पुस्तक का नामः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला अनसारियान
इल लेख से पहले दो लेखो मे इस बात का भलि प्रकार उल्लेख हुआ कि ईश्वर अपनी दया एंवम कृपा के आधार पर एक पापी व्यक्ति के पापो को क्षमा कर देता है। इस लेख मे इस बात का अध्ययन करने को मिलेगा कि जब ईश्वर की दया इतनी अधिक है कि वह पापी व्यक्ति के पापो को क्षमा कर देता है तो उसके दरबार से भगाया गया शैतान भी उसकी दया की आशा करने लगता है।
मोहद्देसीन के प्रमुख शेख सदूक़ मासूमीन अलैहिस्सलाम से रिवायत करते है कि जब प्रलय का दिन होगा तो ईश्वर की व्यापक दया इतनी जलवा नुमा होगी कि पापीयो की छावनी की छावनी को क्षमा कर दिया जाएगा, यहा तक कि ईश्वर के दरबार से भगाया हुआ शैतान भी ईश्वर से दया एंवम बख़्शीश की आशा करने लगेगा !!
एक अत्यधिक महत्वपूर्ण रिवायत मे है कि जब किसी विश्वासी व्यक्ति को क़ब्र मे रख कर उसे बंद कर दिया जाए, और उसके मित्र तथा समबंधि वहा से अलग हो जाए, तथा वह व्यक्ति अकेला रह जाए, उस समय पर्म परमेश्वर अपनी दया एंवम प्रेम के कारण उस व्यक्ति से कहेगाः मेरे बंदे तू क़ब्र के अंधकार मे अकेला रह गया है, और जिन की खुशी के लिए तू मेरी आज्ञा का उल्घन करता था वह सब तुझ से अलग हो गए है तथा तुझे अकेला छौड़ गए है, आज मै तुझ पर वह कृपा करूंगा जिस से प्राणी आश्चर्य करेंगे, उस समय स्वर्गदूतो से कहेगाः हे स्वर्गदूतो मेरा सेवक ग़रीब, बेकस है उसका कोई मित्र तथा सहायता करने वाला नही है और अपनी जन्मभूमि से दूर हो गया है तथा इस क़ब्र मे मेरा अतीथी है, जाओ इसकी सहायता करो, स्वर्ग का द्वार इसकी ओर खोल दो, इत्र एंवम आहार इसके पास ले जाओ, तथा उसके उपरांत मेरे ऊपर छौड़ दो ताकि मै प्रलय तक इसका मूनिस एंवम हमदम रहूं।[1]
[1] रिवायत का ईश्वर की कृपा के अध्याय मे विस्तृत रूप से उल्लेख हुआ है। बिहारुल अनवार भाग 7, पेज 286, अध्याय 14 (प्रलय मे ईश्वर की कृपा एंवम दया से क्या ज़ाहिर होगा) मे उल्लेखित है; मोहज्जतुल बैज़ा, भाग 8, पेज 383, ईश्वर की दया का अध्याय; तफ़सीरे फ़ातेहतुल किताब और क़ुरआन की व्याख्या की पुस्तको मे उल्लेख हुआ है।