Hindi
Friday 27th of December 2024
0
نفر 0

वाकेआ ऐ हुर्रा

वाकेआ ऐ हुर्रा



ये वाकिआ 63 हिजरी के ज़िलहिज्जा के महीने मे पेश आया (1)और वाकेआ ऐ हुर्रा के नाम से मशहूर हुआ।(2)

 

करबला के खूनी वाकेऐ के बाद लोग यज़ीद की खबासत और बेदीनी को जान गऐ थे इसलिऐ लोगो ने इसके खिलाफ जिहाद और कयाम करना शूरू कर दिया।

 

अब्दुल्ला बिन हनज़ला और दूसरे असरदार लोगो ने मदीने मे खूनी इंक़ेलाब बरपा करने शूरू कर दिये।

 

मदीने के लोगो ने पहले अब्दुल्ला बिन हनज़ला से जान और मौत की बाज़ी पर बैअत की और फिर उस्मान बिन मौहम्मद बिन अबुसुफयान जो कि मदीना का गवर्नर था, को बाहर निकाला। बनी उमय्या मरवान बिन हकम के घर जमा हो गऐ और उनको वही पर क़ैद कर दिया गया।

 

मदीने के लोगो ने यज़ीद की खिलाफत का इंकार करके उस पर लानते शूरू कर दी। यज़ीद को जब इस बात की खबर मिली तो उसने एक बड़े लश्कर को तैयार किया और इस लश्कर को मुस्लिम इब्ने उक़बा जैसे खूँखार कमांडरी मे मदीने की तरफ भेज दिया।(3)

 

इस खूँखार कमांडर ने मदीने को चारो तरफ से घेर कर उनके क़याम को वही खत्म कर दिया और मदीने के लोगो का खून बहाना शूरू कर दिया और इसमे बहुत सारे मदीना वासी मारे गऐ।

 

इब्ने असीर लिखता है कि मुस्लिम इब्ने उक़बा ने मदीने को अपने लशकर वालो के लिऐ हलाल कर दिया था कि जो चाहे करो तुम्हे पूरी छूट है। उन्होने बहुत बड़ी संख्या मे लोगो को मारा और उनके माल को लूट लिया। (4)

 

इब्ने क़तीबा लिखता है कि यज़ीद का एक सिपाही एक औरत के घर मे घुस गया। उस औरत के पास एक दूधपीता बच्चा था। सिपाही ने उस औरत से मालो दौलत के बारे मे पूछा तो उस ने जवाब दिया कि मेरे पास जो कुछ था तुम्हारे सिपाही छीन कर ले गऐ।

 

तो यज़ीद के उस पत्थर दिल सिपाही ने उस औरत के बच्चे को उससे छीन कर उसी के सामने उस बच्चे को इस तरह दीवार पर पटखा कि उस बच्चे का दिमाग़ बाहर निकल आया। (5)

 

मुस्लिम इब्ने उक़बा ने जब मदीने वालो को अपने अंडर मे कर लिया तो उसने मदीने वालो से यज़ीद की गुलामी की बैअत ली ताकि उनकी औलाद भी यज़ीद के इख्तियार मे रहे और जिस तरह चाहे उनसे काम ले और अगर वो मना करे तो उनको क़त्ल कर दे। (6)

 

इस वाकेऐ मे मुहाजिर और अंसार के 1700 और आम मुसलमानो मे से 10000 लोग क़त्ल हुऐ।(7)

 

इब्ने अबिलहदीद लिखता है कि शाम के लश्कर वालो ने मदीने के लोगो के इस तरह सर काटे जैसे क़साई भेड़ बकरी के सर काटता है।

 

इस तरह खून बहाया कि ऐसे कोई इंसान खून नही बहा सकता। मुहाजिर, अंसार की औलाद और मुजाहिदो को क़त्ल कर दिया और जो उनमे से बाकी रह गऐ थे उनसे यज़ीद के ग़ुलाम की हैसीयत से बैअत ली।(8)

