![बिस्मिल्लाह के संकेतो पर एक दृष्टि 3 बिस्मिल्लाह के संकेतो पर एक दृष्टि 3](https://erfan.ir/system/assets/imgArticle/2013/03/45352_58399_6.jpeg)
पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारीयान
रहस्यवादीयो के एक समूह ने कहा है कि (बा) सदैव भलाई और नेकी की ओर संकेत है जो अधिकांश मानव से समबंधित है, तथा (सा) उसके रहस्य की ओर संकेत है जो उसके विशेष भक्तो के लिए है, तथा (मीम) उसके प्रेम का संकेत है जो उसके रहस्यवादी विशेषज्ञो के लिए है।
इमाम सादिक़ (अ.स.) से रिवायत उद्धृत हुई है किः
इन तीनो अक्षरो मे से प्रत्येक अक्षर असमाएहुसना (ईश्वर के नामो) मे से एक नाम की ओर संकेत है (बा) दिव्य बहा, सीन (सा) दिव्य प्रशंसा (अर्थात ईश्वर के प्रकाश की ऊँचाई है), और मीम (म) ईश्वर की महानुभावता की भव्यता है।[1]
प्रेम से आकर्षित होने वाले मनष्यो का कहना है कि (बा) बसीर (देखने वाला) की ओर संकेत है, सीन किनाया है समीअ (सुन्ने वाला), मीम (म) मोहसी अक्षर है अर्थात गणना करने वाला है।
अर्थात विस्मिल्लाह के पठन करने वालो को इस बात से अवगत कराया जाता हैः कि मै देखने वाला हूँ, मै तेरे सभी (अर्थात गुप्त एवं प्रकट) कार्यो को देख रहा हूँ, मै सुनने वाला हूँ परिणाम स्वरूव तेरी सभी प्रकार की प्रार्थनाओ को सुन रहा हूँ, मै गणना करने वाला हूँ अंतः मै तेरे श्वसन की गणना करता हूँ, मेरे अंतर्ज्ञान की छाया मे अपने कार्यो मे पाखंड तथा दिखावे से बचो ताकि तुझे हमेशा के लिए इनामी पोशाक पहनाऊ, मेरे समीअ होने की छाया मे बेकार की बाते करने से बचो, ताकि तुझे अनुग्रह शांति प्रदान करुँ, और मेरे गणक होने के छाया मे एक सेकंण्ड भी लापरवाही ना कर, ताकि उसके बदले मे तुझे मुलाक़ात का अवसर प्रदान करूँ।
जारी
[1] أَلبَاءُ بَھَاءُ أللہِ وَ ألسِّینُ سَنَاءُ أللہِ وَ ألمِیمُ مَجدُ أللہِ
(अलबाओ बहाउल्लाहे वस्सीने सनाउल्लाहे वल मीमो मजदुल्लाहे) अलकाफ़ी, भाग 1, पेज 114, नामो के अर्थ का अध्याय, हदीस 1; अत्तोहीद, पेज 230, अध्याय 31, हदीस 2; मआनिल अख़बार, पेज 3, बिस्मिल्लाहिर्रहमनिर्रहीम का अर्थ, हदीस 1 तथा 2