Hindi
Wednesday 27th of November 2024
0
نفر 0

मानव जीवन के चरण 8

मानव जीवन के चरण 8

पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन

लेखकः आयतुल्लाह अनसारीयान

 

आठवा चरणः आत्मा का फूंका जाना

 

 ثُمَّ أَنْشَأناهُ خَلْقاً آخَرَ فَتَبارَكَ اللّهُ أَحْسَنَ الْخَالِقينَ 

 

सुम्मा अनशानाहो ख़लक़न आख़ारा फ़तबारकल्लाहो आहसनल ख़ालेक़ीन[1]

तत्पश्चात हमने उसे एक दूसरा प्राणी बना दिया है तो वह ईश्वर कितना बरकत वाला है जो सबसे बेहतरीन रचना करने वाला है।  

शिशु की शक्ल बनने के उपरांत -जो स्वयं आश्चर्यजनक दुनिया है तथा ईश्वर की शक्ति का मज़हर (अभिव्यक्त) है और जिसकी कई चीज़े अभी अदृश्य है आज का प्रगतिशील विज्ञान भी उसे नही खोज सका है- आत्मा फूंकने की बारी आती है जो स्वय बहुत अद्भुत चीज़ है।

ईश्वर अपने इरादे एंव दया के माध्यम से भ्रूण मे एक और अद्भुत चीज़ पैदा करता है अर्थात उसमे आत्मा पैदा कर देता है तथा मरे हुए भ्रूण को जीवन प्रदान करता है!!

 

وَ نَفَختُ فِیہِ مِن رُوحِی

 

वा नफ़ख़तो फ़ीहे मिन रूही[2]

और अपनी आत्मा से उसमे फूंकता हूँ।

इसके पश्चात शिशु अपनी उंगली चूसना आरम्भ करता है ताकि जन्म के उपरांत मा का दूध पी सके!!



[1] सुरए मोमेनून 23, छंद 14

[2] सुरए हिज्र 15, छंद 29

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

नक़ली खलीफा 3
दुआ ऐ सहर
क़ुरआन
आदर्श जीवन शैली-६
चेहलुम के दिन की अहमियत और आमाल
हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम
इमाम सज्जाद अलैहिस्सलमा का जन्म ...
म्यांमार अभियान, भारत और ...
मोमिन की नजात
पैग़म्बरे इस्लाम (स.) के वालदैन

 
user comment