पुस्तकः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
हमने इसके पूर्व लेख मे ईश्वर की दया का उल्लेख किया जिसमे इस बात का स्पष्टीकरण करने का प्रयास किया कि मानव यदि अपने जीवन मे अज्ञानता, अपरिपक्वता, लापरवाही तथा भूल अथवा अन्य कारणो के आधार पर पाप और समझसयत (मासीयत) मे लिप्त हो जाए तो मानव ईश्वर के दरबार मे पश्चाताप तथा पापो की क्षतिपूर्ति (जिस प्रकार उल्लेख हुआ है) द्वारा वह माफ़ी, क्षमा तथा दया का पात्र (हक़दार) हो जाता है, विशेष रूप से यदि उसकी पश्चाताप और इस्तिग़फ़ार गुरुवार रात्रि कुमैल की प्रार्थना के माध्यम से हो। इस लेख मे आप पूर्व के लेख मे उल्लेखित छंद के अतिरिक्त और अधिक छंदो का अध्ययन करेंगे जिनमे ईश्वर की दया और उसकी बख्शीश का उल्लेख हुआ है।
إِنَّ اللّهَ غَفورٌ رَحيمٌ इन्नल्लाहा ग़फ़ूरुर्रहीम[1]
وَاللّهُ رَؤوفٌ بِالْعِبادِ वल्लाहो रऊफ़ुम बिलएबादे[2]
وَاللّهُ يَدْعوا إِلَى الجَنَّةِ وَالْمَغْفِرَةِ वल्लाहो यदऊ एललजन्नते वल मग़फ़ेरते[3]
أَنَّ اللّهَ غَفورٌ حَليمٌ इन्नल्लाहा ग़फ़ुरुन हलीम[4]
وَاللّهُ يَخْتَصُّ بِرَحْمَتِهِ مَنْ يَشاءُ वल्लाहो यख़तस्सो बेरहमतेहि मय्यशाओ[5]
وَاللّهُ ذو الفَضْلِ الْعَظيمِ वल्लाहो ज़ुलफ़ज़लिल अज़ीम[6]
إِنَّ اللّهَ كانَ عَفُوّاً غَفوراً इन्नल्लाहा काना अफ़ूवन ग़फ़ूरा[7]
إِنَّ اللّهَ كانَ تَوّاباً رَحيماً इन्नल्लाहा काना तव्वाबन रहीमा[8]
وَهُوَ أَرْحَمُ الرّاحِمينَ वा होवा अर्हमुर्राहेमीन[9]
إِنَّ رَبَّكَ واسِعُ الْمَغْفِرَةِ इन्ना रब्बका वासेउल मग़फ़ेरता[10]
कोई मनुष्य यदि इन छंदो मे सोच विचार करे तो फ़िर वह ईश्वर की ओर पलटने तथा उसके दरबार मे पश्चाताप करने को अनिवार्य समझेगा तथा उसकी दया से हताशा और निराशा को अवैध और बड़ा पाप मानेगा।
[1] निश्चितरूप से ईश्वर अत्यधिक दयालु तथा क्षमा करने वाला है। (सुरए बक़रा 2, छंद 173, 182, 192, 199; सुरए माएदा 5, छंद 39)
[2] और ईश्वर बंदो (सेवको) के प्रति दयालु है। (सुरए बक़रा 2, छंद 207; सुरए आले इमरान 3, छंद 30)
[3] और ईश्वर स्वयं स्वर्ग तथा माफ़ी की ओर दावत देता है। (सुरए बक़रा 2, छंद 221)
[4] और ध्यान रहे कि ईश्वर अत्यधिक क्षमा करने वाला तथा धैर्य वाला है। (सुरए बक़रा 2, छंद 235)
[5] और ईश्वर जिसे चाहता है उससे अपनी दया विशिष्ट करता है। (सुरए बक़रा 2, छंद 105)
[6] और ईश्वर फ़ज़्ल वाला है। (सुरए बक़रा 2, छंद 105)
[7] निश्चितरूप से ईश्वर अत्यधिक क्षमा करने वाला है। (सुरए नेसा 4, छंद 43)
[8] निश्चितरूप से ईश्वर पश्चाताप स्वीकारने तथा क्षमा करने वाला है। (सुरए नेसा 4, छंद 16)
[9] वह अत्यधिक दया करने वाला है। (सुरए युसुफ़ 12, छंद 64)
[10] निश्चितरूप से तुम्हारे ईश्वर की दया एंवम क्षमा व्यापक है। (सुरए नजम 53, छंद 32)