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पैग़म्बरे इस्लाम की निष्ठावान जीवनसाथी हज़रत ख़दीजा

पैग़म्बरे इस्लाम की निष्ठावान जीवनसाथी हज़रत ख़दीजा

अंतिम ईश्वरीय दूत की पैग़म्बरी पर नियुक्ति के दसवें वर्ष रमज़ान की दस तारीख़ पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के साथ एक त्यागी व बलिदानी महिला के पच्चीस वर्षीय दांपत्य जीवन का अंतिम दिन था। इस दिन पैग़म्बरे इस्लाम (स) अपनी निष्ठावान जीवन साथी हज़रत ख़दीजा के स्वर्गवास के वियोग में बहुत रोए। इस हृदय विदारक घटना से जो पैग़म्बरे इस्लाम के चाचा हज़रत अबु तालिब के स्वर्गवास के कुछ ही दिनों पश्चात घटी, पैग़म्बरे इस्लाम इतना प्रभावित हुए कि उस वर्ष को आमुल हुज़्न अर्थात शोक वर्ष घोषित किया। जिस समय हज़रत ख़दीजा का स्वर्गवास हुआ पैग़म्बरे इस्लाम उस समय भी बहुत रोए और जिस समय हज़रत ख़दीजा को क़ब्र में लिटा रहे थे उस समय भी आप की आंखों से आंसू बह रहे थे। क़ब्र में लिटाते समय पैग़म्बरे इस्लाम ने फ़रमायाः कहां है कोई ख़दीजा जैसा कि जिस समय लोग मुझे झुठला रहे थे उन्होंने मेरा समर्थन किया। ईश्वर के धर्म में मुझे सहयोग दिया और अपनी धन-संपत्ति से मेरी सहायता की।

हज़रत ख़दीजा (स) के स्वर्गवास पर हार्दिक संवेदना प्रकट करने के साथ इस महान महिला के व्यक्तित्व के कुछ आयामों का उल्लेख कर रहे हैं।

हज़रत खदीजा को कुलीनता व बुद्धिमत्ता से सुसज्जित एक पतिव्रता एवं ज्ञानी महिला माना गया है। एक ओर उनकी सज्जनता व दूसरी ओर पैग़म्बरे इस्लाम के साथ दांपत्य जीवन और इसी प्रकार इस्लाम के प्रसार के मार्ग में उनकी सेवाओं ने उन्हें विशेष महानता प्रदान की है। हज़रत ख़दीजा तत्कालीन हेजाज़ अर्थात वर्तमान सउदी अरब की बहुत बड़ी व्यापारी थीं और पैग़म्बरे इस्लाम के साथ विवाह से पूर्व भी बहुत प्रतिष्ठित थीं। पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी की घोषणा से पूर्व हज़रत ख़दीजा अपने पूर्वज हज़रत इब्राहीम (अ) के धर्म की अनुयायी थीं और पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी के पहले दिन ही उन्होंने इस्लाम स्वीकार किया। हज़रत ख़दीजा व्यापार को किसी भी प्रकार से बहुत अधिक आय अर्जित करने के हथकंडे के रूप में नहीं देखती थीं और बहुत अंधाधुंध लाभ कमाने का प्रयास नहीं करती थीं। इसलिए सदैव यह प्रयास करतीं कि उनका व्यापार ग़लत आय से पाक रहे। इन्हीं मानवीय विशेषताओं व तर्कसंगत व्यवहार के कारण समाज के विभिन्न वर्गों के लोग उन पर विश्वास करते थे। जिस समय हज़रत खदीजा प्रथम महिला व्यापारी के रूप में प्रसिद्ध हो चुकी थीं उस समय पैग़म्बरे इस्लाम अपनी युवावस्था में थे और लोग उनकी अनुदाहरणीय पवित्रता, सच्चाई और ईमानदारी की प्रशंसा करते थे। उनकी सच्चाई व ईमानदारी की धूम पूरे मक्के में इस प्रकार थी कि हज़रत ख़दीजा भी इस सच्चे युवा की ओर आकृष्ट हुयीं और कुछ ही समय पश्चात उन्हें अपने व्यापार के कारवां और लेन देन के मामलों का प्रमुख बनाया। व्यापार में पैग़म्बरे इस्लाम को मिली अपार व अनुदाहरणीय सफलता के कारण हेजाज़ की सबसे बुद्धिमान महिला का पैग़म्बरे इस्लाम की ईमानदारी व सच्चाई पर विश्वास और बढ़ गया। हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की आत्मा की शुद्धता तथा उनके उच्च विचार, व जीवन शैली से हज़रत ख़दीजा इतना प्रभावित हुयीं कि उन्होंने इतिहास के इस अद्वितीय व्यक्ति को अपना जीवन साथी बनाने की ठान ली। पैग़म्बरे इस्लाम की सच्चाई ईमानदारी व पवित्रता इतनी मोहक थी कि हज़रत ख़दीजा ने इस दिशा में पहल करते हुए पैग़म्बरे इस्लाम के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा।

