Hindi
Wednesday 15th of January 2025
0
نفر 0

नेमतै एवम मानव दायित्व

नेमतै एवम मानव दायित्व

लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान

 

किताब का नाम: तोबा आग़ोशे रहमत

 

 

َكُلُوا مِمَّا رَزَقَكُمُ اللهُ حَلالا طَيِّباً وَاشْكُرُوا نِعْمَتَ اللهِ اِنْ كُنْتُمْ اِيّاهُ تَعْبُدُونَ(सूरा 16, आयत 114)

परमेश्वर की दया, प्यार और एहसान एक आशीर्वाद है जिस के ज़रिए मनुष्य को सजने योग्य बनाया, प्राणियों में से कोई भी, यहां तक कि इष्ट स्वर्गदूत भी यह लियाक़त नही रखते है।

परमेश्वर की नेमतै आदमी के जीवन मे इस प्रकार है यदि भगवान की आज्ञा के साथ उनका इस्तेमाल किया जाये तो वह शरीर और आत्मा के विकास मे व्रध्दि के साथ दुनिया व आइन्दा की समृद्धि और मानव जीवन प्रदान करता है

पवित्र कुरान ने नेमतो के साथ राबते को, बारह महत्वपूर्ण मुद्दों की ओर ध्यान दिलाया है।

1 आवृत्ति और नेमत की भयावहता

2 नेमत प्राप्ती के उपाय।

3 नेमत की ओर ध्यान केंद्रित करना।

4 नेमत पर शुक्र करना।

5 नेमत के होते हुए नशुक्री से परहेज़ करना।

6 नेमतो का असंख्य होना।

7 नेमत की क़द्र (मान्यता) करना।

8 नेमत मे इसराफ़ बुरी बात है।

9 नेमत का लोभ से खर्च करना।

10 नेमत के समाप्त होने के कारण।

11 इतमामे नेमत।

12 नेमत का सही स्थान पर खर्च करने का बोनस।

इलाही किताब की एक आयत के बुलन्द मलाकूती संदर्भो के बारह महत्वपूर्ण मुद्दों की ओर ध्यान देना आवश्यक है।

 

जारी

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

क़ौमी व नस्ली बरतरी की नफ़ी
आलमे बरज़ख
जौशन सग़ीर का तर्जमा
इस्लाम धर्म की खूबी
अँबिया के मोजज़ात व इल्मे ग़ैब
निराशा कुफ़्र है 3
रोज़े आशूरा के आमाल
तौहीद की क़िस्में
पाप या ग़लती का अज्ञानता व सूझबूझ ...
दीन क्या है?

 
user comment