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Tuesday 26th of November 2024
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इमाम अली (अ) ने किसी बुत के सामने सजदा नही किया

उस्ताद अहमद हसन बाक़ूरी, वज़ीरे अवक़ाफ़े मिस्र तहरीर करते हैं: तमाम असहाब के दरमियान सिर्फ़ इमाम अली (अ) को कर्मल्लाहो बजहहू कहे जाने की वजह यह है कि आपने कभी किसी बुत के सामने सजदा नही किया। (अली (अ) इमामुल आईम्मा पेज 9)
इमाम अली (अ) ने किसी बुत के सामने सजदा नही किया

उस्ताद अहमद हसन बाक़ूरी, वज़ीरे अवक़ाफ़े मिस्र तहरीर करते हैं: तमाम असहाब के दरमियान सिर्फ़ इमाम अली (अ) को कर्मल्लाहो बजहहू कहे जाने की वजह यह है कि आपने कभी किसी बुत के सामने सजदा नही किया। (अली (अ) इमामुल आईम्मा पेज 9)

उस्ताद अब्बास महमूद अक्क़ाद तहरीर करते हैं: मुसल्लम तौर पर हज़रत अली (अ) मुसलमान पैदा हुए हैं, क्यो कि (अशहाब के दरमियान) आप ही एक ऐसी शख्सियत थी, जिन्होने इस्लाम पर आँख़ें खोलीं और आप को हरगिज़ बुतों की इबादत की कोई शिनाख़्त न थी। (अबक़िरयतुल इमाम अली (अ) पेज 43)

डाक्टर मुहम्मद यमानी रक़्मतराज़ है कि अली बिन अबी तालिब हमसरे फ़ातेमा, साहिबे मज्द व यक़ीन, दुख़्तरे बेहतरीने रसूल (कर्मल्लाहो बजहहू) हैं जिन्होने कभी किसी बुत के सामने तवाज़ो व इंकेसारी (यानी इबादत) नही की है। (अल्लिमू औलादकुम मुहब्बता आले बैतिन नबी (स) पेज 101)

(हज़रत अली (अ) की यही फ़ज़ीलत डाक्टर मुहम्मद बय्यूमी मेहरान, उम्मुल क़ुरा मक्क ए मुअज्ज़मा शरीयत कालेज के उस्ताद और मुसम्मात डाक्टर सुआद माहिर भी बयान करते हैं।

(अली बिन अबी तालिब (अ) पेज 50, मशहदुल इमाम अली (अ) फ़ीन नजफ़ पेज 36)


source : alhassanain
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