पुस्तक का नामः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला अनसारियान
इस लेख से पूर्व लेख मे हमने इस बात का स्पष्टीकरण कि एक पापी ने अपने अतीत पर नज़र डाली तो उसने देखा कि मैने जीवन मे कोई अच्छा कार्य नही किया है मै पवित्र मनुष्यो के साथ किस प्रकार चल पाऊंगा परन्तु यह ईश्वर के महबूब है यदि इन्होने स्वीकार कर लिया तो कुच्छ दूरी तक इनके साथ चलने मे कोई हर्ज नही है, इसलिए उनके साथ कुत्ते के प्रारूप मे गुहार लगाता हुआ चलने लगा। इस लेख मे इसी व्यक्ति के साथ किस प्रकार का व्यवहार हुआ और उसको क्या मिला अध्ययन करेंगे।
हज़रत ईसा के एक हव्वारी (साथी) ने जब उस बुरेचरित्र से प्रसिद्ध व्यक्ति को अपने पीछे आता देख कर कहाः या रुहुल्लाह ! यह मुर्दा दिल एंवम अपवित्र व्यक्ति हमारे साथ चलने की योग्यता नही रखता तथा इस अपवित्र व्यक्ति के साथ चलना किस धर्म मे वैध है? इसको भगा दिजिए ताकि यह हमारे पीछे ना आए कँही ऐसा ना हो कि इसके पापो का धब्बा हमारे दामन पर भी लग जाए।
हज़रत ईसा कुच्छ सोचने लगे कि उस व्यक्ति से क्या कहें , तथा किस प्रकार उस व्यक्ति से क्षमा मांगे (कि हमारे साथ ना चले)? अचानक ईश्वर की ओर से रहस्योद्धाटन (वहि) नाज़िल हुईः हे रूहुल्लाह ! अपने इस स्वयंपसंद मित्र से कहो कि अपने जीवन के सभी कार्यो को दूबारा से आरम्भ करे क्योकि आज तक जो इसने अच्छे कार्य किए थे वो सब इसके कर्मपत्र से मिटा दिए गए क्योकि इसने मेरे बंदे (सेवक) को गिरी हुई नज़र से देखा है तथा इस फ़ासिक़ को ख़ुशख़बरी दे दो कि मैने उसकी शर्मिंदगी और पछतावे के कारण उसके लिए अपनी तोफ़ीक़ का मार्ग खोल दिया है उसकी निर्देशिता (हिदायत) का प्रबंध कर दिया है।[1]