साबिरः सलामुन अलैय कुम.
बाक़िरः अलैय कुम अस् सलाम.
साबिरः तुमहारे आने का ख़ुश व अभिनन्दन कहता हूँ.
बाक़िरः हमारे चचाज़ाद भाई यहाँ रहते है उनका का परिदर्शन करने के लिए आया हूँ।
साबिरः आप मुझे सम्मान और गौरब प्रदान किए है. कि मै आज आप की सेवा ( ख़िदमत) में रहूँ.
बाक़िरः हमारे निकट अधिक से अधिक कार्य-काम है(17) मात्र (सिलाह रह्म) आपने परिवार को प्रदर्शन करने के लिए सब कुछ आपना कार्य-काम त्याग करके चला आया हूँ. लेकिन मै तुम से क्षमा चाहता हूँ.
साबिरः यह कभी संम्भब नहीं है कि, दो दोस्त एक मुद्दत व कई बर्ष के बाद एक आपर को दर्शन के लिए उपस्थित हूआ हूँ. लेकिन एक घंटा आपनी गुफ़्तगु से दूर रहूँ १ यह व्यतीत तुमहारे ऊपर आपना द्बीनी भाई का अधिकार रख़ता हूँ. आपर तरफ़ हमारे और तुमहारे दर्मियान एक मोमिन भाई जो शिया और सुन्नी संम्बधमें गुफ़्तुगु हूई है इस हिसाब से तुमहारे ऊपर एक यक़ीन रख़ता हूँ. मै चाहता हूँ कि इस संम्बधमें तुम से कुछ गुफ़्तगु करुं. और इस विबरण से हमारी कथाएं परिष्कार हो जाएगी और मेरी निमंत्रण को भी त्याग कर नहीं सक्ते हो।
बाक़िरः खुदा हाफिज़, आऊगां.
उस समय दो दोस्त साबिर के गृह पर चल दिए. और दोनों के दर्मियान नई नई कथाए और बातें व विभिन्न प्रकार रदीबदल होने के बाद बाक़िर साबिर से प्रश्न कियाः
तुमहारे और उस शिया द्बिनी भाई के दर्मियान जो कथाएं हूई थी किस सम्बधं में थी १
साबिरः पैगम्बर, इमाम, और सालेहीन, अलिम, व मोमेंनीन को क़ब्र को सोना, चांदी के द्बारा ख़ूबसूरत करके निर्माण करने के प्रसंग में था.
बाक़िरः इस में किया समस्य देख़ाई दे रहा है.
साबिरः किया यह कार्य-काम हराम व निषेध नहीं है१
बाक़िरः क्यों हराम व निषेध हो१
साबिरः किया मृत व्यक्ति इस ख़ूबसूरत निर्माण चीजों से कुछ लाभ-नफ़ा-फ़ैदा अर्ज़न करता है १
बाक़िरः न.
साबिरः इस कारण पर, यह काम आपव्यय और इस्राफ़ है. इस प्रसंग खुदा बन्दे आलम ईर्शाद फ़रमाते हैः
(... ولا تبذر تبذیراً * إن المبذرين کانوا إخوان الشياطين...)
फुज़ूल व अप्व्यय ख़र्च न करो, क्योंकि यह आपव्यय ख़र्च शैतान का कार्य-काम है।
बाक़िरः काबा गृह के प्रसंग समंधं, जो सोना और चांदी से उस का पर्दा लटक रहा है उस प्रसगं तुम किया फ़रमा रहै हो१
साबिरः मै कुछ नहीं जानता हूँ, कि किया कहूँ.
बाक़िरः जाहैली व अज्ञानी यूग से लेकर आज के यूग तक अधिक से अधिक सोना-चांदी विभिन्न प्रकारके स्थान और देश-प्रदेश से काबा गृह के लिए प्रथमभता हूआ है और हो भी रहा है ( इब्ने ख़ल्लदून)(18) अपनी पूस्तक के भुमीका(19) में लिख़ते है कि ( पुरातन- क़दीम उम्मत और सम्प्रदाय क़ौम इस काबा गृह को एक बढ़ा और महतपूर्ण समझती थी और समस्त प्रकार बादशाहों ने विभिन्न प्रकार सोना-चांदी इस काबा गृह के लिए भेजा-दिमाग़ करता ता. एक वक़्या प्रसिद्ध व मश्हूर है, कि जिस समय अब्दुल मुत्तालिब ज़म ज़म का एक कूआं ख़ोद रहै थे उस समय एक दो ग़ज़ाली शमशीर हासिल किया था, लेकिन यह घटना बहुत मश्हूर और प्रसिद्ध है कि उस समय हज़रत रसूले ख़ुदा (साः) मक्के को विजय अर्जन किया था हलाकिं वेह कुए काबा गृह शरीफ़ के निकटवर्ती में उपस्थित था जिस में से दो मिलोयन दिनार का सोना को हासिल किया और उस सोना को काबा गृह के लिए हदिया के तौर प्रदान किया था और उस का वज़न तक़रीबन दो सौ (क़न्तार) प्रत्येक क़न्तार में सौ रत्ल था) हज़रत अली (अः) हज़रत रसूले अकरम (साः) से संदेश दि कि या रसूलुल्लाह, उत्तम होगें कि यह अधिक सर्वात को यूद्ध के लिए मुशरीक़ीन के पीछे ख़र्च किया जाए, पैगम्बर अकरम (साः) इस कार्य से निषेध घोषित किया और अबुबक्र भी इस काम से भी कोई प्रतिदन्द्बी नहीं किया.(इब्ने ख़ल्ल्दून इस विषय में विबरण देते हूए फ़रमाते है) (अबु वाएल (शैयबह इब्ने उसमान से) नक़्ल करके फ़रमाते है मै उमर के निकटवर्ती में था कि उमर फ़रमाते हैः कि समस्त प्रकार सोना और चादीं ( काबा गृह के उपस्तित में) की मुसलमान के अंर्तगत में भाग कर दिया जाएं।
मै ने कहाः किया काम करना चाहते हो१ (इस तरह कार्य-काम करने का तुमहारा कोई अधिकार व निर्देश नहीं है).
