क़यामत में उठाये जाने के बाद कुफ़्फ़ार व मुनाफ़ेक़ीन और गुनाह गार जहन्नम में जायेगें। जहन्नम के अज़ाब और मुसीबतों का मुक़ाबला दुनिया की मुसीबतों से नही किया जा सकता।
क़ुरआने मजीद में ख़ुदा वंदे आलम जहन्नम की बहुती ही दर्दनाक हालत के बारे में इरशाद फ़रमाता है ‘’जिन्होने हमारी आयतों को इंकार किया है जल्दी ही हम उन्हे आग में झोंक देगें और जब भी उन के बदन की खाल जल कर ख़त्म हो जायेगी हम दोबारा एक नई खाल उन के बदन पर चढ़ा देगे ता कि वह दोबारा जलें और हमारे अज़ाब को चखें बेशक ख़ुदा वंदे आलम क़ुदरत वाला और हकीम है।’’ (सूर ए निसा आयत 65)
जिस तरह से पिछले सबक़ में हमने पढ़ा कि ख़ुदा ने जन्नत वालों के लिये जिस्मानी व रूहानी लज़्ज़ते क़रार दी है उसी तरह से जहन्नम वालों के लिये भी ख़ुदा ने जिस्मानी व रूहानी सज़ा का इंतेज़ाम किया है जिन में से कुछ यह है:
जिस्मानी अज़ाब
1. अज़ाब की शिद्दत: जहन्नम का अज़ाब इस क़दर शदीद होगा कि जहन्नम वाले यह आरज़ू करेगा कि अपनी बीवी, बच्चे, भाई और ज़मीन के तमाम लोगों को फ़िदा कर दे ताकि इस अज़ाब से निजात पा सके। (सूर ए मआरिज आयत 11, 14)
2. ख़ौफ़नाक आवाज़ें: जहन्नम में चीख व पुकार, फ़रियाद और भयानक आवाज़े होगीं। (सूर ए फ़ुरक़ान आयत 13, 14)
3. गंदा पानी: जब भी जहन्नम वाले प्यास की शिद्दत की वजह से पानी माँगेंगें तो उन्हे गर्म, गंदा और सड़ी हुआ पानी दिया जायेगा और वह उसे पी लेगें। (सूर ए अनआम आयत 70, सूर ए युनुस आयत 4, सूर ए क़हफ़ आयत 29, सूर ए मुहम्मद आयत 15)
4. खाना: ज़क़्क़ूम (थूहड़) का पेड़, गुनाह करने वालों के लिये खाना होगा और पिघले हुए ताँबें की तरह पेट में खौलेगा। (सूर ए दुख़ान आयत 43, 46)
5. आग का लिबास: क़ुरआने मजीद में इरशाद होता है कि जो लोग काफ़िर हुए हैं उन के लिये आग से लिबास काट कर निकाला जायेगा और जलती और खौलती हुई एक बहने वाली चीज़ उन के सर पर डालेगी जिस की वजह से उन का ज़ाहिरी और बातिनी हिस्सा पिघल जायेगा। (सूर ए हज आयत 19, 21)
रूहानी अज़ाब
1. ग़म व दुख और हसरत: जहन्नम वाले जब भी जहन्नम के ग़म व दुख से निकलना चाहेगें उन से कहा जायेगा कि पलट जाओ और जहन्नम के अज़ाब को चखो। (सूर ए हज आयत 22)
2. लानत: जहन्नम वाले एक दूसरे पर लानत भेजेगें। (सूर ए अनकबूत आयत 25)
3. शैतान की बुराई: जहन्नम वाले शैतान से कहेगें कि तुम्हारी वजह से हम गुमराह हुए। वह जवाब देगा कि ख़ुदा ने तुम्हे सच्चा वादा दिया तुम ने कबूल न किया और मैंने झूठा वादा दिया और तुमने कबूल कर लिया। लिहाज़ा मेरे बजाए ख़ुद को बुरा भला कहो। (सूर ए इब्राहीम आयत 22)
4. जहन्नम में जाने का सबब: कुफ़्र व निफ़ाक की वजह से तो लोग जहन्नम में जायेगें ही उस के अलावा अगर कोई इबादात और वाजिबात को बजा न लाये और जिन चीज़ों से मना किया गया है उन्हे अंजाम दे वह भी जहन्नम में जायेगा। इस लिये कि क़ुरआने मजीद में इरशाद होता है (जन्नत वाले, जहन्नम वालों से सवाल करेगें कि किस चीज़ ने तुम्हे जहन्नम में झोंक दिया? वह जवाब देगें कि हम नमाज़ी नही थे, ग़रीबों की मदद नही करते थे, बुराई करने वालों के साथ हो जाते थे और क़यामत का इंकार करते थे।) (सूर ए मुद्दसिर आयत 40, 42)
ख़ुलासा
- कुफ़्फ़ार, मुनाफ़ेक़ीन और गुनाहगार लोग जहन्नम में जायेगें।
- जहन्नम में बहुत से जिस्मानी और रुहानी अज़ाब होगें जो दुनिया के अज़ाब और सज़ा से क़ाबिले क़यास न होगें।
- जहन्नम वाले शदीद अज़ीब में रहेगें, उन के आस पास भयानक आवाज़े होगीं, जहन्नम वालों का खाना गंदा और सड़ा हुआ पानी और आग का खाना होगा और उन का लिबास आग का होना।
- उन का रूहानी अज़ाब यह होगा कि वह हमेशा ग़म व दुख में रहेगें, एक दूसरे पर लानत भेजेगें, इसी तरह शैतान भी उन की बुराई करेगा।
- कुफ़्फ़ार व मुनाफ़ेक़ीन तो जहन्नम में जायेगें ही, उन के अलावा वह लोग भी जहन्नम में जायेगें जो नमाज़ नही पढ़ते, ग़रीबों की मदद नही करते, बुरों का साथ देते हैं और क़यामत का इंकार करते हैं।