Hindi
Tuesday 26th of November 2024
0
نفر 0

सूर –ए- आराफ़ का संक्षिप्त परिचय

सूर –ए- आराफ़ का संक्षिप्त परिचय



पहली आयतों में फ़रिश्तों की सहायता की ओर संकेत किया गया है: उस समय को याद करो जब दुश्मनों की अधिक संख्या और उनके अधिक सैन्य बल से तम बहुत भयभीत थे और तुमने अल्लाह से सहायता मांगी। उस समय अल्लाह ने तुम्हारे दुआ स्वीकार की और फ़रमाया, मैंने एक हज़ार फ़रिश्तों द्वारा तुम्हारी सहायता की है जो एक दूसरे के पीछे नीचे आते हैं। उसके बाद कहता है, अल्लाह ने यह काम केवल तुम्हें शुभ संदेश देने और तुम्हारे हार्दिक संतोष के लिए अंजाम दिया है और विजय केवल अल्लाह की ओर से है। इसलिए कि ईश्वर इतना शक्तिशाली है कि कोई उसके निर्णय के मुक़ाबले में खड़ा नहीं हो सकता।


उसके बाद अल्लाह अपनी दूसरी कृपा का उल्लेख करते कहता है, उस समय को याद करों जब तुम सुख से सोए जिससे तुम्हें शांति प्राप्त हुई। बद्र के रण क्षेत्र में अल्लाह की तीसरी अनुकंपा बारिश थी, बारिश द्वारा उसने तुम्हें पाक साफ़ किया और शैतानी गंदगियों को तुमसे दूर किया। अल्लाह इस प्रकार तुम्हारे दिलों को मज़बूत करना चाहता था। इसी प्रकार वह चाहता था कि बारिश द्वारा उस पत्थरीली ज़मीन को जिसमें तुम्हारे पैर धंस रहे थे और डगमगा रहे थे स्थिर कर दे।


अल्लाह की ही सहायता थी कि जो उसने दुश्मनों के दिलों में बद्र के योद्धाओं का भय डाल दिया जिससे उनका आत्मविश्वास लड़खड़ा गया। परिणाम स्वरूप, क़रैश की शक्तिशाली सेना ने इस्लाम की छोटी सी सैन्य टुकड़ी के मुक़ाबले में अपना आत्मविश्वास खो दिया था। सूरए अनफ़ाल की आयतों में अल्लाह सुबाहनहु ताला ने मुसलमानों की कार्यशैली की समीक्षा की है और उनकी कमज़ोरियों और ताक़त के बिंदुओं का उल्लेख किया है। आयतों में इन संवेदनशील परिस्थितियों को बयान किया गया है ताकि मुसलमान उससे सीख लें। बद्र युद्ध की उपलब्धि यह थी कि इससे मुसलमानों को काफ़ी प्रगति प्राप्त हुई। इस उज्जवल जीत से समस्त अरब में मुसलमानों की शक्ति का डंका बज गया और सभी इससे आश्चर्य में पड़ गए।


सूरए अनफ़ाल की 45वीं, 46वीं और 47वीं आयतों में युद्ध एवं जेहाद के अन्य क़ानूनों के बारे में संकेत किया गया है। अल्लाह योद्धाओं से चाहता है कि रण क्षेत्र में दुश्मनों के मुक़ाबले में डटे रहें, अल्लाह को अधिक याद करें, अल्लाह और उसके पैग़म्बर का पालन करें, आपस में झगड़ा नहीं करें और एकता बनाए रखें, डटे रहें और अंहकार एंव दिखावे के लिए रण क्षेत्र में नहीं जाएं और लोगों को अल्लाह के रास्ते पर चलने से नहीं रोकें।

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

कर्बला में इमाम हुसैन ...
हज़रत अबुतालिब अलैहिस्सलाम
इल्म
इमाम जवाद अलैहिस्सलाम का शुभ ...
हज़रत फ़ातेमा मासूमा(अ)की शहादत
मैराज
प्रकाशमयी चेहरा “जौन हबशी”
इमाम हुसैन अ. के कितने भाई कर्बला ...
क़ातिलाने इमाम हुसैन (अ)
कव्वे और लकड़हारे की कहानी।

 
user comment