उमर ने कहाः क्यों १ मै ने कहाँ पैगम्बर अकरम (साः) और अबुबक्र ( तुम से पहले मुसलमान के पथ प्रदर्शक थें) लेकिन इस काम को परित्याग किया।
उमर ने कहाँ. (पास) हमारे लिए भी उचित है कि उन व्यक्तियों की तक़्लीद करें)(20)
साबिरः अब बताउ, मै तुम से एक प्रश्व करना चाहता हूँ, किया काबा गृह उन समस्त प्रकार सोना चांदी से लाभ हासिल करता था १ या ख़ुदा बन्दे आलम इन तमाम व समस्त प्रकार ख़ूबसूरत और मुनज़्ज़ा पोषाकों चीजों से लाभ हासिल करता था १
साबिरः यह कभी हो ही नहीं सकता १
बाक़िरः इस हाल में पैगम्बर अकरम (साः) इन समस्त प्रकार सरवत से कुछ नफ़ा व लाभ हासिल नहीं किया, हत्ता एक ज़र्रह बराबर भी व्यबहार नहीं कि हलाकिं एक ऐसा समय था कि उस समय इस्लाम-धर्मकी इस तरह के धन-सम्पद की ज़रुरत थी अगर होता यक़ीनन इस्लाम-धर्म सरासर गीति में फ़ैल जाता।
शायेद यहाँ कोई एक प्रश्व करे कि रसूले ख़ुदा (साः) दीन-इस्लाम को प्रचार करने के लिए और आपने अस्ल उद्देश्व तक पहूँच ने के लिए इन समस्त प्रकार माली नियाज़ रख़ते थे, तो आप इन समस्त प्रकार सर्वतों और दिनारों व दिर्हमों को व्यबहार क्यों नहीं किया १
इस उत्तर के जवाब मे परिष्कार है किः यह सब धन-दौलत एक मात्र काबा गृह के लिए मखसूस-विशेष था, ताकि इन तमाम माल द्बारा जनसाधारण के सामने काबा गृह का सम्मान और अज़्मत में बृद्ध पाएं, लेकिन हमे भूलना नहीं चाहिए कि काबा गृह का मान-सम्मान इज़्ज़त अल्लाह के निकट हमारी फ़िक्र से कही ऊपर है. और यह सब तमाम प्रकार सर्वत काबा गृह के लिए मान-सम्मान का बृद्दि में कोई कमि नहीं आएगी और न-सर्वत न-होने के कारण, लिहाज़ा सोने का गुम्बद, और सोने चांदी द्बारा, वली और औलिया के मज़ारे शरीफ़ के दर्वाजे ख़ूबसूरत करके सजाना, जैसा कि इमाम अली (अः) के मजार शरीफ़, इमाम हसन (अः), और इमाम हूसैन (अः) व इमाम रिज़ा (अः) अल्लाह के दरुद व सलाम उन महान व्यक्तियों पर वर्षित हो, अल बत्ते यह सब मक़ाम व मनज़िलत इन तमाम प्रकार ख़ूबसूरत बृद्धि होने के कारण, ना उन व्यक्तियों को सम्मान मे कम और ना- बृद्ध पाएगा। उधारण के तौर पर इमाम हूसैन (अः) के पवित्र मर्क़द व मज़ार शरीफ़ में कई बार दुश्मन का हमला हूआ लेकिन यह सब होने के बावजूद इमाम हूसैन (अः) के रौज़े के सहैन में पवित्र गु़म्बद शरीफ़ उपस्थित है, और प्रत्येक दिन इमाम हूसैन (अः) का पवित्र मज़ार व रौज़ा शरीफ़ सोने और चांदी से खूबसूरत और अधिक से अधिक उत्तम होते जा रहै है।
साबिरः यह सब तमाम प्रकार चीजें अल्लाह के वलीयों को जनसाधारण व्यक्तियों के सामने महान समझना है१
बाक़िरः हाँ, तुम से एक विषय प्रसगं कथा कहना चाहता हूँ ताकि विषय परिष्कार हो जाएं. और वे यह है कि अगर तुम यहूदियीं की कबरस्तान मे जाओगे यक़ीनन परिदर्शन करोगें की उन के व्यक्तित्वपूर्ण आलिम के क़ब्रिस्तान विरान व ख़ालि पढ़ा हूआ है. और ऐसा कोई कम्रा और सक़्फ नहीं है कि उन की ज़्यारत करने वालों के लिए एक पनाहगाह या आपर भाषा में कहा जाएं कि एक हिफाज़त की ज़गह भी नहीं है, लेकिन अगर ईसाईयी की क़बरस्तान पर भ्रमण करोगे या तशरीफ़ ले जाउगे तो अन्व अबस्था परिदर्शन करोगे, और ऊन के आलिम की क़ब्र को सब समय के लिए जाएर उपस्थीत है. और ग़ुम्बद सोने-चांदी और आपर चीजों से सजाया हूआ है, लेकिन इस हाल में कि तुम मुस्लमान हो और प्रत्येक सम्प्रदाय को न-हक़ व बातिल समझते हो, किया यह दो क़ब्रस्थान परिदर्शन करने के बाद यहूदी के क़ब्रस्थान तुमहारे दृष्ट में ख़ूबसूरत या ईसाई के क़बरस्तान १
