पुस्तकः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
भूमि तथा पानी मे असंख्य जीव-जन्तु, पशु-पक्षि तथा डसने वाले जीव पाए जाते है (उन्हे पैदा करने वाले के अतिरिक्त कोई नही जानता) जो इस ब्रह्माड को कितने लाभ पहुंचा रहे है, और इन सभी पर ईश्वर की कृपा छाया किए हुए है।
ईश्वर की वियापक दया एंव कृपा के कारण इनके अंदर इतने अत्यधिक लाभ पाए जाते है जिनके कारण मनुष्य को लाभ पहुंचता है। इसीलिए इन लाभो मे से कुच्छ की ओर संकेत करते है।
1- गर्भाधान करने वाले जीव-जन्तु
फलदार पेड़ो मे भी कुच्छ पेड़ नर तथा कुच्छ मादा होते है, इनमे से कुच्छ गुर्दा संबंधी “नर स्टेम” होते है जिस प्रकार पुरुष के शुक्राणु होते है और कुच्छ क्रमह दार जो मादा होने की पहचान है यदि नर पेड़ का स्टेम मादा के क्रमह (अंडे) तक ना पहुंचे अथवा इसके विपरीत प्रतिक्रिया ना हो तो उस पेड़ पर फल नही लगता।
ईश्वर ने अपनी वियापक दया से इस कार्य के करने हेतु सुक्ष्म जीवो को पैदा किया है जो इस कार्य को सरलता एंव बडी सुन्दरता के साथ करते है तथा एक पेड़ के स्टेम को दूसरे पेड़ तक पहुंचा देते है।
आश्चर्यजनक बात यह है कि यह कीडे मकोड़े अपने इस कार्य मे किसी प्रकार की कोई त्रुठि नही करते, उदाहरण के रुप मे सेब के पेड़ का स्टेम आड़ू के पेड़ पर डाल दे अथवा आलुबुख़ारे का स्टेम ख़रबूज़े की बेल पर डाल दे बल्कि सेब का स्टेम सेब तथा आलूबुख़ारे का स्टेम आलूबुख़ारे के पेड़ ही के हवाले करते है।