लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान
किताब का नाम: पश्चताप दया की आलंगन
पवित्र क़ुरआन के स्पष्ट छंदो से क्रमशः सुरए इसरा के छंद (आयत) 83, सुरए क़िस्स के छंद 76 से 79, सुरए अलफ़ज्र छंद 17 से 20 तथा सुरए अल्लैल के छंद 8 से 10 तक निम्नलिखित बाते समझ मे आती है, जोकि अशीषो मे गिरावट (कमी), ग़रीबी, निर्धनता, जीवीका मे तंगी, पीडा, विपत्ति, निरादर तथा अपमान का कारण है।
नशे मे होना, उपेक्षा (ग़फ़लत) मे जकडना, अशीषदाता को भूलना, एक शब्द मे हक़ से मुहँ मोडना तथा ईश्वरीय आदेश के प्रतिकूल घमंड करना और परमात्मा, क़ुरआन की शुद्ध संस्कृति, प्रोफेसी (नबुव्वत) और इमामत के विरूद्ध शत्रुतापूर्ण रुख अपनाना आदि, यह अर्थ क़ुरआन के निम्मलिखित छंद से समझ मे आता हैः
وَإِذَا أَنْعَمْنَا عَلَى الاْنسَانِ أَعْرَضَ وَنَأى بِجَانِبِهِ وَإِذَا مَسَّهُ الشَّرُّ كَانَ يَئُوساً
वइज़ा अनअम्ना अलल इनसानि आरज़ा वनाया बिजानिबिहि वइज़ा मस्सहुश्शर्रो काना यऊसा[1]
अशीष पर गर्व, धन व दौलत के प्रति सीमा से अत्यधिक प्रसन्नता, भविष्य (आख़ेरत) के प्रति सामान इकठ्ठा करने मे आनाकानी, कृपा और एहसान मे लालच, भ्रष्टाचार करने और फैलाने मे अशीष का प्रयोग करना, बुद्धि ज्ञान और अपनी अंतर्दृष्टि से अशीष प्राप्त करने की कल्पना, धन व दौलत तथा आभूषणो का लोगो के सामने प्रदर्शन करना, और इसी प्रकार के मुद्दे तथा क्रार्यक्रम सुरए क़िस्स के छंद 76 से 83 मे प्रयोग किया गया है।
अनाथ का सम्मान न करना, विकलांगो की सहायता करने मे अनिच्छा, शक्तिहीन एंव ग़रीब वारिसो की मीरास का हडप करना, आकर्षण और धन के प्रति गहरा प्रेम, इस प्रकार का अर्थ निम्नलिखित छंद से ज़ाहिर होता हैः
كَلاَّ بَلْ لاَ تُكْرِمُونَ الْيَتِيمَ * وَلاَ تَحَاضُّونَ عَلَى طَعَامِ الْمِسْكِينِ * وَتَأْكُلُونَ التُّرَاثَ أَكْلاً لَمّاً * وَتُحِبُّونَ الْمَالَ حُبّاً جَمّاً
कल्ला बल लातुकरिमूनल यतीमा * वला तहाज़्ज़ूना अला तआमिल मिस्कीनि * वताकुलूनत्तुरासा अकल्न लम्मा * वतोहिब्बूनल माला हुब्बन जम्मा[2]
जारी