लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान
किताब का नाम: तोबा आग़ोशे रहमत
कल हमने कहा था कि तोबा आग़ाशे रहमते इलाही है।
सत्य पश्चाताप उदात्त दूरदराज के कनेक्शन के कारण चमकदार ,मूल और लोकप्रिय है।
यह बहुत ऊचा मक़ाम है जिस तक पहुचने के मराहिल को कुरआन की आयात एवम रिवायात मे विस्तार से चर्चा की गई हैं और इन आयात व रिवायात के जटिल संग्रह के छंद को समझने हेतु व्याख्या,स्पष्टीकरण और गहरी वृत्तचित्रों की आवश्यकता है।
1363 हिजरी शमसी मे शोधकर्ता, विचारक और विद्वान प्रोफेसर हुसैन अनसारियान ने अनुसंधानी (तहक़ीक़ी) बहसो मे पश्चाताप का उल्लेख किया जिसका उस समय विद्वानों, छात्रों और युवा लोगों ने स्वागत किया था और इस मूल का प्रभाव बहुत अधिक था।
दारुस्सादेक़ैन के प्रिय प्रबंधन जनाब हुज्जातुल इसलाम हाज सैय्यद मुहम्मद जवाद हाशमी यज़दी ने लोगो के अधिक उपयोग के लिए अपने संग्रह (मजमूऐ) को पुस्तक मे परिवर्तन करने का प्रस्ताव दिया।
दारुल इरफ़ान संस्थान ने तक़रीरो को लिख कर विद्वान प्रोफेसर को दीं उन्होंने इल्मि सिद्धांतों और गहरे स्पष्ठीकरण एवम विस्तृत व्याखया के साथ उनको लिखा।
बाज़ प्रिय शोधकर्ताओं ने दारुल इरफ़ान संस्थान को मसादिर की छानबीन और विषय सूची के अंर्तगत इस पुस्तक को दुबारा प्रिंट करने का सुझाव दिया है।
यह तहक़ीक़ी संग्रह जिसे मौअज्जम लहू के पविक्त्र क़लम ने एकात्रित किया है पश्चाताप की बहसो मे उपयोगी है।
आशा है कि अहले तहक़ीक़ के लिए पश्चाताप (तोबा) के विषय पर दक़ीक़ व अमीक़ बहसो मे प्रवेश के लिए दरवाज़ा,और रहमते इलाही के उम्मीदवारो के लिए फलदार दरख़्त हो।
वाहिदे तहक़ीक़ाते दारुल इरफ़ान
जारी