पुस्तकः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
हमने इसके पूर्व लेख मे मानव शरीर की सुरक्षा प्रणाली सम्बंधित कुच्छ बातो को वर्णन किया था जिन मे यह बात स्पष्ट करने का प्रयास किया गया था कि ईश्वर ने मानव शरीर की रचना करने के उपरान्त अपनी कृपा एंव प्रेम के आधार पर उसके अंदर ऐसी शक्ति प्रदान की जिसके कारण हमलावर शत्रुओ का मुक़ाबला कर सकता है अर्थात वह माइक्रोब Microbe तथा रोग उस से दूर रहते है और मनुष्य को अपनी रक्षा करने के लिए पाँच शक्तिया प्रदान की है। जिनका विस्तार के साथ उल्लेख किया जा चुका है यहा पर हम उन पाँच शक्तियो के नाम लिख रहे है त्वचा, लसीका, श्लेष्मा झिल्ली, किडनी की खटास तथा सफ़ेद सेल्स और इन शक्तियो के कार्य का भी उल्लेख किया जा चुका है। इस लेख मे आपको ध्यान देने योग्य दो तीन बातो का अध्ययन करने को मिलेगा।
इस स्थान पर एक ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह सफ़ेद सेल्स शरीर के भीतर यदि लाभदायक बैक्टेरिया प्रवेश करते है तो उनका विरोद्ध नही करती बल्कि उनके साथ मिलकर कार्य करते है।[1]
प्रिय पाठको! यह सभी नेमतै मनुष्य को विभिन्न प्रकार के रोगो एंव दुर्घटनाओ से सुरक्षित रखने के लिए है तथा ईश्वर की कृपा के कारण सभी मनुष्यो के शामिले हाल है, जिनकी वजह से मनुष्य को जीवन के उतार चढ़ाव से गुज़रने मे सहायता मिलती है।
प्रिय पाठको! क्या वास्तव मे हम इस बात का अनुमान लगा सकते है कि ईश्वर की दया एंव कृपा कितनी हमारे साथ है? ईश्वर की दया एंव कृपा जिसने हमारे कण कण के ज़ाहिर एंव बातिन पर छाया किये हुए है तथा एक सेकेण्ड के लिए भी हमे अकेला नही छौड़ती ?!!