Hindi
Monday 25th of November 2024
0
نفر 0

आसमानी किताबों के नज़ूल का फलसफा

हमारा अक़ीदह है कि अल्लाह ने आलमे इंसानियत की हिदायत के लिए बहुत सी आसमानी किताबें भेजी जैसे सुहुफ़े इब्राहीम, सुहुफ़े नूह, तौरात, इँजील और इन में सबसे जामे क़ुरआने करीम है। अगर यह किताबे नाज़िल न होती तो इंसान अल्लाह की मारफ़त और इबादत में बहुत सी ग़लतियों का शिकार हो जाता और उसूले तक़वा,अख़लाक़ व तरबीयत और समाजी क़ानून जैसी ज़रूरी चीज़ों से दूर ही रहता ।

यह आसमानी किताबें सरज़मीन दिल पर बाराने रहमत की तरह की बरसीं और दिल की ज़मीन में पड़े हुए अल्लाह की मारफ़त,तक़वे,अख़लाक़ और इल्म व हिकमत के बीज को नमू अता किया।आमना अर्रसूलु बिमा उनज़िला इलैहि मिन रब्बिहि व अल मुमिनूना कुल्ला आमना बिल्लाहि व मलाइकतिहि व कुतुबिहि व रुसूलिहि[1] यानी पैग़म्बर पर जो अल्लाह की तरफ़ से नाज़िल हुआ वह उस पर ईमान लाये और मोमेनीन भी अल्लाह,उसके रसूल,उसके फ़रिश्तों और उसकी किताबों पर ईमान लायें।

अफ़सोस है कि ज़माने के गुज़रने और जाहिल व नाअहल अफ़राद की दख़ालत की वजह से बहुत सी आसमानी किताबों में तहरीफ़ हुई और उन में बहुत सी ग़लत फ़िक्रें दाख़िल कर दी गई। लेकिन क़ुरआने करीम इस तहरीफ़ से महफ़ूज़ रहते हुए हर ज़माने में आफ़ताब की तरह चमकता हुआ दिलों को रौशन करता रहा है।

क़द जाआ कुम मिन अल्लाहि नूरुन व किताबुन मुबीन यहदी बिहि अल्लाहु मन इत्तबअ रिज़वानहु सुबुला अस्सलामि।[2] यानी अल्लाह की तरफ़ से तुम्हारे पास नूर और रौशन किताब आ चुकी है अल्लाह इस की बरकत से उन लोगो को जो उसकी ख़ुशनूदी से पैरवी करते हैं सलामत(सआदत) रास्तों की हिदायत करता है।



[1] सूरए बक़रह आयत न. 285

[2] सूरए मायदह आयत न. 15-16


source : http://al-shia.org
0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

इस्लाम धर्म की खूबी
आसमानी किताबों के नज़ूल का फलसफा
पश्चाताप
मआद (क़ियामत)के बग़ैर ज़िन्दगी ...
सुशीलता
हिदायत व रहनुमाई
मरातिबे कमाले ईमान
सलाह व मशवरा
उसकी ज़ाते पाक नामुतनाही ...
आलमे बरज़ख

 
user comment