लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान
किताब का नाम: शरहे दुआ ए कुमैल
दूसरे स्थान पर इमाम बाक़िर का कथन है:
( ۔۔۔ مَا مِن شِیء أَفضَلُ عَندَ اللہِ عَزَّ وَ جَلَّ مِن أَن یُسئَلَ وَ یُطلَبَ مِمَّا عِندَہ، وَ مَا أَحَدٔ أَبغَضَ اِلَی اللہِ مِمَّن یَستَکبِرَ عَن عِبَادَتِہِ وَلَا یَسئُلُ مَا عِندَہُ )
(... मा मिन शैइन अफ़ज़लो इन्दल्लाहे अज़्ज़ा वजल मिन अय्युसअला वा युतलबा मिम्मा इन्दहू, वमा अहदुन अबग़ज़ा एलल्लाहे मिम्मन यसतकबेरा अन इबादतेही वला यसअलो मा इन्दहु)[1]
परमेश्वर के निकट जो उसके पास है उससे मांगना (प्रार्थना करने) से बेहतर कुछ नही है और परमेश्वर को क्रोधित करने वाला कोई नही है सिवाए उस व्यक्ति के कि जो उससे प्रार्थना करने से अकड़ता है ओर उससे नही मांगता।
अमीरूल मोमेनीन (अली पुत्र अबू तालिब) से रिवायत है:
أَحَبُّ ألأَعمَالِ اِلَی اللہِ تَعَالٰی فِی أَرضِ ألدُّعَاءُ
आहब्बुल आमाले एलल्लाहे तआला फ़िल अरज़े अद्दोआओ[2]
पृथ्वी पर परमेश्वर के समीप लोकप्रिय कार्य प्रार्थना है।
दूसरे स्थान पर इमाम अली (अलैहिस्सलाम) का कथन है:
( مَا صَدَرَ عَن صَدرِ نَقِیّ وَ قَلبِ تَقَیّ وَ فِی المُنَجَاۃِ سَبَبُ النَّجَاۃِ و بِالاِخلَاَصِ یَکُونُ الخَلَاصُ فَاِذَا أشتَدَّ ألفَزَعُ فَاِلَی اللہِ ألمَفزَعُ