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कुमैल की जाति 2

कुमैल की जाति 2

लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान

किताब का नाम: शरहे दुआ ए कुमैल

 

इस से पूर्व लेख मे मालिक पुत्र अशतर की वीरता और मृत्यु से सम्बंधित बताया था।

इसके पश्चात कहाः

إِنَّا لِلّہِ وَ إِنَّا إِلَیہِ رَاجِعُونَ، وَ الحَمدُ لِلّہِ رَبِّ العَالَمِینَ

इन्ना लिल्लाहे वइन्ना इलयहे राजेऊना, वल हमदो लिल्लाहे रब्बिल आलामीना

हम सब ईश्वर से है और उसी की ओर लौट जाएंगे, तथा विशेष धन्यवाद संसारो के भगवान के लिए है।

हे ईश्वर मालिक पर अपनी कृपा कर उसने अपने वादे को याद रखा और अपनी संधि को पूरा किया तथा अपने भगवान से भेट करने के लिए उसकी ओर यात्रा की, इसके बावजूद मैने यह आत्मनिर्णय किया है कि पैग़ंम्बर की मृत्यु के बाद हर प्रकार की आपत्ति पर धैर्य रखूंगा, वास्तव मे यह सबसे बड़ी आपत्ति है[1]  

अमीरुल मोमेनीन अली (अ.स.) के रहस्य से अवगत और उनके वफ़ादार साथीयो मे से इस जाति का एक व्यक्ति (ज़ियाद नख़ई के पुत्र कुमैल) है[2] 



[1]  لِلّہِ دَرُّ مَالِکٍ لَو کَانَ مِن جَبَلٍ لَکَانَ أَعظَمَ أَرکَانِہِ وَ لَو کَانَ مِن حَجَرٍ لَکَانَ صَلداً أَمَا وَاللہِ لَیَھُدَّنَّ مُوتُکَ عَالَماً فَعَلَی مِثلِکَ فَلتَبکِ البَوَاکَی ثُمَّ قَالَ إِنَّا للہِ وَ إِنَّا إِلَیہِ رَاجِعُونَ وَ الحَمدُ للہِ رَبِّ العَالَمِینَ إِنِّی أَحتَسِبُہُ عِندَکَ فَاِنَّ مَوتَہُ مِن مَصَائِبِ الدَّھرِ فَرَحَمَ أللہُ مَالِکاً فَقَد وَفَی بِعَھدِہِ وَ قَضَی نَحبَہُ وَلَقِیَ رَبَّہُ مَعَ أَنّا قَد وَطَّنَّا أَنفُسَنَا أَن نَصبِرَ عَلَی کُلِّ مُصِیبَۃٍ بَعدَ مُصَابِنَا بِرَسُولِ اللہِ  فَاِنَّھَا أَعظَمُ المُصِیبَۃِ

लिल्लाहे दर्रो मालेकिन लो काना मिन जबालिन लकाना आज़मा अरकानेहि वलो काना मिन हजरिन लकाना सलदन अमा वल्लाहे लयहुद्दन्ना मौतोका आलामन फ़अला मिसलेका फ़लतबकिल बवाकि सुम्मा क़ाला इन्ना लिल्लाहे वइन्ना इलयहे राजेऊना वल हमदो लिल्लाहे रब्बिल आलामीना इन्नी आहतसेबहू इनदका फ़इन्ना मौतहू मिन मसाएबिद्दहरे फ़रहेमल्लाहो मालेकन फ़क़द वफ़ा बेअहदेहि वक़ज़ा नहबहू वलक़ेया रब्बहू मआ अन्ना क़द वत्तन्ना अनफ़ोसना अन नसबेरा अला कुल्ले मुसीबतिन बादा मुसाबेना बेरसूलिल्लाहे (स.अ.व.अ.व.) फ़इन्नहा आज़मुल मुसीबते ( अमालिए मुफ़ीद, पेज 84, मजलिस 9)    

[2] मोजमे क़बाएलिल अरब, भाग 3, पेज 1176

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