लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान
किताब का नाम: शरहे दुआ ए कुमैल
हे कुमैल, अपने पेट को भोजन से पूर्ण नकरो पानी और श्वसन के लिए कुच्छ स्थान खाली रखो भोजन करना उस समय तक बंद नकरो जब तक तुम उसके इच्छुक हो यदि ऐसा किया तो भोजन से तुम शक्ति प्राप्त करोगे और यह जानलो कि कम खाने और कम पीने से ही स्वाथ्य है।
हे कुमैल, उसी व्यक्ति की संमपत्ति मे ब्लेसिंग है जो ज़कात (दान) देता है तथा विश्वासीयो, आस्तिको (आस्था रखने वालो) की सहायता करता और अच्छे सम्बंध रखता है।
हे कुमैल, दूसरो पर अपने परिजनो से अधिक कृपा करो उनके प्रति अधिक दयालु तथा विनम्र रहो और ग़रीबो और फ़क़ीर को दान करो।
हे कुमैल, ज़रूरतमंद व्यक्ति को वंचित नकरो यद्यपि आधा अंगूर अथवा आधी खजूर ही हो, निश्चित रूप से ईश्वर दान मे वृद्धि करता है।
हे कुमैल, आस्तिक व्यक्ति का सबसे अच्छा श्रृंगार विनम्रता है, उसकी सुंदरता, उसकी नम्रता तथा उसका सम्मान (धर्म के आदेशो) को कंठित करने मे और उसकी इज़्ज़त उल्टी सीधी बातो को त्यागने मे है।
जारी