हज़रत ख़दीजा ने अपने इस व्यवहार से जो उनकी नम्रता का सूचक था, यह दर्शा दिया कि उनकी मुख्य विशिष्टता उनका व्यापारिक वैभव व संपत्ति नहीं है बल्कि जिस चीज़ ने उन्हें मूल्यवान बनाया है वह उनके उच्च विचार हैं। वह एक ऐसे जीवन साथी की खोज में थीं जो आध्यात्म व सदगुणों में अपने समय का सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति हो और ऐसी विशेषताओं वाला व्यक्ति पैग़म्बरे इस्लाम के अतिरिक्त कोई और नहीं हो सकता था। हज़रत ख़दीजा बहुत ही बुद्धिमान महिला थीं और बिना ज्ञान व विचार के किसी चीज़ को स्वीकार नहीं करतीं और बिना सोचे समझे कोई बात नहीं करती थीं। हज़रत ख़दीजा की पैग़म्बरे इस्लाम के प्रति सबसे महत्त्वपूर्ण भावना उनके वास्तविक मूल्य को समझना था। वह मानवीय परिपूर्णतः के अर्थ को भलिभांति समझती थीं और चूंकि इसे उन्होंने केवल पैग़म्बरे इस्लाम के अस्तित्व में पाया था इसलिए पूरी तनमयता के साथ हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की सेवा में समर्पण के लिए तय्यार हो गयीं। हज़रत ख़दीजा ने पैग़म्बरे इस्लाम से विवाह के समय अपने विचार इन शब्दों में व्यक्त किएः मैं लोगों के बीच आपकी सज्जनता, ईमानदारी, नैतिकता, और सच्चाई के कारण आपसे विवाह करना चाहती हूं। यह दृष्टिकोण ऐसे समाज में जहां आम लोग सांसारिक तड़क भड़क को अपने संबंधों का आधार बनाते थे, उत्कृष्ट दृष्टिकोण था।

