मुख्तसर तौर पर उन कामों का ज़िक्र करता हूँ। जिन्हें इबादत के खूबसूरत नाम से याद किया गया है, और जिन पर अमल उसी तरह लाज़िम है जिस तरह कि नमाज़ का अदा करना।
*झूठ, गीबत,शराब और जादू से बचो।
*तेज़ आवाज़ में न बोलो।
*इत्तेहाद क़ायम रखो।
*आपसी ताल्लूकात ठीक रखो।
*खुद को गिरोह में मत बांटो।
*अमन से रहने वालों के साथ अमन से रहो।
*इमाम से झगड़ा मत करो।
*किसी की दुश्मनी मे नाइन्साफी मत करो।
*बुरी बात ज़बान पर मत लाओ।
*सबके साथ अच्छी तरह बात करो।
*खुश अख़्लाकी इख़्तियार करो।
*बुरी बात का जबाब अच्छी बात से दो।
*बदगुमानी से बचो।
*मोमिन को छोड़कर मुनकिर से दोस्ती न करो।
*बदकारी और बेशरमी से बचो।
*बुरे कामों और गुनाहों से बचो।
*किसी पर इल्ज़ाम मत लगाओ।
*खुद को बड़ा न समझो।
*घमण्ड से बचो।
*बीवी को दिया माल वापस न लो।
*बीवी के साथ अच्छा सुलूक करो।
*बेहूदी बात कहना हराम है।
*किसी को बुरे नाम से न पुकारो।
*सब्र से काम लो।
*गुस्सा न करो।
*तकब्बुर और गुरुर से बचो।
*नेक कामों की तबलीग़ करो।
*किसी को तकलीफ़ न दो।
*दो गिरोह लड़ पड़े तो सुलह कराओ।
*औरतें अपनी ज़ीनत की जगह को छुपाऐं।
*अमानत में ख़यानत न करें।
*वादा पूरा करो।
*पूरा नापो और पूरा तोलो।
*क़त्ल और फसाद से बचो।
*खुश अख़्लाकी ओर माफी का तरीका इख़्तियार करो।
*माँ ,बाप और बीवी,बच्चों के साथ अच्छा सुलूक करो।
*पैदल चलने बालों के लिए रास्ता साफ रखो।
*सड़क पर मत बैठो।
*यतीम और सवाली पर सख़्ती न करो।
*किसी का हक़ न मारो।
*इसलिए कर्ज़ न दो के वापस लेते वक़्त ज़्यादा वसूल करोगे।
*खेरात और सदका दिया करो।
*बेशरमी से बचो।
*ज़िना से बचो।
*रात को आराम करो और दिन को रोज़ी तालाश करो।
*हैसीयत के मुताबिक ख़र्च करो।
*फुजूल ख़र्ची से बचो।
*बीवी पर ज़ुल्म न करो।
*किसी पर तन्ज़ न करो।
*हलाल रिज़्क खाओ मगर हद से न बढ़ो।
*तकलीफ में सब्र से काम लो।
*शर्मगाह की हिफाजत करो।
*अमल और अख़्लाक में खुद को सजाओ
*सच्ची गवाही दो।
*किसी की वसीयत न बदलो।
*किसी का मज़ाक न उढ़ाओ।
*चुग़ली और तानो से बचो।
*किसी पर जुल्म न करो।
*आजिज़ी इख़्तियार करो।
*माल ओर इज्ज़त पर घमण्ड न करो।
*लोगो का नुकसान करके फसाद न फैलाओ।
*रिश्तेदारों और अज़ीज़ो,पड़ोसियों के साथ अच्छा सलूक करो।
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