पुस्तक का नामः पश्चताप दया का आलंगन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान
हमने इस से पूर्व कुरआन के एक छंद कि जिसमे कहा था कि ईश्वर की दया से निराश न हो, नास्तिक व्यक्ति को छोड़कर कोई भी ईश्वर की दया से निराश नही होता। इस लेख मे प्रस्तुत है कि,
यदि कोई व्यक्ति दया, क्षमा तथा माफ़ी के धुरुत्व मे हो, तो उस व्यक्ति का दायित्व है कि अपनी आशा की प्राप्ति के उपकरणो तथा तंत्र जैसे पाप की गंभीरता और खेद के रूप मे, पापो को छोड़ना, अतीत की क्षतिपूर्ति करना, लोगो के होक़ूक़ उनको लौटाना, छूटी हुई पूजा पाठ का करना, कार्य हाल एवं नैतिकता मे सुधार प्रदान करना, यह आशा उस सकारात्मक आशा तथा कृषि की सही आशा के समान है जो पतझड़ के मौसम मे भूमी की जुताई, ख़ेतो से कृषि की बाधाओ को दूर करने तथा बीज रोपण एवं उसकी सिंचाई करने, और बीजो के हरा होने की आशा, तथा गर्मी की फ़सल से अन्न का प्राप्त करना है।
वह आशा जो अपने से समबंधित साधनो एवं उपकरणो से ख़ाली हो तो वह व्यर्थ और बेकार की आशा है, यह आशा उस कृषक की आशा के समान है जिसने भूमि पर न कोई काम किया और न ही बीज रोपण किया। अक महत्वपूर्ण रिवायत मे इस प्रकार की आशा को नकारात्मक आशा बताया गया है।
जारी