जो व्यक्ति शिक्षा प्राप्ति हेतु एक घंटे के अपमान को सहन नहीं करेगा वह सदैव अज्ञानता के अपमान में ग्रस्त रहेगा।
हमारा चाहने वाला वो हैं जो हमारा अनुसरण करे हमारे पदविन्हों पर चले और हमारे चरित्र को अपनाए।
हर वस्तु की भली नीयत होनी चाहिए, यहाँ तक कि खाने और सोने के मामले में भी।
विवाह करो, तलाक़ न दो क्योंकि तलाक़ से आसमान कॉंप उठता है।
नातेदारों से मिलते - जुलते रहना रोज़ी में बढ़ोत्तरी, लोगों के बीच लोकप्रियता और मृत्यु में विलंब का कारण है।
कोई भी भला काम दिखावे के लिए न करो और किसी भी भले कर्म को लज्जा के कारण न छोड़ो।
क़ुरआन ऐसी आवश्यकतामुक्ति है जिसके पश्चात को दरिद्रता नहीं और क़ुरआन के अतिरिक्त कोई आवश्यकतामुक्ति नहीं है।
उपहारों का आदान प्रदान किया करो क्योंकि इससे द्वेष दूर होता है।
जो किसी बीमार की सहायता करे वह इसमें सफल हो या न हो, उसके पाप इस प्रकार धुल जाते हैं कि मानों वह नया नया अपनी मॉं के पेट से जन्मा है।
सर्वोत्तम जेहाद यह है कि मनुष्य इस स्थिति में अपना दिन आरंभ करे कि वह किसी पर अत्याचार करने का इरादा न रखता हो।
शराबी व्यक्ति विवाह का प्रस्ताव दे तो अपनी बेटी उसे मत दो।
तुममें सबसे अच्छा व्यक्ति वह है जो अपने परिजनों के लिए अच्छा हो।
अपने सहधर्मी की एक दिन की सहायता एक महीने के एतेकाफ़ अर्थात दिन रात मस्जिद में उपासना से बेहतर।
मनुष्य का सबसे मूल्यवान आभूषण, ऐसी शांति है जिस पर ईमान छाया हो।
जो कोई किसी धनवान के पास जाए और (उसके धन के कारण) उसके सामने झुके तो उसका दो तिहाई धर्म चला जाता है।
दृढ़ सकल्प व सावधानी, सफलता की भूमिका है।
जिस किसी ने आप के साथ भलाई की उसको पारितोषिक दीजिए, यदि कुछ न मिले तो उसकी प्रेशैंसा कीजिए, क्योंकि प्रेशैंसा करना भी पारितोषिक है।
दो नेमतें ऐसी है जिनके लिए लोग ईश्वर का आभार व्यक्त नहीं करते , एक सुरक्षा और दूसरे स्वास्थ्य ।
जिस किसी को प्रलय के दिन पर विश्वास है उसे अपने वचन का पालन करना चाहिए।
छिपा कर दिया गया दान, ईश्वर के क्रोध को समाप्त करता है।
सत्य, शन्ति का कारण है और झूठ चिन्ता का कारण।
माता - पिता पर संतान की प्रेम पूर्ण दृष्टि उपासना है।
पेट पूजा तथा अघिक खाने से बचो कोंकि ये शरीर की ख़राबी तथा रोगों का कारण है और उपासना करने में आलस उत्पन्न करता है।
बन्दे के लिए यह बात बुरी है कि अपनी प्रशंसा करे।
आप अपना धन चूंकि सब लोगों को नहीं दे सकते इसलिए जब मिलें तो प्रसन्नचित हों और मुस्कुराएं।
जिस समय शत्रु पर विजय प्राप्त करो, ईश्वर का आभार व्यक्त करते हुए उसे क्षमा कर दो।
मित्रों से मिलना जुलना, मित्रता व प्रेम को सुदृढ़ बनाता है।
रिश्तेदारों से मिलना - जुलना आयु में वृद्धि करता है।
अपने बड़े बूढ़ों का सम्मन करो और बच्चों से प्रेम करो।
जो सबसे अधिक शक्ति शाली बनना चाहता है, उसे ईश्वर पर भरोसा करना चाहिए।
जिसने किसी मोमिन को सताया उसने मुझे सताया।
जो लोगों पर दया नहीं करता , ईश्वर भी उसपर दया नहीं करता ।
जो दूसरों को क्षमा कर देता है, ईश्वर भी उसे क्षमा कर देता है।
जिसने अमानत में बे ईमानी की वो हममें से नहीं है।
ईमान के दो भाग हैं - एक भाग धैर्य और दूसरा ईश्वर के प्रति कृतज्ञता है।
अपने रोगियों का उपचार दान से किजिए।
धर्म को नष्ट करने वाली तीन चीज़ें हैं :ईर्ष्या , आत्म मुग्धता और घमण्ड।
पवित्रता ईमान की निशानी है।
वास्तव में परमात्मा प्रायश्चित करने वाले युवा से प्रेम करता है।
दिल टूट जाए तो दुआ का सहारा लो।
ऐसे के साथ नेकी करो जिसने तुम्हारे साथ बुराई की है।
यदि कोई स्वयं को अपने हृदय की विनम्रता से अथिक विनम्र दर्शाए तो यह मिथ्याचार का परिणाम है।
जब कोई मरता है तो लोग कहते हैं कि उसने क्या छोड़ा है? और फ़रिश्ते कहते हैं कि वह क्या लेकर आया है?
source : alhassanain