लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान
किताब का नाम: तोबा आग़ोशे रहमत
इस से पूर्व हमने मानव की रचना के चरणो को बयान किया था।
इन सब चरणो और मनज़िलो से गुज़रने के पश्चात वीर्य पूर्णतः मानव मे परिवर्तित हुआ है।
अस्तित्व और अपने रहस्यमय इमारत मे सेल्स की संरचना, रक्त का परिसंचरण, श्वसन की प्रिक्रिया, मस्तिष्क, तंत्रिकाओ, आँख, कान, नाक और अन्य सभी अंगो की युक्ति मे विचार करो ताकि यह बात स्पष्ट हो जाए कि परमेश्वर की आशीष केवल इस आयौगिक शरीर के ढ़ाचे ही मे नही है।
शारीरिक बुद्धिमान शोधकरता कहते हैः कि यदि मनुष्य दिन और रात बिना छुट्टी किये, शरीर के एक हज़ार सेल्स प्रति सेकंण्ड गणना करे, तो सारे सेल्स की गणना के लिए तीस हज़ार वर्षो (तीनसो शताब्दियो) की आवश्यकता है।
परन्तु विशेषज्ञो का कहना हैः कि पेट मे पदार्थ, इस अद्भुत रसायनिक प्रयोगशाला, विश्लेषण और संघटन तैयार होते है वह मनुष्य की बनाई हुई प्रयोगशालाओ से अधिक पदार्थ तैयार होते है। वह सामाग्री जो इस प्रयोगशाला मे पहुचती है दस लाख विभिन्न कणो से भी अधिक से तैयार होती है जिसकी अधिकतर सामाग्री जहरीली होती है।[1]
वैज्ञानिको ने बताया हैः कि ह्रदय एक बंद मुठ्ठी के आकार से अधिक नही है, परन्तु शक्तिमान और ताक़तवर है जो कि 70 बार प्रति मिनट धड़कता है और तीस वर्षो मे, एक अरब से अधिक बार अपने कार्यक्रम को अनजाम देता है और सुरूचिपूर्ण केशिका द्वारा जोकि बाल से अधिक पतली है प्रत्येक मिनट मे दो बार शरीर मे ख़ून पहुचाता है, और दस लाख अरब से अधिक शरीर के सेल्स को साफ़ करता है।[2]