पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारीयान
पवित्र क़ुरआन ने मानव जीवन के चरणो को विभिन्न क़िस्मो मे विभाजित किया है, सर्वशक्तिमान का कथन हैः
وَقَدْ خَلَقَكُم أَطْوَاراً
वाक़द ख़लाक़ाकुम अतवारा[1]
जबकि उसी ने तुम्हे विभिन्न शैली मे बनाया।
पहला चरणः ख़ाक (धूल)
भगवान का कथन हैः
وَلَقَدْ خَلَقْنَا الإنْسَانَ مِنْ سُلالَة مِنْ طين
वा लक़द ख़लक़नल इन्साना मिन सुलालतिम्मिन तीन[2]
और हम ही ने मानव की गीली मिट्टी से रचना की।
मानव शुक्राणु के विभिन्न आहार है जिनका गठन घास, मांस, दूध इत्यादि से होता है, पशु एवं पक्षी भी वनस्पति से अपना आहार प्राप्त करते है तथा वनस्पति मिट्टी और धूल से अपना आहार प्राप्त करती है।
इसलिए यह नुत्फ़ा (शुक्राणु) जो बाद मे मनुष्य की शक्ल मे प्रकट हुआ, इसकी रचना भी ख़ाक से हुई है, आज कल की रिसर्च (अन्वेषण) ने इस बात को सिद्ध किया है कि पृथ्वी मे पाए जाने वाले तत्व जैसे लोहा, तांबा, कैलशियम और नमक आदि यह सभी चीज़े मनुष्य मे भी पाई जाती है, और यह मनुष्य सदैव जानवरो एंव वनस्पति के माध्यम से भूमि के तत्वो से लाभ उठाता है तथा इसी प्रकार उसकी नस्ल आगे बढ़ती है।
जारी