र्इश्वरीय दूत मनुष्य की वास्तविक परिपूर्णता के लिए उसे सही मार्ग दिखाने और र्इश्वरीय संदेश प्राप्त करने और उसे लोगो तक पहुँचाने के अतिरिक्त मनुष्य की परिपूर्णता की प्रकिया में अन्य प्रकार की भूमिकाएं भी निभाते थे जिस मे से कुछ महत्वपूर्ण काम इस प्रकार हैः
1. बहुत से ऐसे विषय है जिन को समझना, मनुष्य की बुध्दि की क्षमता व दायरे में होता है किंतु इस के लिए उसे समय और अनुभव की आवश्यकता होती है या फिर वह विषय भौतिकता की ओर रुझान और पाश्विक इच्छाओं के कारण भुला दिया जाता है या फिर कुप्रचारों और अफवाहो के कारण अधिकांश लोग उस से अवगत ही नही हो पाते। र्इश्वरीय दूत इस प्रकार के विषयो का भी वर्णन करते है और निरंतर चेतावनी व उपदेश द्वारा उसे पूर्ण रूप से भुला देने की प्रक्रिया को और सही मार्गदर्शन द्वारा गलत बातों के प्रचार को रोकते है ।
इसी लिए र्इश्वरीय दूतों को याद दिलाने वाला और चेतावनी देने वाला भी कहा जाता है।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम र्इश्वरीय दूतों को भेजने के बारे मे कहते है - र्इश्वरीय ने अपने दूतो को इस लिए भेजा है ताकि वह मनुष्य को प्रवत्ति की प्रतिज्ञा की याद दिलाएं और र्इश्वर की भुला दी जाने वाली कृपाओं को लोगो को याद दिलाएं और सत्य के प्रचार व वर्णन द्वारा उन के हर बहाने को समाप्त कर दें।
2. मनुष्य के विकास व परिपूर्णता का एक महत्वपूर्ण तत्व किसी आदर्श का उपस्थित होना है कि जिस का महत्व मनोविज्ञान में हैं सिध्द हो चुका है। र्इश्वरीय दूत पूरिपूर्ण मनुष्य और र्इश्वर द्वारा शिक्षित होनें के कारण इस काम को बहुत अच्छी तरह से करते है और विभिन्न शिक्षाओं और उपदेशों के अलावा लोगों की आत्मा को पवित्र करने का भी काम करते हैं। हमें यह तो पता हैं कि कुरआन मजीद में शिक्षा व प्रशिक्षण का वर्णन एक साथ किया गया है और कुछ आयतों में तो आत्मा की प्रवित्रता को शिक्षा पर भी श्रेष्ठता प्रदान की गयी हैं।
3. लोगों के मध्य र्इश्वरीय दूतों की उपस्थिति का एक अन्य लाभ यह है कि आवश्यक परिस्थितियाँ बन जाने की दशा में, वह समाज की राजनीतिक व न्यायिक प्रक्रिया को भी अपनें हाथ में ले लेता है। और यह तो स्पष्ट है कि र्इश्वरीय दूत अगर समाज का अगुवा हो तो फिर किसी समाज पर र्इश्वर की इस से बड़ी कृपा और क्या हो सकती है क्योकि उस के कारण बहुत सी सामाजिक बुरार्इयाँ फैल नही पाती और समाज मतभेद, फूट और गलत कायों से बच जाता है।।।