बहरैनी जनता आले ख़लीफ़ा के तानाशाही शासन के विरुद्ध संघर्ष जारी रखते हुए सात जुलाई को भविष्य निर्धारण अधिकार के नारे के साथ फिर सड़कों पर आ रही है। पिछले कुछ दिनों से बहरैन के अनेक नगरों व गांवों में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं जिसमें जनता शहीदों के ख़ून के साथ निष्ठा और आले ख़लीफ़ा शासन के वार्ता के हथकंडे के विरुद्ध नारे लगा रही है। प्रदर्शनकारी बहरैन के भविष्य के जनता की इच्छाओं के आधार पर निर्धारित किए जाने पर बल दे रहे हैं। जनता ने गुरुवार और शुक्रवार को भविष्य निर्धारण के अधिकार के नारे के साथ बहरैन में विपक्ष से वार्ता पर आधारित आले ख़लीफ़ा शासन की जनता को छल देने चाल के विरुद्ध धरने प्रदर्शन किए। बहरैनी जनता अपने देश की सरकार के स्वरूप के निर्धारण के लिए जनमत संग्रह की इच्छुक है किन्तु बहरैनी शासन की सेना ने अतिग्रहणकारी सउदी सेना के साथ मिलकर इन शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के विरुद्ध दमनकारी कार्यवाही की। बहरैन में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले सैकड़ों नागरिकों को जेलों में यातनाएं दी जा रही हैं, और कुछ को तो बहरैनी न्यायालय ने आजीवन कारावास का दंड सुनाया है। बहरैन में आले ख़लीफ़ा शासन ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में भाग लेने के कारण दो हज़ार से अधिक कर्मचारियों को नौकरियों से निकाल दिया और दसियों डाक्टरों और नर्सों पर घायलों का उपचार करने के कारण मुक़द्दमा चलाया गया है। ब्रिटेन के टीकाकार अली अलफ़रज ने कहा कि जो कुछ बहरैनी शासन कर रहा है उसे वार्ता नहीं कहा जा सकता बल्कि वह एक प्रकार की कांफ़्रेंस है जिसका संचालन शासन कर रहा है और जिन लोगों ने उसमें भाग लिया है उनके पास जनाधार नहीं है। उन्होंने कहा कि यह कांफ़्रेंस जनता के दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित नहीं करती इसलिए विफल होकर रहेगी। अली अलफ़रज ने कहा कि बहरैनी जनता इस कांफ़्रेंस से प्रसन्न नहीं है और जनप्रदर्शन का जारी रहना जनता की अप्रसन्नता को दर्शाता है।(एरिब डाट आई आर के धन्यवाद के साथ)