साबिरः यह एक इंसान का गुणावली है कि आपने ऑख़ से एक ख़ूबसूरत चीज देख़ने के बाद यहूदी के क़बरस्तान से उत्तम ईसाई के क़बरस्तान उत्तम और बेहतर है।
बाक़िरः इस विनापर शिया हज़रात इमामो व पैग़म्बरे अकरम (सा0) के रौज़े मुबारक पर गुम्बद निर्माण करना और उन महान व्यक्तियों की क़ब्रे मुबारक को विभिन्न प्रकार चीजों से सजाना उन व्यक्तियों को महान व मक़ाम व मनज़िलत को महान समझना है.
साबिरः जो कुछ तुम कह रहै हो सब कुछ सही व सठिक है, लेकिन यह तुमहारा मधुमय मुग्ध और आपव्यय ख़र्च करना इन समस्त प्रकार काम को आपव्यय नहीं कर रहै है१
बाक़िरः यह मात्र आपव्यय नहीं है, बल्कि यह कथा प्रमाण कर रही है कि यह समस्त प्रकार काम अल्लाह के औलिया के लिए एक सम्मान और अबरु का स्थान है ( यहाँ एक कथा कहना जरुरी समझता हूँ और वेह यह कि) उन व्यक्तियों को महान समझना तथाः इस्लाम-धर्म को महान समझना बराबर है. क्योंकि प्रत्येक नेक अमल को महान समझना इस्लाम को महान समझना, और यह अल्लाह का फ़रमान भी हैः और इस कार्य के लिए अल्लाह ने भी प्रसंसा भी किया हैः
(ذلک و من يعظم شعائرالله فإنها من تقوی القلوب)
जो व्यक्ति अल्लाह के विधान को महान समझता है हक़ीक़त में उन का मन (दिल) पवित्र है)।(21)
इस विनापर, अल्लाह के वलीयों के मज़ार व मर्क़द शरीफ़ को सजाना हत्ता अल्लाह के विधान व निर्देश को पालन करने के बराबर है, और जो व्यक्ति इस काम को करने वाला है उस के लिए अल्लाह के निकट अधिक से अधिक सवाब उपस्थित है और वेह एक सवाब एक का हक़दार है।
साबिरः मै तुमहारे मूल्यवान समय को नष्ट किया हूँ क्षमा चाहता हूँ, लेकिन तुम हम को एक जुलमत व अधेंरे से परीत्रान दिला कर एक सही व सठिक राह पर निर्देशना किए हो, लेकिन इस से पहले कि मै उन तमाम प्रकार रौज़ा और पवित्र स्थान को ख़ूबसूरत से ख़ूबसूरत सजाने के लिए चेष्टा प्रचेष्टा करता रहूँगां, और तुमहारा कहना हमारे लिए परित्राण का रास्ता बना है, और आख़री बार तुमहारी परिष्कार व रौशन दलील-प्रमाण हमारे गुम हूए रास्ते को दिख़ला दिया है.
बाक़िरः इस विषय के सम्पर्क समस्त प्रकार शक व संदेह मर्क़द को ख़ूबसूरत करने के प्रसंग को दूर किए हो १
साबिरः हाँ, यह सब नेक काम मुस्तहब होने के प्रसंग क़ुरआन मजीद ने भी निर्देश दिया है. और आपर किसी चीज़ में कोई संदेह व अबकाश नहीं रख़ता हूँ।
बाक़िरः मै सब समय के लिए उपस्थित हूँ कि इस सम्प्रर्क प्रत्येक प्रकार के शक व संदेह सम्पर्क गुफ़्तगु करुँ, ताकि हम सब हर दो हक़ीक़त को क़बूल करे और सही व सठिक प्रसगं को अनुसरण करें।
साबिरः अधिक से अधिक आपका धन्यवाद, अदा करता हूँ, और अल्लाह के निकट तुमहारे लिए तौफ़ीक़ तलब करता हूँ।