Hindi
Sunday 7th of July 2024
0
نفر 0

वसवसों से मुक़ाबला

वसवसों से मुक़ाबला

अज़ीज़ो ! रूहो रवान का सकून , यह एक ऐसा गोहरे बे बहा है जिसको हासिल करने के लिए ख़लील उल अल्लाह (हज़रत इब्राहीम अ.) कभी आसमाने मलाकूत की तरफ़ देखते थे और कभी ज़मीन पर नज़र करते थे।


“व कज़ालिका नुरिया इब्राहीमा मलाकूता अस्समावाति व अल अर्ज़िव लि यकूना मिन अल मोक़िनीना ”(और इसी तरह हमने इब्राहीम को ज़मीनो आसमान के मलाकूत दिखाए ताकि वह यक़ीन करने वालों में से हो जाये।)


और कभी उन्होंने चार परिन्दों के सरों को काटा और फिर उनका क़ीमा बना कर सबको आपस में मिला दिया ताकि ज़िन्दगीए मुजद्दद और मआद के बारे में मुतमइन हो कर सकूने क़ल्ब हासिल कर सकें। “लियतमाइन्ना क़ल्बी। ” कुछ मुफ़स्सेरीन ने कहा है कि यह चारो परिन्दे वह थे जिनमें से हर एक में इंसान की एक बुरी सिफ़त पायी जाती थी जैसे -( मोर जिसमें ख़ुद नुमाई और ग़ुरूर पाया जाता है, मुर्ग़ जिसमें बहुत ज़्यादा जिन्सी रुझान पाया जाता है, कबूतर जिसमें लहबो लअब पाया जाता है, कोआ जो कि बड़ी बड़ी आरज़ुऐं रखता है।)


अब सवाल यह है कि सकून के इस गोहरे गरान बहा को कैसे हासिल किया जाये ?और इस को किस समुन्द्र में तलाश किया जाये ?


आप की ख़िदमत में अर्ज़ करता हूँ कि इसको हासिल करना बहुत आसान भी है और बहुत मुश्किल भी और इस बात को आप इस मिसाल के ज़रिये आसानी के साथ समझ सकते हैं।


क्या आप ने कभी ऐसे वक़्त हवाई जहाज़ का सफ़र किया है जब आसमान पर घटा छाई हो ? ऐसे में हवाई जहाज़ तदरीजन ऊपर की तरफ़ उड़ता हुआ आहिस्ता आहिस्ता बादलों से गुज़र कर जब उपर पहुँच जाता है, तो वहाँ पर आफताबे आलम ताब अपने पुर शिकोह चेहरे के साथ चमकता रहता है और सब जगह रौशनी फैली होती है। इस मक़ाम पर पूरे साल कभी भी काले बादल नही छाते और सूरज अपनी पूरी आबो ताब के साथ चमकता रहता है क्योँ कि यह मक़ाम बादलों से ऊपर है।


ख़लिक़े जहान की मुक़द्दस ज़ात, आफ़ताबे आलम ताब की तरह है जो हर जगह पर नूर की बारिश करती है और हिजाब, बादलो की तरह है जो जमाले हक़ को देखने की राह में मानेअ हो जाते हैं। यह हिजाब कोई दूसरी चीज़ नही है बल्कि हमारे बुरे आमाल और हमारी तमन्नाऐं ही हैं।


इमामे आरेफ़ान हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने क्या ख़ूब फ़रमाया है “इन्नका ला तहतजिब व मिन ख़लक़िका इल्ला अन तहजुबाहुमु अलआमालु दूनका ”


यह हिजाब वह शयातीन हैं जिन्हों ने हमारे आमाल की वजह से हमारे अन्दर नफ़ूज़(घुस) कर के हमारे दिल के चारों तरफ़ से घेर लिया है। जैसा हदीस में भी आया है कि “लव ला अन्ना शयातीना यहूमूना अला क़लूबि बनी आदम लनज़रु इला मलकूति अस्समावात ” यानी अगर शयातीन बनी आदम के दिलों का आहाता न करते तो वह आसमान के मलाकूत को देखा करते।


यह हिजाबात वह बुत हैं जिन को हम नें हवाओ हवस के चक्कर में ख़ुद अपने हाथों से बना कर अपने दिलों में बैठाया है। बुज़ुर्गों का क़ौल है कि “कुल्लु मा शग़लका अनि अल्लाह फ़हुवा सनमुक ” जो चीज़ तुमको अपने में मशग़ूल कर के ख़ुदा से ग़ाफ़िल कर दे वही तुम्हारा बुत है।


बुत साख़तीम दर दिल व ख़न्दीदीम।


बर कीशे बद ब्रह्मण व बौद्धा रा ।।


ऐ अज़ीज़म इब्राहीम की तरह ईमानो तक़वे का तबर लेकर उठो और इन बुतों को तोड़ डालो ताकि आसमानों के मलाकूत को देख सको और मोक़ेनीन में क़रार पा सको जिस तरह जनाबे इब्राहीम (अ.) मोक़ेनीन में हो गये।


“...व लि यकूना मिनल मोक़िनीन ”


हवा व हवस के ग़ुबार ने हमारी रूह को तीरह व तार कर दिया है जो कि बातिन को देखने की राह में हमारी आँख़ों के सामने हायल है। लिहाज़ा हिम्मत कर के उठो और इस ग़ुबार को साफ़ करो ताकि नज़र की तवानाई बढ़े।


यह ताज्जुब की बात है कि अल्लाह तो हम से बहुत नज़दीक है ; लेकिन हम उस से दूर हैं, आख़िर ऐसा क्योँ ? जब वह हमारे पास है फिर हम उस से जुदा क्यों हैं ? क्या यह बिल कुल ऐसा ही नही है कि हमारा दोस्त हमारे घर में बैठा है और हम उसे पूरे जहान में ढूँढ रहे हैं।


और यह हमारा सब से बड़ा दर्द, मुश्किल और बद क़िस्मती है जब कि इसके इलाज का तरीक़ा मौजूद है।

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

नमाज़
ख़ुत्बाए फ़ातेहे शाम जनाबे ज़ैनब ...
इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम की अहादीस
इमाम मोहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम
हज़रत यूसुफ और जुलैख़ा के इश्क़ ...
हज़रत अली अलैहिस्सलाम की शहादत
यज़ीद के दरबार में इमाम सज्जाद का ...
अरफ़ा, दुआ और इबादत का दिन
शिया समुदाय की उत्पत्ति व इतिहास (1)
इमाम हुसैन अ. के कितने भाई कर्बला ...

 
user comment