पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारीयान
पाँचवा चरणः अमशाज (अंड़े की कोशीका)
إِنّا خَلَقْنَا الإنْسانَ مِن نُطْفَة أَمْشاج
इन्ना ख़लक़नल इनसाना मिन नुतफ़तिन अमशाजिन[1]
निश्चित रूप से हमने इंसान को शुक्राणु के मिश्रण से बनाया है।
मानव के जन्म हेतू पहले (स्त्री का) अंडा अर्थात स्त्री के शुक्राणु जिस मे पुरूष का sper प्रवेश कर चुका है; उसको गर्भाश्य मे प्रवेश करना चाहिए तथा यह अंडा पुरूष के sper से 25 लाख गुना अधिक होता है; तथा जब इस पर पुरुष के sper का आक्रमण होता है तो एक sper को अंदर प्रवेश कर लेता है और पुरूष के क्रोमोसोम chromosome (गुणसूत्र) नामक कोशीका जिनकी संख्या आधी रह जाती है स्त्री के अंडे के क्रोमोसोम chromosome नामक कोशीका से मिल जाते है जिसके परिणामस्वरूप “अंडा कोशीका” बनती है जिसको क़ुरआन की भाषा मे “अमशाज” कहा गया है।
यदि स्त्री और पुरूष की इन कोशीकाओ को बेहतरीन जीवन का अवसर प्रदान किया जाए तो फ़िर भी यह जीवित रह सकते है तथा शीघ्र ही उनका विनाश हो जाता है।
किन्तु जब यह एक दूसरे से मिल जाते है तो फ़िर इनमे जीवित रहने की क्षमता पैदा हो जाती है उनको “अंडा कोशीका” अथवा कुरआन की भाषा मे अमशाज कहा जाता है।
और जब इस प्रकार गर्भ ठहर जाता है तो “अंडा कोशीका” विभाजित करना आरम्भ कर देता है पहले दो भागो मे फ़िर चार भागो मे तथा उसके उपरांत आठ भागो मे विभाजित होता है तथा इसी प्रकार विभाजित होते होते एक कोशिकाओ का एक ढ़ेर लग जाता है।