सऊदी अरब ने कहा है कि चालीस साल से कम उम्र वाले अफगानियों को हज्जे उमरा का वीज़ा नहीं दिया जाएगा।
अफगानिस्तान के विदेशमंत्रालय ने सऊदी अरब की ओर से इस घोषणा के बाद, अफगानिस्तान में सऊदी राजदूत को तलब करके इस कानून की वजह पूछी किंतु सऊदी राजदूत ने कोई कारण नहीं बताया।
अफगानिस्तान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता शकीब मुस्तग़नी का कहना है कि इस संदर्भ में एक प्रतिनिधिमंडल सऊदी अरब भेजने का फैसला किया गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि अफगानिस्तान के चालीस साल से कम उम्र रखने वालों को उमरा करने की इजाज़त क्यों नहीं दी जाएगी?
याद रहे पिछले साल सऊदी अरब ने तीस साल से कम उम्र वाले अफगानियों को वीज़ा देने से इन्कार कर दिया था।
सऊदी अरब ने इस साल ईरानियों को भी हज का वीज़ा देने से इन्कार कर दिया है। सऊदी अरब ने ईरानी नागरिकों को वीज़ा देने के लिए कई शर्तें रखी और ईरान से एक दस्तावेज़ पर दस्तखत कराने चाहे जिसमें ईरानी हाजियों पर कई प्रकार की पाबंदियां लगाने की बात की गयी थी।
ईरान ने हज के लिए सऊदी अरब की तरफ से पेश गयी शर्तों के पालन को कठिन बताया लेकिन सऊदी अरब ने शर्तों को स्वीकार किये बिना ईरानी नागरिकों को हज का वीज़ा देना से इन्कार कर दिया।
सऊदी अरब की ईरानी हाजियों की शर्तों में से एक शर्त यह भी थी कि ईरानी सरकार यह वादा करे कि उसके हाजी, मक्का या मदीना में ऊंची आवाज़ में दुआ नहीं पढ़ेंगे और न ही अमरीका व इस्राईल के खिलाफ नारे लगाने के लिए किसी स्थान पर एकत्रित होंगे।
सऊदी अरब हज के लिए विभिन्न प्रकार की शर्तें एेसी स्थिति में लगा रहा है कि जब काबा और मक्का मदीना पर सारे मुसलमानों का अधिकार है।
याद रहे धार्मिक संस्कारों के लिए आयु की शर्त लगाने का काम इस्राईल ने शुरु किया है।
इस्राईल फिलिस्तीन के बैतुलमुक़द्दस में जुमा की नमाज़ के लिए मस्जिदुल अक़्सा में प्रवेश की अनुमति केवल उन फिलिस्तीनियों को देता है जिनकी आयु साठ साल से ऊपर हो। अलबत्ता इस्राईल विभिन्न अवसरों पर अपनी शर्तों और आयु में बदलाव करता रहता है।
source : abna24