قالَ رسولُ الله صلي الله عليه و آله :
إذا صَلَّتِ المَرأةُ خَمسَها و صامَت شَهرَها و أحصَنَت فَرجَها و أطاعَت بَعلَها فَلَتَدخُلُ الجَنَّةَ مِن أيِّ أبوابٍ شاءَت.
हज़रत रसूले इस्लाम स.अ. फ़रमाते हैंः जब औरत अपनी पांचों वक़्त की नमाज़ पढ़े, रमज़ान के मुबारक महीने में रोज़े रखे और अपने चरित्र को पाक रखे और अपने पति का आज्ञापालन करे तो स्वर्ग के जिस दरवाजे से चाहे दाखिल हो सकती है।