 

इतिहासकारो ने लिखा है कि मुस्लिम इब्ने उक़बा ने इस कद़र खून बहाया कि वो मुसरिफ (बहुत ज़्यादा खून बहाने वाला) मशहूर हो गया।(9)

 

इस वाकेऐ मे औरतो की भी बेहुरमती हुई और उन सब के साथ बलात्कार किया गया।(10)

 

याक़ूत हमूदी अपनी किताब “मौजमुल बुलदान” लिखता है कि इस वाकेऐ मे मुस्लिम इब्ने उक़बा ने औरतो को भी अपनी फौज के लिऐ हलाल कर दिया था।(11)

 

अहले सुन्नत के मशहूर आलिम स्यूती ने नक़ल किया है कि हसन बसरी ने इस वाकेऐ को याद करते हुऐ कहा कि खुदा की क़सम, इस वाकेऐ से कोई नही बच सका (या कत्ल कर दिये गऐ या उनकी बेइज़्जती की गई।)

 

इस वाकेऐ मे बहुत ज़्यादा असहाब और दूसरे मुसलमान कत्ल कर दिये गऐ। मदीने को ग़ारत कर दिया गया और हज़ार लड़कीयो के साथ बलात्कार किया गया।

 

फिर वो बहुत ही अफसोस के साथ कहता हैः इन्ना लिल्लाह व इन्ना इलैहे राजेऊन।

 

फिर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुऐ कहता हैः जब रसूल अल्लाह ने फरमाया थाः जो कोई भी मदीने वालो को डरायेगा तो खुदा उस पर वहशतनाक (गुस्सा) होगा। ऐसे शख्स पर खुदा, फरीश्तो और दूसरे लोगो की लानत हो।(12)

 

इसी वाकेऐ के बाद यजीद के लश्कर ने मक्के पर हमला कर के काबे मे आग लगा दी थी।

 

1.    कामिल इब्ने असीर जिल्द 4 पेज़ न. 374
2.    हुर्रा मदीने का एक इलाक़ा है और इस वाकेऐ का नाम इसलिऐ वाकेआऐ हुर्रा पड़ा क्योकि शाम की फौज इसी इलाक़े से मदीने मे दाखिल हुई थी।
3.    मावीया ने यज़ीद को वसीयत की थी कि अगर मदीने वाले बैअत न करे तो उन्हे मुस्लिम इब्ने उक़बा के जरीऐ कुचल देना।
4.    कामिल इब्ने असीर जिल्द 4 पेज़ न. 117
5.    अलइमामत वस् सियासत जिल्द 1 पेज़ न. 832
6.    तारीखे तबरी जिल्द 4 पेज न. 381-384
7.    अलइमामत वस् सियासत जिल्द 1 पेज़ न. 239 और जिल्द 2 पेज न. 19
8.    शरहे नहजुल बलाग़ा इब्ने अबिल हदीद जिल्द 3 पेज न. 952
9.    कामिल इब्ने असीर जिल्द 4 पेज़ न. 21
10.  अलइमामत वस् सियासत जिल्द 2 पेज न. 15
11.   मौजमुल बुलदान जिल्द 2 पेज न. 942
12.   तारीखुल खौलफा पेज न. 233

हवालाः किताब आशूरा, आयतुल्लाह मकारिम शीराज़ी, पेज न. 127

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

हज़रत यूसुफ और जुलैख़ा के इश्क़ ...
हज़रत इमाम सज्जाद अ.स.
रसूले अकरम और वेद
स्वीकृत प्रार्थना
अमीरुल मोमेनीन हज़रत अली अ. और ...
इस्लाम और सेक्योलरिज़्म
हदीस-शास्त्र
बहरैन नरेश के आश्वासनों पर जनता ...
हजरत अली (अ.स) का इन्साफ और उनके ...
जन्नतुल बकी मे दफ्न शख्सियात

 
user comment