हज़रत ख़दीजा ने पैग़म्बरे इस्लाम के जीवन के अति संवेदनशील चरणों में उनका साथ दिया चाहे वह पैग़म्बरी पर नियुक्ति का समय हो या पैग़म्बरे इस्लाम पर "वहि" उतरने का काल रहा हो वह सदैव उनके साथ रहीं। इस त्यागी महिला ने ईश्वर की ओर से पैग़म्बरे इस्लाम को सौंपे गए दायित्व की महानता को समझते हुए इस्लाम के विस्तार के लिए अथक प्रयास किए। हज़रत ख़दीजा ने अपनी विशेष सामाजिक स्थिति व अथाह संपत्ति के बावजूद पैग़म्बरे इस्लाम के सामने कभी भी अभिमान प्रकट नहीं किया। पैग़म्बरी पर नियुक्ति के आरंभ से, इस्लाम की ओर आरंभ में आकृष्ट होने वाले मुसमलानों के कठिनाई भरे जीवन के वर्षों तक हज़रत ख़दीजा इस्लाम के विस्तार में सहायता से कभी पीछे नहीं हटीं जबकि बहुत से लोगों के लिए धन-संपत्ति बेड़ी बन जाती है किन्तु जिनका मन उच्च मूल्यों के लिए समर्पित होता है उनके निकट धन संपत्ति उच्च मूल्यों की प्राप्ति में रुकावट के बजाए उच्च मूल्यों की प्राप्ति का साधन होते हैं। हज़रत ख़दीजा ने अपने सम्मानीय पति की आध्यात्मिक व आत्मिक दृष्टि से सहायक होने के साथ साथ उस कठिन समय में मुसलमानों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपनी पूरी संपत्ति पैग़म्बरे इस्लाम के हवाले कर दी ताकि उसे ईश्वरीय धर्म के लिए ख़र्च करें। हज़रत ख़दीजा का स्नेहिल मन पैग़म्बरे इस्लाम के लिए शरणस्थल था और उनका घर पैग़म्बरे इस्लाम को शांति व सुरक्षा प्रदान करता था। हज़रत ख़दीजा पैग़म्बरे इस्लाम का सदैव सम्मान करती थीं। उनकी बातों की गवाही देतीं थीं। पैग़म्बरे इस्लाम की बातों को मानना एंव उसका पालन करना तथा उनके साथ सहानुभूति, पैग़म्बरे इस्लाम के मन की शक्ति का आधार थे। क़ुरैश के शब्दों के वाण, और अनेकेश्वरवादियों की ओर से दी जाने वाली पीणाएं, बड़े से बड़े संकल्पशील व्यक्ति के क़दम को डिगा सकती थीं किन्तु पैग़म्बरे इस्लाम को अपनी दृढ़ता के साथ साथ अपनी ज्ञानी व जागरुक पत्नि की प्रेरणा व समर्थन प्राप्त था। हज़रत ख़दीजा अपने प्रेमपूर्ण व्यवहार से पैग़म्बरे इस्लाम के दुख व चिंता को दूर कर देती थीं। एक दिन हज़रत ख़दीजा ने अपने चचेरे भाई वरक़ा बिन नोफ़िल से कहाः मैं इस बात की घोषणा करती हूं कि जो कुछ धन संपत्ति व नौकर चाकर हैं सब मोहम्मद के हवाले करती हूं ताकि वह जैसे चाहें ख़र्च करें। वरक़ा बिन नोफ़िल ने भी जो काबे के निकट खड़े थे, ऊंची आवाज़ से कहाः हे अरब वालो! ख़दीजा तुम्हें गवाह बनाती हैं कि उन्होंने स्वंय को और अपनी धन संपत्ति व दासों को मोहम्मद के हवाले कर दिया ताकि यह दर्शाएं कि उन्हें महान समझती हैं, उनके स्थान का सम्मान करती हैं और उनसे विवाह में रूचि रखती हैं। हज़रत ख़दीजा, घर के मामलों को पैग़म्बरे इस्लाम की इच्छानुसार संचालित करती थीं। वह पैग़म्बरे इस्लाम की उपासना में रूचि से भलिभांति अवगत थीं इसलिए ऐसा आचरण करतीं जिससे पैग़म्बरे इस्लाम को उपासना में किसी प्रकार की कठिनाई न हो। पैग़म्बरे इस्लाम, पैग़म्बरी पर नियुक्ति से पूर्व हर महीने कई बार और पवित्र रमज़ान के पूरे महीने हेरा नामक गुफा में ईश्वर की उपासना व ध्यान में लीन रहते थे। हज़रत ख़दीजा पैग़म्बरे इस्लाम की आध्यात्मिक रूचि को समझते हुए कभी उनके मार्ग में रुकावट नहीं बनतीं थीं बल्कि सहृदयता से उन्हें विदा करती थीं। उनके लिए भोजन, हज़रत अली के हाथ भिजवातीं और कभी स्वंय भी साथ जाती थीं। हज़रत ख़दीजा पैग़म्बरे इस्लाम की सहमति व प्रसन्नता के लिए इतना प्रयासरत रहतीं थी कि जिस समय हज़रत ख़दीजा के स्वर्गवास का समय निकट आया तो उन्होंने पैग़म्बरे इस्लाम से कहाः यदि मैंने आपके हक़ में कमी की हो तो मुझे क्षमा कीजिएगा। पैग़म्बरे इस्लाम ने जवाब में फ़रमायाः मैंने आपकी ओर से कभी कोई कमी नहीं पायी। आपने अथक प्रयास किया और मेरे घर में आपने बहुत परिश्रम किया। शेबे अबु तालिब नामक घाटी में आर्थिक नाकाबंदी के समय और उसके बाद भी हज़रत ख़दीजा की वित्तीय सहायता ने इस्लाम के विस्तार व मुसलमानों की सहायता में इतनी निर्णायक भूमिका निभाई कि पैग़म्बरे इस्लाम ने शेबे अबू तालिब की घटना के बारे में कहाः किसी भी संपत्ति ने ख़दीजा की संपत्ति की भांति हमे लाभ नहीं पहुंचाया। शेबे अबुतालिब में पैग़म्बरे इस्लाम और मुसलमानों ने बहुत अधिक कठिनाइयां सहन कीं और हज़रत ख़दीजा आयु के उस चरण में थीं कि उनके लिए इन कठिनाइयों को सहन करना आसान नहीं था फिर भी इस महान महिला ने शेबे अबुतालिब में आर्थिक परिवेष्टन से उत्पन्न कठिनाइयों को बड़े धैर्य से सहन किया किन्तु परिवेष्टन के समय की कठिनाइयों के कारण बीमार हो गयीं और परलोक सिधार गयीं। पैग़म्बरे इस्लाम ने हज़रत ख़दीजा के साथ पच्चीस वर्षीय दांपत्य जीवन बहुत ही प्रेम के साथ बिताया। हज़रत ख़दीजा ने ईश्वर के मार्ग में बहुत त्याग व बलिदान दिया था इसलिए पैग़म्बरे इस्लाम के मन में उनका बहुत बड़ा स्थान था। हज़रत ख़दीजा के स्थान के बारे में पैग़म्बरे इस्लाम ने फ़रमायाः ईश्वर पर ईमान लाने वाली विश्व की महिलाओं में ख़दीजा अग्रणी हैं।


source : irib.ir
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