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Thursday 26th of December 2024
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शहादते इमामे मूसा काज़िम

इमामे हफतुमी मूसीए काज़िम दिलबरे ज़हरा वसीए सादिके आले नबी को ज़हर से मारा मुकय्यद सत्तरह साल आप ज़िन्दा में रहे पैहम मगर शिकवा बजुज़ जिक्रे खुदा लब तक नहीं आया नमाज़े पढ़ता था वक़्ते फज़ीलत रोज़ादार उठकर
शहादते इमामे मूसा काज़िम

इमामे हफतुमी मूसीए काज़िम दिलबरे ज़हरा
वसीए सादिके आले नबी को ज़हर से मारा


मुकय्यद सत्तरह साल आप ज़िन्दा में रहे पैहम
मगर शिकवा बजुज़ जिक्रे खुदा लब तक नहीं आया


नमाज़े पढ़ता था वक़्ते फज़ीलत रोज़ादार उठकर
फ़रागत पाते ही करता था फिर माबूद का सजदा


सुना यूँ शह को कहते बारहा दरबारे ज़िन्दां ने
के ख्वाहिश थी दिया तूने मुझे ताअत को घर तन्हा


थे एक दिन मुबतिलाए दर्द मौला यह ख़बर सुनकर
तबीबे ख़ास को हारुन रशीदे नहस ने भेजा


यह फहमाएश हकीमे रू सियाह से की थी ताकीदन
दवा में इब्ने फ़रज़न्दे नबी को ज़हर दे देना।


source : alhassanain
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