लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान
किताब का नाम: शरहे दुआ ए कुमैल
नख़अ यमन की जनजातियो मे से एक बडी जनजाति है, इस जाति के लोग इस्लाम धर्म के आरम्भ मे ही मुसलमान हो गये थे। यह वह जाति है जिसके लिए पैग़म्बर (स.अ.व.व.) ने प्रार्थना की।
أَللَّھُمَّ بَارِک فِی النَّخَعِ
अल्लाहुम्मा बारिक फ़िन्नख़ाए
प्रभु! नख़अ को धन्य रख।
इस्लाम के आरम्भ मे ही इस धन्य जनजाति के लोगो ने उत्कृष्टता और पूर्णता के शिखर को प्राप्त कर ईश्वरीय दूत की ओर से लड़ते हुए युद्धो मे शहीद हो गये और सार्वजनिक रूप से प्रसिद्ध हो गये।
मालिक पुत्र अशतर नख़ई, बहादुर सरदार और दृढ आस्था रखने वाले इन लोगो मे से एक व्यक्ति है।
वह तेजस्वी अमीरुल मोमेनीन (हज़रत अली अ.स.) की ओर से युद्ध लडा तथा अंत मे माविया के विषैले पेय पदार्थ से स्वर्गवास हो गया। उस व्यक्ति का स्थान इतना ऊचाँ है कि अमीरुल मोमेनीन (हज़रत अली अ.स.) को जिस समय उसकी शहादत का समाचार प्राप्त हुआ तो आप की नेत्रो से आँसू बहने लगे और आप ने इस मुसीबत को जमाने की मुसीबत जाना और आप ने कहाः
वाह मालिक के पास जो था वह परमेश्वर से था, यदि मालिक पर्वत था तो उसकी सबसे बडी चट्टान और स्तम्भ था, यदि पत्थर से बना हुआ था तो सबसे मज़बूत पत्थर था, मालिक! ईश्वर की सौगंध तेरी मौत ने संसार को नष्ट (विरान) कर दिया, सम्बंधी कराह रहे है क्योकि उनकी दुरदशा खराब है।