसार:
इंसान को बैदार तो हो लेने दो। हर क़ौम पुकारेगी हमारे हैं हुसैन।
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