Hindi
Saturday 4th of May 2024
0
نفر 0

कुमैल को अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) की वसीयत 4

कुमैल को अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) की वसीयत 4

लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान

किताब का नाम: शरहे दुआ ए कुमैल

 

हे कुमैल, अपने पेट को भोजन से पूर्ण नकरो पानी और श्वसन के लिए कुच्छ स्थान खाली रखो भोजन करना उस समय तक बंद नकरो जब तक तुम उसके इच्छुक हो यदि ऐसा किया तो भोजन से तुम शक्ति प्राप्त करोगे और यह जानलो कि कम खाने और कम पीने से ही स्वाथ्य है।

हे कुमैल, उसी व्यक्ति की संमपत्ति मे ब्लेसिंग है जो ज़कात (दान) देता है तथा विश्वासीयो, आस्तिको (आस्था रखने वालो) की सहायता करता और अच्छे सम्बंध रखता है।

हे कुमैल, दूसरो पर अपने परिजनो से अधिक कृपा करो उनके प्रति अधिक दयालु तथा विनम्र रहो और ग़रीबो और फ़क़ीर को दान करो।

हे कुमैल, ज़रूरतमंद व्यक्ति को वंचित नकरो यद्यपि आधा अंगूर अथवा आधी खजूर ही हो, निश्चित रूप से ईश्वर दान मे वृद्धि करता है।

हे कुमैल, आस्तिक व्यक्ति का सबसे अच्छा श्रृंगार विनम्रता है, उसकी सुंदरता, उसकी नम्रता तथा उसका सम्मान (धर्म के आदेशो) को कंठित करने मे और उसकी इज़्ज़त उल्टी सीधी बातो को त्यागने मे है।

  

जारी

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

इमाम हुसैन अ. के कितने भाई कर्बला ...
एक हतोत्साहित व्यक्ति
हदीसे किसा
अफ़ग़ानिस्तान से अमरीकी सैनिकों ...
दुआए अहद
इस्लाम में औरत का मुकाम: एक झलक
हज़रत हमज़ा इब्ने इमाम काज़िम ...
पैग़मबरे अकरम (स) और आईम्मा (अ) के ...
तरकीबे नमाज़
इस्लाम और सेक्योलरिज़्म

 
user comment