पुस्तक का नामः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला अनसारियान
इस लेख से पहले इस बात का स्पष्टीकरण किया गया कि एक रिवायत मे है ईश्वर विश्वासीयो को एक स्थान पर एकत्रित करके उनसे अपने हुक़ूक़ माफ़ करेगा तथा एक दूसरे के हुक़ूक़ माफ़ करने को कहेगा ताकि स्वर्ग मे प्रवेश कर सके और इस बात का भी वर्णन किया गया यदि कोई पापी व्यक्ति लज्जा से अपने सर को झुका कर ईश्वर के दरबार मे उपस्थित हो तो ईश्वर उसके पापो को क्षमा कर देगा। इस लेख मे भी पहले वाले लेख के समान ईश्वर पापी व्यक्ति को क्षमा कर देता है का अध्ययन करने को मिलेगा।
इसी प्रकार इस रिवायत पर भी ध्यान दिजिए जब हिसाब किताब के दिन एक व्यक्ति को लाया जाएगा, तो पापो के कारण उसका सर अत्यधिक झुका होगा तथा लज्जा (शर्म) के कारण रोने लगेगा, तो ईश्वर उस से कहेगाः जिस समय तू पाप करता हुआ हंसता था मैने तुझे उस समय लज्जित (शर्मिंदा) नही किया आज तू मेरे दरबार मे लज्जा के कारण सर को झुकाए हुए रो रहा है तथा पाप भी नही कर रहा है तो मै किस प्रकार तुझे यातना (अज़ाब) दू? हे मेरे बंदे ! मैने तेरे पापो को क्षमा करते हुए तुझे स्वर्ग मे प्रवेश करने की अनुमति देता हूँ।
हज़रत रसूले अकरम सललल्लाहो अलैहे वाआलेहि वसल्लम से रिवायत है कि ईश्वर की 100 दया है, उनमे से केवल एक दुनिया मे जलवा फ़िगन है जिसको अपने सभी प्राणीयो मे विभाजित किया है तथा 99 दया ईश्वर के ख़ज़ाने मे मौजूद है ताकि प्रलय के दिन उस दया को 99 गुना करके अपने बंदो को समर्पित करे।[1]
जारी