पुस्तक का नामः पश्चताप दया का आलंगन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान
प्रत्येक व्यक्ति भीतरी स्वभाव एवं गरिमा की दृष्टि से किसी भी परिस्थिति मे जन्म लेता है।
लालच, ईर्ष्या, लोभ, पाखंड तथा दूसरे पाप मानव के अंतर्निहित नही बलकि अस्थाई है जो कि परिवारिक, समाजिक तथा मानवीय संपर्क के कारको से संबंधित है।
पैगम्बरे इस्लाम (स.अ.व.अ.व.) से एक रिवायत हैः
كُلُّ مَولود يولد عَلَى الْفِطْرَةِ حَتّى يَكُونَ ابواه يهودانه وينصِّرانه
कुल्लो मौलूदिन यूलदो अलल फ़ितरते हत्ता यकूना अबावाहो योहव्वेदानेहि व योनस्सेरानेहि[1]
एकेश्वरवाद, इस्लाम, नबूवत और विलायत के आधार पर हर बच्चे का जन्म होता है, उस बच्चे के माता पिता (अभिभावक) उसको यहूदी या नसरानी (इसाई) बना देते है।
विचलित शिक्षक (अध्यापक), साथी तथा समाज, मानव को सीधे मार्ग से भटकाने मे अत्यधिक प्रभावी है।
जारी
[1] अवालेयुल्लयाली, भाग 1, पेज 35, चौथा खंड, हदीस 18; बिहारुल अनवार, भाग 3, पेज 281, अध्याय 11, हदीस 22